इतिहास

5 टन सोना दान करने की नही सुनी होगी ये कहानी

हैदराबाद के निजाम – उस देश की ज़मीन को कोई छू भी नहीं सकता जिस मुल्क के लोग उसे मुसीबत मे देखकर अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हों। हिन्द की ज़मीन पर जब विदेशियों का खतरा बढ़ गया था तब देसवासियों के दिलों मे अपने मुल्क के लिए कुछ ऐसा ही प्यार हुआ करता था।

उस दौर मे एक प्रधानमंत्री के कहने पर हैदराबाद के निजाम ने अपना सब कुछ लूटा दिया था। आज हम आपको देश के लिए सबसे बड़ा दान देने वाले शख्स के बारे मे बताने जा रहे हैं।

हैदराबाद के निजाम

देश के लिए अपनी करोड़ों की संपत्ति न्योछावर करने वाले इस महादानी का नाम “मीर उस्मान आली खान” था। ओक्स 1965 ईएसए हैदराबाद के निजाम हुआ करते थे। इस से पहले भारत की सुरक्षा के लिए सेना को इस से बड़ा दान पहले कभी नहीं मिला था। मी उस्मान हैदराबाद के अंतिम निज़ाम थे और दुनिया के सबसे अमीर लोगों मे भी उनका नाम शामिल था।

भारत – पाक युद्ध

1965 मे भारत और पाक के बीच युद्ध छिड़ चुका था और इस लड़ाई मे भारत की जीत हुई। भारत अभी इस जीत का जश्न भी ठीक से नहीं माना पाया था कि उसके सामने चीन युद्ध कि ललकार लेकर खड़ा हो गया।

तिब्बत को आज़ाद कराने के लिए चीन ने भारत को दादागिरी दिखानी शुरू कर दी। ऐसे मे भारत की मुश्किले बढ़ गईं। कुछ दिनों पहले ही पाक से युद्ध हुआ था और ऐसे मे भारत कि हालत दूसरे युद्ध कि नहीं थी। पाक से युद्ध कि वजह से देश के पास दान की कमी हो गयी थी।

ऐसे मे तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने सेना कि मदद करने के लिए भारतीय रक्षाकोष कि स्थापना की और लोगों से दान करने की अपील की । उस दौर मे देश कि सेवा के लिए हर कोई आगे आया। जिसके पास पैसा नहीं था वो कपड़े ओर भोजन दान कर रहा था

शास्त्री जी ने रेडियो से लोगों और राज्य रजवाड़ों से देश के लिए मदद मांगी। शास्त्री जी के इस आह्वान को हैदराबाद के निजाम भी सुन रहे थे। उन्होने भी इस मामले मे देश कि मदद का मन बनाया।

मीर उस्मान ने दी मदद

हैदराबाद के निज़ाम मीर उस्मान ने शास्त्री जी को हैदराबाद बुलवाया और उनके लिए विऊस खजाने के द्वार खोल दिये। उस्मान आली ने लोहे के बक्से एयरपोर्ट पर शास्त्री जी के सामने लाकर रख दिये और बोले ये 5 टन सोना है जो मे देश की रक्षा के लिए दान कर रहा हूँ।

उस समय हर किसी ने मीर उस्मान कि दरियादिली कि तारीफ कि। हालांकि निज़ामो के लिए ये कोई बड़ी बात नहीं थी। जिन बक्सो मे सोना दिया गया था उस्मान ने उन्हे वपास मँगवा लिया क्योंकि वो उनके पुरखों के थे। इस ऐतिहासिल दान के कुछ सालों बाद 24 फरवरी 1967 डीकेएस मीर उस्मान ने अंतिम सांस ली।

आज इस सोने कि कीमत 1500 करोड़ रुपए है। इतनी बड़ी मदद आज तक किसी ने नहीं दी है। अगर आज देश पर ऐसे विपत्ति आती है तो क्या आज देश के बड़े बड़े व्यापारी ऐसा दान देंगे ?

Parul Rohtagi

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