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एक पैर कब्र में और वो दे रहा है भारत को धमकी !

sartaz-aziz

एक कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि लंगडा ज़्यादा उछलता है.

ठीक ऐसे ही आजकल हमारे पड़ोसी, अरे वही पाकिस्तान, इतनी गीदड़ धमकी दे रहा है कि उसकी बातों पर हंसी आ जाती है.

अरे मेरे छोटे भाई अब तो सुधर जा. आखिर कबतक गुलाटी मारता रहेगा. दुनिया विकास के पथ पर आगे बढ़ रही है और तू है कि कुत्ते की दूम की तरह टेढ़ा का टेढ़ा. कुछ तो शर्म कर. तेरे यहाँ के लोग ऐसा नहीं चाहते जो तू कर रहा है.

दोस्तों ख़ुद तो दमा का मरीज़ ठहरा ये पाकिस्तान और हमसे कहता है कि जीने नहीं दूंगा.

अरे मुर्ख पहले ख़ुद तो सही तरह से ऑक्सीजन ले ले. हर दिन कुछ न कुछ नया बखेड़ा खड़ा करता रहता है ये पाकिस्तान. जब देखो कुत्ते की तरह भौंकता रहता है. पता नहीं क्या मिल जाता है इसे ? इसे देखकर ऐसा लगता है कि इससे दूसरे की ख़ुशी देखी नहीं जाती …

दूसरे की ही क्यों ? इसे तो अपने ही मुल्क की ख़ुशी भी ख़राब लगती है.

चलिए अब इस भूमिका के बाद हम आपको बता ही देते हैं कि कौन हैं ये जनाब, जिनकी उम्र तो हो चली है अब इस लोक से परलोक जाने की, लेकिन धमकी देने में ये पीछे नहीं हट रहे.

जनाब सरताज अज़ीज़, पाकिस्तान के नेशनल सिक्यूरिटी ऐडवाइज़र, ये हैं जो भारत सरकार को धमकी पे धमकी दिए जा रहे हैं.

अब आप ही बताइए ८६ साल के हो चुके हैं ये और धमकी दे रहे हैं, शायद इन्हें पता नहीं कि ये उम्र धमकी देने की नहीं, बल्कि घर में शांति से बैठने और ख़ुदा को याद करने की होती है.

‘‘अगर भारत दाऊद और सईद को पकड़ने के लिए गुप्त ऑपरेशन शुरू करता है, तो उसे इसका बुरा अंजाम भुगतना पड़ेगा.’’ ये वक्तव्य था माननीय अज़ीज़ साहब का. अब उनके इस वक्तव्य का सही अर्थ निकालें तो ये साफ़ हो जाता है कि दाऊद वहीँ पाक में है और सईद जिसकी वो वकालत करते हैं, वो भी उनकी संरक्षण में है.

अब हम तो एक साधारण आवाम की तरह अज़ीज़ साहब से यही गुज़ारिश करेंगे कि छोडिये ये धमकी और सहयोग कीजिए भारत सरकार और मानवता को और अपने दामन से रुखसत कीजिए ऐसे अपराधियों को. हिन्दुस्तान ही नहीं, बल्कि पाक आवाम भी ऐसे लोगों का शिकार बनती रही है और बनती रहेगी.

मान जाइए अज़ीज़ साहब…ऐसे लोग किसी के अपने नहीं होते. ये तो मानवता के दुश्मन होते हैं. इन्हें हटाइए और मानवता को गले लगाइए.

(इस लेख का उद्देश्य किसी व्यक्ति विशेष/समुदाय पर टिप्पणी करना नहीं है. हम हमेशा ही खबरों के आधार पर लिखते रहे हैं. लेख की लिखावट खबर को दर्शाने का एक अलग ज़रिया है और कुछ नहीं.)