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देखिये, कैसे की है मैंने एक पुरानी हिंदी फिल्म की ऐसी की तैसी!

loha

लोहा (1997)

धर्मेन्द्र, मिथुन चक्रवर्ती, मोहन जोशी, शक्ति कपूर, दीपक शिर्के… और अल पचीनो, डी नीरो और मार्लोन ब्रांडो को टक्कर देने वाली परफॉरमेंस में इशरत अली इंस्पेक्टर काले के किरदार मे…!!!

कुछ लोग अपने टाइम से बहुत आगे होते है और उनकी फ़िल्में भी टाइम से बहुत आगे होती है कांति शाह भी एक ऐसे ही शख्स है

कांति शाह की गुंडा एक कल्ट मूवी है. इसमें कोई शक नहीं है, पर गुंडा को इतनी हाइप मिली की गुंडा को कल्ट का दर्जा दिलाने वाली असली फिल्म को लोग भूल ही गये.

गुंडा को गुंडा के लेवल पर पहुँचाने वाली फिल्म थी लोहा!

कुछ गोपनीय सूत्रों ने बताया है की कूपर और डॉक्टर ब्रांड, एडमंड के प्लेनेट पर लोहा का फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखते हुए मिले, वहीँ ये भी पता  चला है की जॉर्ज क्लूनी टुमॉरोलैंड में भी लोहा की ही स्क्रीनिंग करते है और तो और स्टार वार्स फ़ोर्स अवेकन में भी लड़ाई गुंडा और लोहा के हाई डेफिनेशन प्रिंट के लिए ही होगी तो अब आपको पता चल ही गया होगा की लोहा का असली दर्जा क्या है.

तो आज आपको कुछ बातें बताता हूँ कांति शाह के अज़ीम ओ शान शाहकार लोहा के बारे में…

लोहा में एक नहीं बहुत सी खास बातें है !

एक दमदार स्टार कास्ट एक धमाकेदार स्टोरी और सबसे ऊपर फिल्म के डायलाग !!!!

ये कहानी है शंकर की एक ईमानदार पुलिस ऑफिसर जो करप्शन से लड़ता है (धर्मेन्द्र). एक डॉन जो शंकर की बहन का रेप करता है और एक शराबी एक्स आर्मी वाला (मिथुन दा) और एक शोले के ठाकुर जैसा बदले की आग में झुलसता डॉन शक्ति कपूर!

स्टोरी तो थी ही फिल्म में पर जिस डायलाग स्टाइल ने गुंडा को काल जाई बना दिया उसकी शुरुआत लोहा में हुयी थी.

आगे बढ़ने से पहले एक नजर इस सीन पर डालिए, नोबेल पुरूस्कार से नवाज़ा जाना चाहिए बशीर बब्बर को (गुंडा और लोहा के संवाद लेखक)

लोहा के डायलाग की सबसे खास बात थी की हर डायलाग के पीछे एक गहरा सन्देश छुपा था.

हाज़िर है लोहा के कुछ कालजयी डायलाग और उनका छुपा हुआ अर्थ…

जब तू दिन में बूट पोलिश और रात में तेल मालिश करता था, लोग चिकना चिकना बोल के तेरे पिछवाड़े हाथ घुमाते थे, इस से पहले उनका हाथ गलत जगह पहुचे मैंने तेरा हाथ पकड़ा

(देखिये विलन कितना भला है उसने एक मासूम को ना सिर्फ दरिंदगी से बचाया बल्कि उसने बाल श्रम का भी विरोध किया.)                                   

कौव्वे ने चील का चुम्मा लिया और चील ने चूहे का बच्चा पैदा किय.

(कितनी गहराई है इस बात में भी अंतरजातीय विवाह सरोगेट चाइल्ड जैसे पेचीदा विषय को कितनी आसानी से समझा दिया.)

मैं तेरा वो बुरा हाल करूँगा , जो दीमक लकड़ी का और छिपकली मकड़ी का करती है

(कितना गहरा अर्थ छुपा है इस मार्मिक डायलाग में दुनिया की रीत बता दी है कमजोर को बलवान हमेशा खा जाता है.)

फ़ोन सुनते ही तुम्हारा पेट गर्भवती बिल्ली की तरह क्यों गिर गया

(ये संवाद नहीं पूरा बायोलॉजी का चैप्टर है , अब बताओ कितने लोग जानते है की गर्भवती बिल्ली का पेट गिर जाता है.)

ये तो थे कुछ गहरे अर्थ वाले संवाद इनके अलावा लोहा नयी नयी उपमाओं से बेईज्ज़ती करना सीखाती है ज़रा सोचिये जब आप अपनी गर्लफ्रेंड के पीछे घूमने वाले रोमियो को कहे कि

मैं धोबीघाट की टूटेली खटिया पर तुझे लेटा लेटा कर मारूंगा!!!

या फिर ये कह कर डराए की – अबे ओये कंगाल बैंक से भागी हुयी झूठी चवन्नी!!!

ज़रा सोचिये उस दिलफेंक आशिक का क्या हाल होगा और आपकी माशूका तो दौड़ कर आपसे गले लग जाएगी वो भी स्लो मोशन में

इसके अलावा भी लोहा में अनगिनत डायलाग है जो वक्त और मौके के मुताबिक इस्तेमाल कर आप हीरो बन सकते है.  उनमे से कुछ डायलाग है

“मैं तेरे इस काले रंग पे लाल रंग से इस तरह से मेरा नाम लिखूंगा … जिस तरह पुलिसवाले कागज़ पर गैंगवॉर की रिपोर्ट लिखते है!!”

“साला फटेली चड्डी पहनने वाला मेरी गाडी पर बैठ नोटों की गड्डी गिनने लगा”

ये वाला खास मैकेनिकल और सिविल इंजीनियरिंग वालों के लिए….

ज़ुल्म को फ़ना करने के लिए मौत से टकरा गया है …. तुजसे लोहा लेने के लिए देख ये लोहा आ गया है… (क्या लोहा लसून है? )

और ये फोसला के सदस्यों के लिए एकदम नयी पिक अप लाइन

चलो मेरी जान …. चल कर लगायें प्यार की दूकान

और आखिर में बेस्ट ओफ द बेस्ट…

जिंदगी चाहते हो तो हमसे बचकर रहना … जहाँ निम्बू नहीं जाता वहां नारियल घुसेड देते है!!!

मैं तुझे माफ़ नहीं करूँगा …. मैं तुझे ऐसा साफ़ करूँगा … जैसे हज्जाम दो बार साबुन लगाके दाढ़ी साफ़ करता है (दुश्मन पर इस्तेमाल करने के लिए बेहतरीन )

और आखिर में

तेरे घर में मेरे बच्चे खेलेंगे …. लेकिन तुझे डैडी कहकर पुकारेंग…

डोंट ईग्नोर दिस… इट्स अ सीरियस शिट… कहने का मतलब… ये टट्टी गंभीर है ……

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