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राम मंदिर आंदोलन में अगर मुकदमा चला तो जोशी और आडवाणी को उठाना पड़ सकता है ये नुकसान

लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से आया ताजा बयान भाजपा के बड़े नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की मुश्किलें बढ़ा सकता है.

अगर ऐसा होता है तो दोनों नेताओं के भावी सपने को ब्रेक लग सकता है.

क्योंकि लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी दो भाजपा के ऐसे वरिष्ठ नेता है जिनको लेकर संभावना है कि अगर भाजपा की ओर राष्ट्रपति के पद के लिए दो कोई प्रमुख दावेदार है तो उनमें आडवाणी और जोशी ही प्रमुख हैं.

लेकिन हाल में सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मामले में आरोपी रहे भाजपा के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती के खिलाफ चल रहे केस की सुनवाई में हो रही देरी पर चिंता जाहिर की है.

कोर्ट ने तो यहां तक कहा है कि केस के जल्द निपटारे के लिए अगर जरुरी हो तो वो तीनों आरोपियों के खिलाफ लखनऊ और रायबरेली कोर्ट में अलग-अलग चल रहे मामलों की सुनवाई एक साथ कर सकता है.

गौरतलब है कि कोर्ट ने रायबरेली में चल रहे बाबरी विध्वंस के एक अन्य मामले को लखनऊ भेजने की बात कही है, जहां पहले से ही एक मुख्य मामले की सुनवाई चल रही है. सीबीआई ने भी इस पर सहमति जताई है.

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने ये भी संकेत दिया कि इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित 13लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने का मामला एक बार फिर से खोला जा सकता है.

यदि ऐसा होता है तो आडवाणी जोशी के लिए राष्ट्रपति पद की दौड़ में बने रहने में मुश्किल होगी. क्योंकि उस वक्त विपक्ष इस मामले को पूरे जोर शोर के साथ उठाएगा. उस स्थिति में प्रधानमंत्री मोदी के सामने भी इनके नामों को लेकर चुनौती होगी.

क्योंकि यदि नामांकन को लेकर किसी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया तो ऐसे में केंद्र सरकार के लिए बहुत मुश्किल होगी. लिहाजा उस स्थिति में मोदी के पास भी इन नेताओं के बचाव के विकल्प बहुत सीमित होगें जिस कारण वो भी राष्ट्रपति पद की दावेदारी पर इनके नामों से बचना चाहेंगे.

ऐसी स्थिति में इन दोनों नेताओं के सामने सबसे बड़ा संकट इस चुनौती से निपटना है.