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नोट होने के बावजूद भी सरकार ने क्यों रॉक रखा है नोटों का सर्कुलेशन ?

नोटों का सर्कुलेशन

जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की उस समय सरकार के पास 2 हजार के नोट की करीब 5 लाख करोड़ रूपए की करेंसी थी, जिसमें से करीब एक लाख करोड़ की करेंसी तो अभी भी बची हुई है.

लेकिन इतनी करेंसी होने के बावजूद भी आरबीआई ने यह नोटों का सर्कुलेशन रोक रखा – पैसा बैंको को बांटने के लिए नहीं दिया.

लोग लाइन में पैसे के लिए तरसते रहे लेकिन सरकार ने यह पैसा उनकों नहीं बांटा.

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीमित मात्रा में जो करेंसी बैंकों को जारी करवाई उसके पीछे एक खास वजह थी. क्योंकि यदि बैंको को 2 हजार के सभी नोट बांटने के लिए दे दिए जाते तो, वे सब दोबारा से कालेधन के कारोबारियों के हाथों में आ जाते.

अगर ऐसा होता तो प्रधानमंत्री की ड्रग्स और हवाला करोबार करने वालों को सबक सिखाने की मुहिम बेकार चली जाती.

क्योंकि यदि ये पूरा पैसा बाजार में आ जाता तो पहले तो इसमें से जनता को पूरा पैसा नहीं मिलता. ये सब बैंकों की सेटिंग्स से सफेद हो जाता. जैसा कि अभी कुछ मामले में पकड़ में भी आए हैं.

दूसरे यदि ये पैसा जनता के हाथ में आता तो कालेधन वाले लोगों को कुछ लालच देकर उसको सफेद कर लेते. मान लो 5 में से 3 लाख करोड़ रूपए बाजार में आ जाते तो उनसे करीब 4 लाख करोड़ रूपया आसानी से ब्लैक से व्हाइट हो जाता.

यही कारण था कि सरकार ने लोगों को सीमित मात्रा में पैसा देने की रणनीति बनाई. ताकि लोग अपनी जरूरत का पैसा ही निकाल पाए. जबकि चेक और ई बैंकिंग पर कोई रोक नहीं थी. लोग इससे कितना भी लेन देन कर सकते थे.

शहरों और गांवों में जो लोग ई ट्रांजिक्शन कर सकते हैं वे उसके जरिए लेने देन करे.

नोटबंदी के बाद करेंसी की स्थिति की जानकारी हासिल करने के लिए डाली गई आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक नोटबंदी यानी 8 नवंबर से पहले आरबीआई ने तकरीबन 5 लाख करोड़ रुपये के 2000 के नोट छाप लिए लिए थे. लेकिन 19 दिसंबर तक आरबीआई ने करीब 4 .07  लाख करोड़ रुपये मूल्य के नए नोट ही बैंकों को उपलब्ध कराए. यानी नोटबंदी के पहले छपे नोटों में से तकरीबन 1 लाख करोड़ रुपये अब भी बैंको के पास ही बचे हुए हैं, नोटों का सर्कुलेशन रोक रखा है.

आपको बता दें कि 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद भी नए नोटों के छपने का काम जारी रहा और माना जा रहा है कि इस दौरान प्रिंटिंग प्रेसों ने पूरी क्षमता के साथ नोट छापे.

अनुमान है कि 19 दिसंबर तक तकरीबन 7 लाख करोड़ रुपये छप चुके थे.

ऐसे में यह जो सवाल बार बार उठता था कि सरकार ने नोटबंदी से पहले पूरी तैयारी नहीं की थी और जल्द बाजी में ये फैंसला ले लिया उसके पीछे असल वजह यही थी कि पर्याप्त मात्रा में करेंसी होने के बावजूद आरबीआई ने नोटों का सर्कुलेशन रोका और बैंको को पैसा रोक रोक कर दे रही थी.