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मोदी सरकार का अब आरबीआई से पंगा

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया – सीबीआई के बाद अब मोदी सरकार पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भी विवाद उठा रहा है.

सभी का कहना है की मोदी सरकार देश की बडी-बडीसंस्थाओ को बर्बाद करने में लगी है. लेकिन बात इतनी सीधी नहीं है इसमें केवल मोदी सरकार का ही दोष नही, तो आइए जानते हैं आरबीआई के इस पूरे विवाद के बारे में-

रिजर्व बैंक कर्मचारी संघ यानी एआईआरबीईए ने एक प्रेस रिलीज की है जिसमें कुछ लिखा है. इस को पढ कर आरबीआई और मोदी सरकार के बीच के विवाद का ज्यादातर मसला समझ आ जाता है.

मोदी सरकार का रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मसलो में दखलअंदाजी करना

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के डेप्टी गवर्नर डॉ विरल आचार्य ने कई ऐसे उदाहरण दिए जिनसे ये साफ साबित होता है की सरकार ने आरबीआई की भूमिका को कम करने की मांग की है या फिर आरबीआई से कई ऐसे अधिकार छिनने की बात की है जिससे आरबीआई अपंग हो सकता है. आरबीआई ने इन सभी मांगो को स्वीकारने से मना कर दिया.

कर्मचारी संघ की माने तो सरकार और आरबीआई के बीच का ये विवाद कोई नया नहीं है और इस विवाद में केवल मोदी सरकार शामिल नहीं हैं बल्कि पी चिदंबरम और डॉ. डी. सुब्बा राव भी इसमें शामिल हैं. जिस दौर में पी चिदंबरम वित्त मंत्री थे तब भी सरकार और आरबीआई के बीच माहौल बेहद गरमा-गरमी का हो गया था. लेकिन अब स्थिति बद से बदतर हो चुकी हैं.

मोदी सरकार और आरबीआई के बीच विवाद इतना बढ चुका है की वित्त मंत्री के द्वारा की जा रही निरंतर निंदा के चलते डॉ आचार्य को अपनी बात बेहद नारजगी और निराशा से करनी पड रही है. सरकार, आरबीआई के खिलाफ “विशेष दिशा” की मांग कर रही है, जिससे आरबीआई के लिए नीतियो का निर्माण करना मुश्किल हो जाएगा.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया

इस के बाद सरकार को एसोसिएशन ने चेतावनी देते हुए कहा की वह आरबीबाई पर हुकुमत चलाने की बजाए दोनो पक्षो के बीच सलाह मशवरा कर बात को सुलझाने की कोशिश करे. साथ ही उन्होने कहा की सरकार को कोई सुधारे और समझाए की आरबीआई को विधियो, जनादेशो, प्रथाओ के अनुसार मुक्त रूप से अपनी नौकरी करने दे.

दूसरी ओर सरकार और भी भडक उठी और उन्होने कहा की रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी जिस तरह सरकार और केंद्रीय बैंक के विवाद को सार्वजनिक कर रही है उससे निवेशको के आगे देश की छवि खराब हो सकती है.

एक सरकारी अधिकारी ने कहा की यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है की रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इस मामले को सार्वजनिक किया, इसे लेकर सरकार बेहद चिंतित है और आरबीआई से नाराज भी.

मोदी सरकार द्वारा चली गई चाल

बता दे की सरकार और आरबीआई के बीच ये विवाद काफी पहले से चलता आ रहा है, जिसके शुरूआत नोटबंदी से हुई. मोदी सरकार ने नोटबंदी से कुछ समय पहले ही उर्जित पटेल को भारतीय रिजर्व बैंक का चौबीसवा गवर्नर जर्नल नियुक्त किया था. उर्जित पटेल मोदी सरकार के बेहद खास माने जाते थे. यही हाल आरबीआई के नंबर टू का भी हैयानी डिप्टी गवर्नर डॉ. विरल आचार्य, उन्हे भी मोदी सरकार द्वारा आरबीआई में नंबर टू पर नियुक्त किया गया था.

इसके चलते नोटबंदी के दौरान हुए सभी घोटाले और नाकामयाबीयो का चिट्ठा मोदी सरकार की जगह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया पर फाडा गया. और आरबीआई को काफी निंदा का सामना करना पडा.