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बॉलीवुड में महिलाओं की आजादी पर कई फिल्में बनी लेकिन वीर योद्धा रानी लक्ष्मीबाई पर नहीं बनी कोई फिल्म !

रानी लक्ष्मीबाई

रानी लक्ष्मीबाई – महिलाओं से संबंधित विषयों पर आधारित फिल्में बॉलीवुड में साल-दर-साल रिलीज हो रही है।

इन सभी फिल्मों में महिलाओं पर होने वाली समसामयिक घटना व उनके उत्थान के प्रति आवाज़ को सशक्त किया गया है। हालांकि महिलाओं पर केन्द्रीत इन सभी फिल्मों में उस वीर योद्धा के ईर्दगिर्द एक फिल्म भी तैयार नहीं हुई है। जिसकी कथा हर महिला ने अपने बचपन में सुनी जरूर होगी।

रानी लक्ष्मीबाई

‘खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी’। यह संदर्भ पढ़कर आप समझ ही गये हो कि यहां बात झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के बारे में चर्चा हो रही है। जिनका बचपन से लेकर जवानी तक का बचपन सदैव युद्धभूमि पर ही बीता। लक्ष्मीबाई की कथा आमतौर पर महिलाओं में सशक्तिकरण जागृत करने हेतु सुनायी जाती रही है। लेकिन दुनिया में जहां हर वक्त महिलाओं के संदर्भ में चर्चाएं हो रही हैं वहां झांसी वाली रानी लक्ष्मीबाई पर एक फिल्म भी रिलीज नहीं हुई है।

अगर फिल्म की सामग्री के संदर्भ में रानी लक्ष्मीबाई की कथा कही जाए, फिर उनकी कथा में किरदार से लकेर कहानी व द्वन्द भी शामिल है। जिससे किसी फिल्म की कहानी तैयार की जा सकती है। बॉलीवुड की उदासीनता के इतर दोबारा पढ़ते हैं रानी लक्ष्मीबाई का संघर्षपूर्ण जीवन की कथा।

रानी लक्ष्मीबाई का जन्म काशी में सन् 1828 में हुआ था। उनके पिता मोरोपंत ताम्बे, बिठुर में न्यायालय में पेशवा थे। इसी कारण रानी इस कार्य से प्रभावित थी। रानी को बचपन से ही अधिक स्वतंत्रता प्राप्त थी। उन्होंने बचपन में शिक्षा के साथ-साथ आत्मरक्षा, घुड़सवारी, निशानेबाजी और घेराबंदी का प्रशिक्षण भी लिया था। उनकी माता भागीरथी बाई एक गृहणी थी जो लक्ष्मीबाई की 4 वर्ष की आयु में ही स्वर्गवास हो गयी थी।

रानी लक्ष्मीबाई को यह नाम शादी के बाद मिला था। उनका विवाह झांसी के महाराज गंगाधर राव नेवलेकर के साथ संपन्न हुआ था। झांसी में विवाह के पश्चात ही लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध संघर्ष किया था। जिस दौरान रानी लक्ष्मीबाई ने राज्य के संरक्षित हेतु अपने सिपाहियों साथ जमकर युद्ध किया।

संघर्ष की जीवन कथा

रानी लक्ष्मीबाई को ब्रिटिश सरकार के साथ मिलने का न्योता मिला , लेकिन उन्होंने ब्रिटिश अफसरों को यह कहकर मना किया की वह झांसी किसी को नहीं देंगी। झांसी की सुरक्षा के लिए उन्हें अन्य राज्यों से सहायता भी लेनी पड़ी थी। इस युद्ध में पुरुष के साथ महिलाएं भी शामिल थी। वर्ष 1854 के बाद अंग्रेजों ने वर्ष 1858 में सर ह्यू रोज के नेतृत्व में झांसी पर हमला कर दिया। तब झांसी का नेतृत्व तात्या टोपे ने संभाला हुआ था। हालांकि 2 सप्ताह लड़ाई के दौरान अंग्रेजों ने नगर पर कब्जा कर लिया। इसके बाद अंग्रेजों ने वहां पर लूट-पाट शुरु कर दी थी। लेकिन इनके बीच रानी वहां से अपने दत्तक बेटे दामोदर राव के साथ बचने में सफल रहीं।

इस वर्ष ह्यू रोज ने काल्पी पर आक्रमण कर दिया, मगर रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी वीरता और तार्किक रणनीति के साथ ह्यू को परास्त कर दिया थ। इससे अंग्रेजों को पीछे हटना पड़ा। लेकिन ह्यू ने काल्पी पर दोबारा हमला कर इस बार लक्ष्मीबाई को हरा दिया था।

अंग्रेजी शासन से झांसी को बचाने के लिए रानी ने साहसिक युद्ध लड़ा, युद्धोपरांत वर्ष 17 जून 1858, के दिन रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हो गयी।

रानी लक्ष्मीबाई जैसी उदाहरण होते हुए भी बॉलीवुड ने महिलाओं की जागृति हेतु उनपर फिल्म निर्माण किया ही नहीं ।