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रक्षाबंधन की शुरुआत कब हुई – जानिये रक्षाबंधन से जुड़ी कई अनोखी कहानियां

रक्षाबंधन की शुरुआत

रक्षाबंधन की शुरुआत कैसे हुई?

भारत में रक्षा बंधन सब मनाते तो है लेकिन रक्षाबंधन की शुरुआत कब, कहाँ, कैसे और किसके द्वारा हुई यह बात बहुत कम लोग जानते है.

शास्त्रों  में मान्यताओं और कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन से जुड़ी कई अनोखी कहानियां है, जिससे रक्षाबंधन की शुरुआत होने की बात कही जाती है.

तो आइये जानते है रक्षाबंधन की शुरुआत कैसे हुई .

पहली मान्यता

  • भगवान विष्णु के वामन अवतार में जब राजा बलि के दान से खुश होकर विष्णु ने राजबली से वरदान मांगने को कहा, तब राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपने साथ पाताल लोक में साथ रहने को कहा. भगवन विष्णु बलि के संग पाताल लोक रहने चले गए.
  • इससे लक्ष्मी देवी दुःखी और परेशान हो गई और रूप बदल कर राजा बलि के पास जा पहुंची.
  • राजा बलि के सामने जाकर रोने लगी और जब बलि ने उसके रोने का कारण पूछा तब लक्ष्मी देवी ने अपने कोई भाई ना होने की बात कही. इस तरह राजा बलि लक्ष्मी माता के भाई बनकर उसकी वह इच्छा पूरी की.
  • जब लक्ष्मी माता ने राजा बलि को राखी बाँधी  तब राजा बलि ने अपनी बहन को उपहार मांगे को कहा .
  • तब माता लक्ष्मी ने उपहार में अपने पति भगवान विष्णु को माँगा और पाताल लोक छोड़ कर अपने साथ जाने की बात कही.
  • राजा बलि वचनबद्ध थे इसलिए बहन की इच्छा पूरी की और भगवान विष्णु को लक्ष्मी के साथ जाने दिया.
  • वह समय सावन पूर्णिमा का था तब से राखी बांधकर रक्षा बंधन मनाया जाता है – ये रक्षाबंधन की शुरुआत थी.

दूसरी मान्यता

  • द्रोपदी और कृष्णा के बीच बहुत गहरा प्रेम था. दोनों सखा थे और द्रोपदी कृष्ण से विवाह करना चाहती थी.
  • लेकिन भगवान कृष्ण को महाभारत और गीता का ज्ञान था. वे जानते थे कि द्रोपदी का विवाह पांडव से संभव था.
  • जब द्रोपदी से कृष्ण के विवाह की चर्चा शुरू हुई, तब कृष्ण ने द्रोपदी का विवाह अर्जुन से करने का जिक्र कर दिया और नियति के अनुसार द्रोपदी का विवाह अर्जुन से तय हो गया.
  • एक दिन द्रोपदी पांडव परिवार और आपसी कटुता से दुखी होकर शांत बैठकर रो रही थी.
  • तब कृष्ण सखा होने के नाते द्रोपदी के पास आकर उसको दुखी देख दुःख का कारण पूछा.
  • द्रोपदी ने अपने भविष्य की उदासीनता  और उनके बीच  में अपनी सुरक्षा के प्रति  चिंता व्यक्त की.
  • कृष्ण ने उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने सर पर ली और वचनबद्ध हो गए. द्रोपदी ने कृष्ण को उसके वचनबद्धता को याद रखने के लिए अपने रेशमी कपडे से एक हिस्सा फाड़कर कृष्ण की कलाई में बांध दिया. ताकि आजीवन उनको अपना दिया रक्षा वचन हमेशा याद रहे.
  • तब से रक्षाबंधन की शुरुआत की बात कही जाती है.

रक्षा बंधन का मतलब सिर्फ भाई बहन का रिश्ता नहीं होता बल्कि रक्षा बंधन का मतलब रक्षा के लिए  प्रतिबद्ध, होकर उस बंधन को निभाने के लिए वचनबद्ध होकर बंधन में बंधना होता है.

रक्षा बंधन सिर्फ भाई बहन का नहीं बल्कि स्त्री की रक्षा करने वाले हर रिश्ते और है इंसान  के लिए होता है रक्षाबंधन का त्यौहार.