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ब्रिटेन की संसद में क्यों ली गई भारत के सबसे पुराने ग्रन्थ ऋग्वेद की शपथ !

ऋग्वेद

भारत में एक ओर जहां देश के बुद्धिजीवियों की जमात हिंदू धर्मग्रथों को गाली देने से बाज नहीं आती है, वहीं सात समंदर पार ब्रिटेन की संसद में भारत के प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद पर हाथ रखकर सत्य एवं निष्ठा की शपथ ली जा रही है.

भारत के प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद पर हाथ रखकर शपथ लेने के पीछे बैंकर जितेश गढ़िया ने बताया कि यह दुनिया का सबसे प्राचीन ग्रंथ है. इसका इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है. उनका कहना है कि वे ऐसे समय में संसद के सदस्य बन रहे हैं जब आज ब्रिटेन अपने इतिहास के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है. भारत और ब्रिटेन के संबंधों को एक नया आयाम मिलना है.

वे ब्रिटिश संसद को ऋग्वेद के एक 167 वर्ष पुराने संस्करण की प्रति भी भेंट करेंगे जिसे 1849 में जर्मन विद्वान मैक्समूलर ने संपादित और प्रकाशित किया था.

ये भी बताते चले कि ऋग्वेद की शपथ लेने वाले बैंकर जितेश गढ़िया ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स में ब्रिटिश भारतीय सांसद के रूप में चुने गए हैं. ब्रिटिश संसद के अपर हाउस में भारतीय मूल के लगभग 20 सांसद हैं. इससे पहले किसी भी ब्रिटिश भारतीय ने ऋग्वेद पर हाथ रखकर शपथ नहीं ली थी. हाउस ऑफ लॉर्ड्स में चुने जाने वाले गाढ़िया सबसे कम उम्र के सांसद हैं. हालांकि, ब्रिटेन की संसद में नए सदस्यों को बाइबल के अलावा दूसरे धार्मिक ग्रंथ चुनने की अनुमति है.

यही नहीं, गुजरात से संबंध रखने वाले गाढ़िया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के करीबी माने जाते हैं.

वह वर्ष 1972 में दो साल की उम्र में ही अपने परिवार के साथ उस समय ब्रिटेन आए थे जब यूगांडा से हजारों लोगों को निकाल दिया गया था.

हाल में वह ब्रिटेन और भारत के बीच कुछ बड़ी इन्वेस्टमेंट में भी शामिल रहे हैं. इसके पूर्व वह टाटा स्टील की ब्रिटेन की कोरस को खरीदने में हुई डील में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं. कहा जाता है कि पिछले साल जब नरेंद्र मोदी लंदन गए थे तो जितेश गाढ़िया ने ही उनका भाषण लिखा था.

जितेश गढ़िया यूरोप की फाइनेंश कंपनी एबीन और बारक्लेज के साथ भी काम कर चुके हैं.

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