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एक झटके में मोदी ने कर दिया वो काम जिसे नेता सोच भी नहीं सकते थे !

लाल बत्ती संस्कृति

प्रधानमंत्री अपने कठोर और अटल फैसलों के लिए जाने जाते हैं.

पहले नोट बंदी और लाल बत्ती को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐसा फैसला किया है जिसको लेकर देश के नेताओं ने सपने में भी नहीं सोचा था.

देश में बढ़ते वीआइपी कल्चर पर अंकुश लगाते हुए मोदी सरकार ने सभी नेताओं, जजों तथा सरकारी अफसरों की गाड़ियों से लाल बत्ती हटाने का निर्णय लिया है. इनमें राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, राज्यों के मुख्यमंत्री व मंत्री तथा सभी सरकारी अफसरों के वाहन शामिल हैं.

अब केवल एंबुलेंस, फायर सर्विस जैसी आपात सेवाओं तथा पुलिस व सेना के अधिकारियों के वाहनों पर नीली बत्ती लगेगी. यह फैसला एक मई से लागू होगा.

लाल बत्ती संस्कृति

आपको बता दें कि ये लाल बत्ती संस्कृति बंद करने का एक ऐसा फैसला है जिसने देश में लाईलाज बीमारी की तरह पनप रही लाल बत्ती संस्कृति पर न केवल अकुंश लगेगा बल्कि सरकारों पर दवाब कम पड़ेगा, क्योंकि देखा गया है कि पूर्व में कई सरकारों ने अपने चहेेतों नेताओं को खुश करने के लिए अनाप शनाप ढंग से लाल बत्ती बांट दी थी.

यही नहीं, इस लाल बत्ती का इतना अधिक दुरूपयोग होने लगा था कि अपराधी पुलिस की नजरों से बच भागने के लिए लाल बत्ती का प्रयोग करने लगे थे. जिले का छुटभैया नेता भी अपनी गाड़ी पर लाल बत्ती लगाकर पुलिस को हड़काकर निकल जाता था.

लेकिन मोदी सरकार के इस ऐतिहासिक निर्णय के बाद न केवल वीआईपी कल्चर पर रोक लगेगी बल्कि जमीन और जनता से कट गए नेताओं को भी समझ आएगा कि लोकतंत्र में जनता ही सर्वोच्च है. जिससे लाल बत्ती पाने के बाद वे अक्सर दूरी बना लेते थे.

गौरतलब हो कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री की अगवानी करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिना किसी रूट के नियमित ट्रैफिक में एयरपोर्ट गए थे. शायद उस वक्त तक उन्होंने वीआइपी कल्चर पर अंकुश का निर्णय ले लिया था.

जबकि सुप्रीम कोर्ट अनावश्यक लाल बत्तियां हटाने का आदेश दे चुका था. कोर्ट ने 2014 में लाल बत्ती को स्टेट्स सिंबल बताते हुए कहा था कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों तथा एंबुलेंस, फायर सर्विस, पुलिस तथा सेना को छोड़ किसी को भी लाल बत्ती लगाने की जरूरत नहीं.

बहराल, इसको लेकर जहां जनता में सहारना हो रही है वहीं केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि यह आम लोगों की सरकार है. इसीलिए लाल बत्ती और सायरन वाले वीआइपी कल्चर को खत्म करने का फैसला किया है.

फैसले के तुरंत बाद नितिन गडकरी ने सबसे पहले अपनी कार की लाल बत्ती हटाई. इसके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पंजाब और गुजरात समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपनी कारों से लाल बत्ती हटाने का एलान किया.

योगी आदित्यनाथ ने पीएम के लाल बत्ती संस्कृति फैसले को दस दिन पहले ही यूपी में लागू कर दिया. यानी 21 अप्रैल से यूपी में लाल और नीली बत्ती लगी गाड़ियां नजर नहीं आएंगी.