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जब राजीव गाँधी बोले – “तलाक लो और फिर मेरे पास आओ…”

मार्गरेट अल्वा

भारत के प्रधानमंत्री रहे स्वर्गीय राजीव गांधी की छवि एक शांत और सौम्य नेता की रही है.

मंच या सभाओं में उनकों कभी गुस्सा करते हुए नहीं देखा गया. लेकिन उनको गुस्सा आता था. गुस्सा भी कोई ऐसा वैसा नहीं. कब किसको क्या बोल दें, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है.

इसका खुलासा किया है राजस्थान व उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल रही कांग्रेस नेता मार्गरेट अल्वा ने.

जल्द ही उनकी किताब ‘करेज एंड कमिटमेंट’बाजार में आने वाली है. इसमें उन्होंने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नरसिम्हा राव और सोनिया गांधी के साथ अपने अनुभव को साझा किया है.

किताब में मार्गरेट अल्वा ने खुलासा किया है कि जब राजीव गांधी की सरकार शाह बानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बाइपास करने पर विचार कर रही थी तो उस वक्त उन्होंने राजीव गांधी को सलाह दी थी कि वे मौलवियों के सामने झुकने के बजाए महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए सख्त निर्णय लें.

इतना सुनते ही राजीव गांधी चिल्लाकर बोले ”तलाक लो और फिर मेरे पास आओ. मैं तुम्हे बताऊंगा कहां जाना है।”

मार्गरेट अल्वा ने बताया कि उन सहित तमाम कांग्रेसियों को यही उम्मीद थी कि इस मुद्दे पर राजीव गांधी मुस्लिम कटरपंथियों के आगे स्टैंड लेंगे लेकिन वे झुक गए.

करेज एंड कमिटमेंट’नाम से जल्द बाजार में आ रही इस किताब में उस खत को भी शामिल किया गया है जिसमें उन्होंने वर्ष 2008 में कर्नाटक चुनावों में पार्टी में पैसे लेकर टिकट बेचने का आरोप लगाया था.

मार्गरेट अल्वा के इस आरोप के बाद सोनिया गांधी उनसे नाराज हो गई थी और इस्तीफा ले लिया था.

अल्वा ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस के उस कदम की भी आलोचना की है जिसमें उसने नरसिम्हा राव के अतिंम समय में हिकारत का बर्ताव किया. अल्वा ने इसे दुखद घटना की संज्ञा दी है. गौरतलब हो कि नरसिम्हा राव की मृत्यु के बाद उनको वह सम्मान नहीं मिला जो कांग्रेस के अन्य प्रधानमंत्रियों को मिला था.

मार्गरेट अल्वा की किताब में खुलासा किया है कि सोनिया राव सरकार के उस निर्णय से खफा थी जिसमें उन्होंने बोफोर्स मामले में दिल्ली सरकार के फैसले के खिलाफ अपील करने का निर्णय लिया था. तब सोनिया ने पूछा था, प्रधानमंत्री क्या करना चाहते हैं? वे मुझे जेल भेजना चाहते हैं?

आप को बतां दे कि नरसिम्हा राव पद आरोप लगता रहा है कि जब वे प्रधानमंत्री थे, तो सोनिया गांधी सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की जासूसी करवाते थे.