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कौन टूटेगा आज कोर्ट का आदेश या राजा भैया की परम्परा

राजा भैया

एक समय उत्तर प्रदेश में प्रतापगढ़ जिले की कुंडा तहसील में एक बोर्ड लगा होता था जिस पर लिखा होता था कि उत्तर प्रदेश सरकार की सीमा यहां समाप्त होती है.

वह बोर्ड तो वहां से हट गया लेकिन यहां चलने वाले कुंडा के आदेश आज भी रह रह कर सुनाई देते हैं.

इस बार भी उत्तर प्रदेश के कानून और कुंडा के कानून आमने सामने हैं. एक ओर राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह की जिद है तो दूसरी ओर हाई कोर्ट के आदेश.

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न्यायालय ने प्रतापगढ़ में दशहरे के बाद होने वाले सालाना भंडारे पर रोक लगा दी है तो वहीं राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह अब जिद पर उतर गये हैं उन्होंने साफ कह दिया है कि वह राजघराने की प्रथा को नहीं टूटने देंगे. आपको बता दें कि राजा भैया इस समय सूबे की अखिलेश यादव सरकार में केबिनेट मंत्री हैं.

दरअसल, इस बार भंडारा और मोहर्रम एक ही दिन पड़ गए हैं. जिस कारण प्रशासन को अंदेशा है कि इसको लेकर जिले में बवाल हो सकता है. क्योंकि जिस जगह पर भंडारे का आयोजन होता है वही से मोहर्रम का जुलूस भी निकलता है. इस कारण से मुस्लिम समाज के लोग यहां पर भंडारे का विरोध कर रहे हैं.

प्रशासन का मानना है कि यदि मोहर्रम के दिन भंडारे का आयोजन होता है तो वहां की स्थिति बिगड़ सकती है. पिछले साल भी माहौल खराब हो गया था लेकिन उस वक्त राजा भैया के भाई अक्षय प्रताप सिंह ने किसी तरह स्थिति को नियंत्रित किया था.

लेकिन जैसे ही इसमें राजनीति ने प्रवेश किया तो मामला गंभीर हो गया. स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन के पास इतना साहस नहीं है कि वह वहां पर होने वाले भंडारे पर रोक लगा सके. बताया जाता है कि इसके लिए मुस्लिम समाज के कुछ लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और हाईकोर्ट के निर्देश पर ही वहां पर होने वाले भंडारे पर रोक लगा दी गई.

लिहाजा राजा भैया के पिता इसको अपनी परम्परा पर आघात मान रहे हैं. राजा भैया के दादा महाराज बजरंग बहादुर सिंह ने ही भंडारे की परम्परा को शुरू किया था. उनके बाद राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह राजघराने की परम्परा को निभाते चले आ रहे हैं. लेकिन इस बार मामला फंस गया है.

उदय प्रताप सिंह को मनाने की कोशिश भी हुई लेकिन वह नहीं माने है और उन्होंने साफ कह दिया है कि राजघराने की परम्परा को वह नहीं टूटने देंगे और मोहर्रम के दिन भंडारे का आयोजन होगा. इस धमकी से पुलिस प्रशासन को होश उड़ गये हैं और मौके पर भारी संख्या में पुलिस और पीएससी के जवानों को भेज दिया गया है.

इस बार एक तरफ तो हाईकोर्ट का आदेश दांव पर लगे हैं तो दूसरी तरफ राजा भैया के क्षेत्र में उनके राजघराने की परम्परा का सवाल है. देखना है कि इस बार परम्परा टूटती है या कानून के नियम.

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