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डिजिटल इंडिया का सपना दिखाने वाली बीजेपी नहीं छोड़ रही राम मंदिर का मुद्दा

राम मंदिर का मुद्दा

राम मंदिर का मुद्दा – हमारा देश भले ही धर्मनिरपेक्ष हो, मगर यहां धर्म और राजनीति का घालमेल बरसों से रहा है और ये एक-दूसरे से इस कदर जुड़ चुके हैं कि इन्हें अलग नहीं किया जा सकता.

हर बार चुनाव आते ही अयोध्या के राम मंदिर का मुद्दा अपने आप सुर्खियों में छा जाता है. बीजेपी नेताओं के साथ ही आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी खुलेतौर पर एक बार फिर कहा है कि राम मंदिर किसी भी कीमत पर बनकर रहेगा.

समझ में नहीं आता कि रोजगार और विकास का मुद्दा छोड़कर ये नेता लोग मंदिर-मस्जिद के पीछे क्यों पड़  जाते हैं और जनता भी तो मूर्ख ही है जो उनकी ऐसी बातें सुनती है. इस वक़्त हमारे देश में बेरोज़गारी एक गंभीर समस्या है जो आने वाले सालों में और बढ़ने वाली है, ऐसे में नेताओं का मंदिर का राग अलापना कहा की समझदारी लगती है. बीजेपी बाद तो करती है डिजिटल इंडिया बनाने की, मगर दशकों पुराने धर्म का दामन भी नहीं छोड़ना चाहती.

हिंदुत्व के नाम पर वोट बंटोरने के लिए राम मंदिर का मुद्दा ज़िंदा रखना ज़रूरी है ये बात बीजेपी अच्छी तरह जानती है, शायद इसलिए तो भागवत से लेकर यूपी के सीएम योगी तक मंदिर का मुद्दा उछालते रहते हैं. कुछ दिनों पहले योगी ने भी कहा था कि यदि उनकी सरकार आती है तो सालभर के अंदर राम मंदिर बन जाएगा. कैसे बनेगा ये तो पता नहीं, क्योंकि ये मामला फिलहाल अदालत में है.

योगी के अलावा अमित शाह भी साफ कर चुके हैं कि उनकी सरकार आने पर जल्द ही संवैधानिक तरीके से मंदिर बनाने का रास्ता निकाला जाएगा.

अच्छा तो ये होता है कि यह नेतालोग कहते कि दोबारा सत्ता में आने के बाद नौकरी और रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएंगे. गांव-कस्बों में बुनियादी सुविधाएं दी जाएंगी, लेकिन नहीं. ऐसा कहने से धर्म के नाम पर मिलने वाला वोट जो नहीं मिलेगा. वैसे हमारे देश की जनता भी कम मूर्ख नहीं है, वो खुद भी तो हमेशा धर्म के नाम पर बंट जाती है, तभी तो राजनीतिक दल उनका फायदा उठाते है.

अगर जनता ये ठान ले कि उन्हें विकास और रोजगार चाहिए और नेताओं की धर्म वाली बातों को सुने ही नहीं, उनके ऐसे भाषणों का बायकॉट करे तो वो खुद ब खुद लाइन पर आ जाएंगे.

राम मंदिर का मुद्दा – वैसे भी एक मंदिर बन जाने से अरबों की आबादी वाले इस देश का क्या भला होगा, क्या इससे नौकरियों की बाढ़ आ जाएगी? गरीबी खत्म हो जाएगी? नहीं न, तो मंदिर का मुद्दा छोड़िए और विकास की बात करिए नेताजी.