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राजीव गांधी के हत्‍याकांड से जुड़े ये कुछ अनसुलझे सवाल

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राजीव गांधी का जब भी नाम लिया जाता है, आखों के सामने एक मुस्कूराहट से भरा एक नवजवान चेहरा सामने आता है. जिसे अधिक से अधिक लोगों के दिलों में पहुच कर अपने माँ का सपना पूरा करना था.

ये वही नेता है जिसने आज के ज़माने की जरुरत को ३४ वर्ष पहले ही पहचान ली थी.

भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के पुत्र और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पौत्र थे राजीव गांधी. जो भारत के विकास की गाथा आने वाले समय को देखते हुए लिखना चाह रहे थे, भारत में कम्प्यूटर लाने की सोच उन्ही की है जिसका कुछ बड़े राजनेताओ ने विरोध भी किया था.

कब हुई थी राजीव गांधी की मौत?

31 अक्टूबर 1984 को राजीव गांधी ने देश के छठे प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली.

सन 1984 से 1989 तक वह देश के प्रधानमंत्री रहे. वर्ष 1989 के चुनाव के उपरांत देश में जनता दल की सरकार बनी, पर यह ज्यादा समय न चल सकी. बाद में चंद्रशेखर की सरकार राजीव गांधी के सहारे कुछ महीने चली और आखिरकार वह भी गिर गई.

सन 1991 में पुन: चुनाव की घोषणा हुई. राजीव गांधी जमकर चुनाव प्रचार कर रहे थे. चुनाव का प्रथम चरण 20 मई 1991 को खत्म हुआ. 20 मई 1991 को उन्होंने दिल्ली में मतदान किया. इक्कीस मई को वह उड़ीसा और तमिलनाडु में चुनाव प्रचार के लिए निकले. 21 मई 1991 को रात 10:20 मिनट पर चेन्नई से 30 मील दूर श्रीपेरुंबुदूर में चुनावी सभा के दौरान एक आत्म घाती मानव बम के विस्फोट ने युवा होनहार, एक ईमानदार प्रधानमन्त्री की जान ले ली.

कोन था इस ह्त्या का जिम्मेदार ?

राजीव गांधी इस बात से अनभिज्ञ थे कि उनके खिलाफ बड़ी साजिश रची जा रही हैं.

यही एक बड़ा कारण था जो राजीव गांधी पर हमले को लेकर सभी निश्चिंत थे. किंतु देश के लिए यह शर्मसार कर देने वाली बात थी जो उनकी हिफाजत तमाम एजेंसियां और पुलिस भी नहीं कर पायी. जांच रिर्पोट में देश की जनता और राजीव गांधी के परिवार के सदस्यों को बताया गया कि राजीव गांधी की जघन्य हत्या लिट्टे की धनु नाम की महिला जो मानव बम थी, उसके माध्यम से की गई.

नलिनी एवं उसके अन्य सहयोगी पकड़े गए और उनके ऊपर कार्यवही हुई. फिर बाद में नलिनी की दया याचिका भी राष्ट्रपती के सामने आई थी,  दूसरी तरफ प्रभाकरन एवं अन्य भगोड़े घोषित किए गए.

अनसुलझे सवाल

1.  हत्याकांड की जांच चलते वक़्त किन किन लोगों ने किस तरह से अपने बयान दर्ज किये? एजी डॉस और लताप्रिया कुमार के पक्ष में किस तरह की दलील दी गई, और कितना सटीक दी गयी?

2.  पुलिस प्रयासों के बावजूद षणमुगन नहीं पकड़ा जा सका. दूसरे दिन वह एक लुंगी और रस्सी से फ़ासी का फंडा बनाकर आत्म हत्या कर लेता है. हत्याकांड के प्रमुख सूत्रधार आखिर पुलिस को जिंदा क्यों नहीं मिले. पुलिस सच में लाहपर्वाह थी या और भी कुछ बात थी इसके पीछे. जिसके चलते वो तथ्यों और साक्ष्यों को मजबूती से नहीं पकड़ रही थी.

3.  शिवरासन राजीव हत्या कांड का प्रमुख सूत्रधार था और इसे उसी के साथी ने आखिर गोली मारी. बेंगलूरु पुलिस और एसआईटी, सीबीआई ने बेंगलूरु में शिवरासन को उसके मकान में घेर लिया था. फिर भी उसे पकडऩे के लिए पुलिस को एनएसजी के लिए 36 घंटे इंतजार क्यों करना पड़ा? इन 36 घंटों के दौरान शिवरासन ने कई महत्वपूर्ण वीडियो और दस्तावेज जलाए. इसके बाद सात लोग सायनाइड खाकर मर गए. या यु कहा जाये की पुलिस ने उसे सबूतो को मिटाने का वक़्त जान बूझकर दिया?

4.  हत्या के बाद वहां उपलब्‍ध महत्वपूर्ण साक्ष्यों में हरिबाबू का कैमरा नियमों के विपरीत क्यों हैंडल किया गया. आखिर क्या वजह रही की उसे नियमतः नहीं यूज किया गया.

5.  हत्या के बाद आईबी निदेशक एमके नारायणन ने 22 मई को प्रधानमंत्री, गृहमंत्री को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने एक वीडियो का जिक्र किया था. किंतु जांच एजेंसीओं से ऐसा कोई विडियो न होने की बात कही गयी, साक्ष्यों के साथ भी छेड़ छाड़ की गयी.

6.  राजीव गांधी अकाली समझौते, श्रीलंका में आईपीकेएफ और तमिल समझौतों के बाद वह आतंकवादियों के निशाने पर थे. बावजूद इसके उनकी सुरक्षा में लगे पुलिस और जवानो की सख्याक्यों कम कर दी थी?

7.  जब सुरक्षा कम की गई थी ऐसे में सुरक्षा में तैनात जवानने सभा के वक़्त लोगों को राजीव गांधी से मिलने से क्यों नहीं रोका. यहा तक की रेड कारपेट पर भी लोग उनसे मिलने भीड़ कर रहे थे. ऐसे में मानव बम का शामिल होना बेहद आसान हो गया, एक दूसरे से मिलाने की होड़ में राजीव गांधी जब काफी समय से लोगो से मिल रहे थे तो क्यों नहीं लोगो की चेकिंग अच्छे तरीके से की गयी?

8.  सभा का आयोजन श्रीपेरुंबुदुर में चंद्रशेखर ने किया था. मार्गथम चंद्रशेखर के लड़के ललित एवं लडक़ी लताप्रिया कुमार ने ही कार्यक्रम की व्यवस्था भी देख रहे थे. लताप्रिया कुमार ने लता कानन और उसकी लडक़ी कोकिला को सभा में रेड कार्पेट के पास पहुंचाया. फिर लता कानन और उसकी लड़की कोकिला ने राजीव को रेड कारपेट पर रोककर रात के 10:15 मिनट पर हिंदी में कविता सुनाने का आग्रह किया. तब  कविता सुनाने के समय ही मानव बम धनु राजीव गांधी के नजदीक पहुंचने में सफल रही और माला पहनाने के बहाने बटन दबा कर विस्फोट करने में सफल रही, जिससे उनकी हत्या हो गयी.

9.  उस वक़्त तमिलनाडु कांग्रेस के अध्यक्ष बी राममूर्ति थे और उनको ऐसी किसी बड़े खतरे की जानकारी थी. जिसे वो किसी को नहीं बता पाए. अगर यह बात समय रहते ही  बोल देते तो राजीव गांधी की सुरक्षा बढाई जा सकती थी. अब  सवाल ये खड़ा होता है की वो क्यों नहीं बोले? क्या भय था उनको ? या फिर वो भी चाहते थे, या फिर किसी का दबाव?

इस सवालों के साथ और भी कुछ सवाल जुड़े है जो अभी तक नहीं सुलझ पाए. इस दुर्बलता को हम क्या नाम देंगे जो एक सबल नेतृत्व को भारत से आज़ाद करा गया.