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जानिये कैसे हम व्रत और उपवास रखने की असली वजह को भूल गए है !

व्रत रखने की परंपरा

भारत एक संस्कृति प्रधान देश है।

यहां पर त्योहारों की मुख्य भूमिका होती है और साथ ही इन त्योहारों में व्रत रखने की परंपरा भी है।

व्रत रखने की परंपरा एक तरह से ईश्वर के प्रति श्रद्धा दिखाने का माध्यम है, जिसे हर व्यक्ति बहुत निष्ठा से लेता है। देखा जाए तो भारत में हर दिन कोई न कोई उपवास जरूर होता है और सभी धर्मों के लोग व्रत को अपने तरीके से लेते हैं।

आपको बता दें कि भारतीय संस्कृति में व्रत को विभिन्न अर्थों से स्पष्ट किया है जिसमें पहला है संकल्प या दृढ़ निश्चय, मगर आध्यात्मिक रूप से उपवास को ईश्वर के समीप बैठना बताया गया है। जबकि वास्तव में व्रत का संबंध हमारे शारीरिक और मानसिक शुद्धिकरण से होता है। जो वर्तमान समय में व्रत के सही अर्थ को बदल रहा है। या कहें, व्रत लेने के पीछे यही वजह मुख्य रह गयी है।

वर्तमान समय में व्रत रखना श्रद्धा से ज्यादा सेहत को व्यवस्थित करने का एक माध्यम हो गया है। जो शरीर से एक्स्ट्रा फैट या भूख की आदत को सुधारने का सफल तरीका भी है। इन दो बातों के अलावा कई फायदें हैं जोकि वर्तमान समय में व्रत रखने की वजह होते जा रहे हैं।
ये कहा जाता है कि व्रत रखने से पांचन तंत्र को आराम मिलता है और शरीर में जमा विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैँ, जिससे हमारा पांचन तंत्र ठीक रहता है।

उपवास रखने से मन को शांत और स्थिर रहने का अवसर भी मिलता है।

इसके साथ व्रत लेने से नई रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं के बनने में मदद मिलती है। यह भी कहा जाता है कि व्रत करने से दिमाग भी स्वस्थ रहेगा। व्रत करने से डिप्रेशन और मस्तिष्क से जुड़ी कई समस्याओं को दूर किया जा सकता है। इस बात का भी अंदाजा लगाया जाता है कि व्रत के दौरान आपका खानपान कितना गलत है।

व्रत रखने से शरीर तो स्वस्थ रहता ही है साथ ही पेट से संबंधित बीमारियों की रोकथाम हो जाती है।

इससे कब्ज, गैस, एसिडीटी, सिरदर्द, बुखार, मोटापा जैसे कई रोगों का नाश होता है।

देखा जाए, वर्तमान समय में व्रत रखने की परंपरा स्वार्थ हो गया है जिसमें लोग सेहत से जुड़ी समस्याओं को निपटाने के लिए व्रत रखते हैं। इन सभी के पीछे उपवास का सही अर्थ खत्म हो गया है।