धर्म और भाग्य

जानिये रमजान के रोजे का शारीरिक असर

रोजा – साउदी अरब, सयुक्त अरब अमीयात यानी यूएई और अन्य खाड़ी देशों में 16 मई से रमजान की शुरूआत हो गई थी, लेकिन भारत में रमजान का महीना 17 मई से शुरू हुआ।

इस महीने में दुनियाभर के मुस्लिम व्रत यानी रोजा रखते है। रमजान के महीने में मुस्लिम समाज के लोग 29 से 30 तीनों तक रोजा रखते है। इस रोजे के दौरान वह सुबह सूर्य उगने से पहली सहरी खाते है और सूर्य ढ़लने के बाद इफ़्तार खाते है। इसके अलावा बचे समय में वह ना ही तो कुछ खा सकते है और ना ही कुछ पी सकते है।

रमजान में दिन का आहार लेने के बाद सुबह सुबह नमाज भी पढ़ी जाती है।

आखिर क्यों रखते है रमजान में रोजे

मुस्लिम ग्रंथ कुरान के अनुसार “तकवा” करना बेहद जरूरी माना जाता है। कुरान में इस शब्द को 251 बार परिभाषित किया गया है जिसका अर्थ है “अल्लाह का डर”। कुरान के अनुसार इस शब्द का एक और अर्थ परिभाषित किया गया है, जिसका अर्थ है “इंसान को हैवानी सिफात से निकाल कर… रहमानी सिफात व रब्बानी अखलाक से संवारने वाला एक पाकिजा अमल”। रमजान के पवित्र महीनें के इन 30 दिनों के दौरान यही होता है, जिसमें लोग अपने लालच पर बैन लगा अपनी आत्मा का शुद्धीकरण करते है। मुस्लिम समुदाय के लोगों का मानना है ऐसा करने से अल्लाह उनके सालभर के गुनाहों और गलतियों को माफ कर देता है।

रोजे का शब्बदिक अर्थ

रोजे को अरबी में सोम कहते है जिसका मतलब है रूकना। रोजा यानि तमाम बुराइयों से रूकना और परहेज करना। अपनी जुबान से गलत या बुरा नहीं बोलना, अपनी आखों से गलत नहीं देखना, कानों से गलत नहीं सुनना, किसी बात पर नाजायज अमल नहीं करना और किसी को किसी के बारे में भला बुरा नहीं कहना।

रमजान के रोजे का शारीरिक असर

  1. दूर होती है खाने पीने की बुरी आदतें

रोजा रखकर खाना सामने होते हुए भी खाना ना खाना हमारे शरीरिक और मानसिक दोनों को नियंत्रण में रखना सिखता है। आम दिनों में हम अक्सर पूरे दिन उल्टा खाना खाते रहते है। रमजान का महीना इन्हीं आदतों पर रोक लगाना सिखाता है।

  1. पाचन क्रिया को आराम मिलता है।

हम आम दिनों में जितना खाना खाते है , यह हमारे पाचन तंत्र को बढ़ा देता है। हमारे खाने के बाद उसे पचाने के लिए पाचन को अपना काम शुरू करना पड़ता है। पाचन क्रिया में एक सुचारू समय लगता है और कई बार हम उस समय के पूरा होने से पहले ही दुबारा का लेते है, जिसकी वजह से हमारी पाचन क्रिया में गड़बड़ी आ जाती है। रमजान के दौरान एक महीना रोजदारों की पाचन क्रिया को काफी आराम मिलता है। इससे उनकी क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

  1. शरीर को डीटॉक्स होने का मौका

साल का ये एक महीना अगर आप रोजे रखते है तो ये एक मौका है जिसमें आपका शरीर डिटॉक्स होता है। जब आप दिन भर कुछ नहीं खाते, तो आपके शरीर में अंदरूनी सफाई आसानी से हो जाती है। आम दिनों में दिनभर कुछ ना कुछ खाते रहने से आपका पेट भरा रहता है, तो आपकी बॉडी डिटॉक्सीफाई नहीं हो पाती।

  1. मोटापे में कमी आती है रमजान के दौरान

जिन लोगों का मोटापा उनके खान-पान के कारण होता है उन लोगों का मोटापा रमजान के दौरान रोजे रखने से काफी हद तक घट जाता है। कई लोग तो रमजान के दौरान खास तौर पर फलों का सेवन कर अपने मोटापे व खानेपीने पर कंट्रोल कर लेते है।

इसलिए रमजान के महीने में जहां एक ओर आपको धार्मिक तौर पर संतुष्टि मिलती है वहीं दूसरी ओर आपका शारीरिक और मांसिक मनोबल भी बढ़ता है।

Kavita Tiwari

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