ENG | HINDI

रामनाथ कोविंद : शून्य से शिखर तक पहुँचने का सफर!

रामनाथ कोविंद का जीवन सफ़र

रामनाथ कोविंद का जीवन सफ़र – रामनाथ कोविंद एक ऐसा नाम जिसे कुछ दिनों पहले तक सिर्फ सिमित लोग ही जानते थे, लेकिन आज वे भारत के 14 वें राष्ट्रपति बन है और उन्हें अब पूरी दुनिया जानने लगी है।

लेकिन क्या आप जानते है एक साधारण से परिवार का ये आम आदमी कैसे भारत का राष्ट्रपति बन गया?

आज हम आपको रामनाथ कोविंद के शून्य से शिखर तक पहुँचने की कहानी बताने जा रहे है।

रामनाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को कानपुर के डेरापुर तहसील में हुआ था। वे एक साधारण से परिवार में जन्में थे उनके पिता का नाम माइकूलाल और उनकी माता का नाम कलावती है।

रामनाथ कोविंद ने अपनी शुरुआती पढ़ाई डेरापुर तहसील से ही की। बाद में उन्होंने बीकॉम और एलएलबी की डिग्री हासिल की है, ये डिग्रियां उन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय से हासिल की है। वे छात्र जीवन से ही स्त्रियों और पिछड़ी जातियों के हक़ के लिए आवाज़ उठाते रहे है। अब तक उनकी मेहनत से संविधान में 3 संशोधन किये गए है ताकि पिछड़ों को उनका हक़ मिल सके।

एलएलबी की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने वकालत में कदम रखा और हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में 1993 तक वकालत की।

इस दौरान वे भाजपा के संपर्क में आये और उन्होंने वकालत छोड़ दी।

साल 1994 में उन्हें उत्तरप्रदेश से राज्यसभा का सांसद चुना गया। मार्च 2006 तक वे राज्यसभा में रहे इस दौरान वे काफी सक्रिय रहे और उन्होंने अपने क्षेत्र के लिए कई उत्कृष्ट कार्य किये।

वे अब तक कई संसदीय कमिटियों के सदस्य भी रह चुके है जिनमें पार्लियामेंट्र कमिटी ऑन वेलफेयर ऑफ़ सेड्युल कास्ट एंड ट्राइब्स, पार्लियामेंट्री कमिटी ऑन होम अफेयर्स, पार्लियामेंट्री कमिटी ऑन सोशल जस्टिस आदि।

वे 2002 में यूनाइटेड नेशंस में भारत का प्रतिनिधित्व भी कर चुके है।

उन्होंने अनुसूचित जाति और जनजातियों और महिलाओं के हक़ के लिए कई लड़ाईयां लड़ चुके है।

वे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव भी रह चुके है। उनके बारे में कहा जाता है कि वे जब वकालत किया करते थे तब दलितों और पिछड़ों के केस लड़ने के लिए कोई पैसा नहीं लेते थे। उन्हें अगस्त 2015 में बिहार का राजपाल बनाया गया था।

लेकिन अब वे देश के 14वें महामहिम बन चुके है।

ये है रामनाथ कोविंद का जीवन सफ़र – राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जीवन सफ़र आज किसी इंस्पिरेशन की किताब से कम नहीं है। एक साधारण से परिवार से भारत जैसे बड़े और शक्तिशाली देश का राष्ट्रपति बनने तक का सफ़र तय करना अपने आप में किसी उपलब्धि और चमत्कार से कम नहीं है।