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क्या है ‘रोहिंग्या’ मुसलमानों की हकीकत और म्यांमार में क्यों हो रहा है ‘गृह युद्ध’, जानिए इनसाइड स्टोरी

रोहिंग्या मुसलमानों की हकीकत

रोहिंग्या मुसलमानों की हकीकत – ब्रिटेन से स्वंतत्रता पाने के बाद से ही म्यांमार के हालात कुछ अच्छे नहीं रहे हैं और वहां विद्रोहियों की पकड़ बहुत मजबूत मानी जाती है।

म्यांमार में लंबे समय से गृहयुद्ध चल रहा है और इसे सबसे लंबे समय से चला आ रहा गृह युद्ध माना जा जाता है। म्यांमार में 2016 के बाद से ही रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। हालात ये हो गए हैं कि अब उन्हें वहां से अलग-थलग किया जा रहा है और हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं।

लेकिन क्या आपने सोचा है कि रोहिंग्या मुसलमानों की हकीकत क्या है वो कौन है और म्यांमार में गृह यद्ध का क्या कारण है।

आइए जानते हैं रोहिंग्या मुसलमानों की हकीकत और इनसाइड स्टोरी।

कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान:

म्यांमार में रह रहे अल्पसंख्यक मुसलमानों को रोहिंग्या कहा जाता है। रोहिंग्या शब्द को म्यांमार में वर्जित माना जाता है। म्यांमार की सरकार रोहिंग्या की पहचान छिपाने के लिए उन्हें बांग्लादेश से आए हुए बंगाली बताती है। रोहिंग्या मुसलमान इंडो-आर्यन समुदाय के हैं। रोहिंग्या समुदाय के लोग दुनिया के कई देशों में पाए जाते हैं। इनमे भारत, बांग्लादेश, सऊदी अरब मुख्य हैं।

म्यांमार में क्या है गृह युद्ध की असली वजह:

दरअसल म्यांमार में गृह युद्ध की बड़ी वजह रोहिंग्या मुसलमान ही हैं। रोहिंग्या म्यांमार में पूर्ण नागरिक का दर्जा चाहते हैं लेकिन वहां की सरकार और बौद्ध धर्म के लोग उन्हें देश का नागरिक ही नहीं मानते। रोहिंग्या समुदाय को देश से बाहर भगाया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि रोहिंग्या की वजह से देश में आतंकवाद और अराजकता फैल रही है। अब ये लड़ाई और तेज हो चली है और देश के हालात बेहद ही खराब हैं।

ये है रोहिंग्या मुसलमानों की हकीकत – आपको बता दें कि ब्रिटेन से स्वतंत्रता पाने के बाद से म्यांमार में कभी शांति नहीं रही और देश समय-समय पर हिंसा, दंगों का शिकार होता रहा है। 1962 के बाद सेना ने तख्तापलट कर दिया था और इसके बाद उन्होंने सरकार को उखाड़ फेंका था। इसके बाद देश में सेना का शासन 2015 तक रहा और इस दौरान देश में काफी दंगे, विरोध प्रदर्शन हुए। माना जाता है कि देश को पटरी पर लौटाने और लोकतंत्र स्थापित करने में सबसे ज्यादा योगदान रोहिंग्या समुदाय का ही रहा है।