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राधा के साथ ही इससे भी बेइंतहा प्यार करते थे श्रीकृष्ण!

कृष्ण और राधा

कृष्ण और राधा का अलौकिक प्रेम जगजाहिर है, लोग उनके पवित्र प्रेम की मिसाल दते हैं उनके जैसा प्रेमी और कोई नहीं हुआ. राधा और कृष्ण के प्रेम के बारे में तो सब जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि राधा के अलावा भी कृष्ण किसी से बहुत प्यार करते थे, इतना ज़्यादा की कई बार राधा रानी को भी उससे जलन होने लगती थी.

आप सोच रहे होंगे की राधा से तो कृष्ण सबसे ज्यादा प्यार करते थे और उनके किसी दूसरे प्रेम के बारे में आजतक कुछ सुना नहीं है, आखिर राधा के अलावा कृष्ण किससे बेइंतहा प्यार करते थे?

कौन थी वो महिला?

इससे पहले की आप कुछ और सोचें हम आपको बता दें कि कृष्ण का वो प्यार किसी लड़की से नहीं, बल्कि अपनी प्रिय बांसुरी से था. वो बांसुरी को कभी भी खुद से जुदा नहीं करतें थे.

कृष्ण की बांसुरी की धुन इतनी मधुर थी कि उसे सुनते हैं राधा श्रीकृष्ण की तरफ खिंची चली गईं.

राधा की वजह से श्रीकृष्ण बांसुरी को हमेशा अपने पास ही रखते थे. भले ही कृष्ण और राधा का मिलन नहीं हो सका लेकिन उनकी बांसुरी ने उन्हें हमेशा एक सूत्र में बांधे रखा. श्रीकृष्ण की जितनी भी मूर्तियां, फोटो आदि हैं सबमें वो अपनी बांसुरी के साथ ही. बांसुरी श्रीकृष्ण के राधा के प्रति प्रेम का प्रतीक है.

कहा जाता है कि कृष्ण के वृंदावन छोड़ने के बाद कृष्ण और राधा का मिलन नहीं हुआ. कृष्ण के वृंदावन से जाने के बाद राधा की शादी एक यादव से हो गई. राधा ने अपने दांपत्य जीवन की सारी रस्में निभाईं और बूढ़ी हुईं, लेकिन उनका मन तब भी कृष्ण के लिए समर्पित था.

प्रचलित कथाओं के अनुसार राधा रानी अपने सारे कर्तव्य पूरे करने के बाद कृष्ण से मिलने द्वारका पहुंचीं. जब कृष्ण ने राधा को देखा तो बहुत प्रसन्न हुए. दोनों  ने सांकेतिक भाषा में एक दूसरे से काफी देर तक बातें करते रहे. राधा जी को कान्हा की नगरी द्वारिका में कोई नहीं पहचानता था. राधा के अनुरोध पर कृष्ण ने उन्हें महल में एक देविका के रूप में रख लिया. मगर कुछ दिनों बाद राधा का वहां मन नहीं लगा और वो वहां से चली गईं, राधा को पता नहीं था कि वो कहां जाएंगी, मगर कृष्ण जानते थें.

कृष्ण से एक बार फिर दूर होने के बाद राधा बिलकुल अकेली और कमजोर हो गईं. उस वक्त उन्हें भगवान श्रीकृष्ण की ज़रूरत महसूस हुई. आखिरी समय में भगवान श्रीकृष्ण उनके सामने आ गए. राधा का अंतिम समय नज़दीक थी कृष्ण ने राधा से कहा कि वह उनसे कुछ मांगें, लेकिन राधा रानी ने मना कर दिया. कृष्ण के दोबारा कहने पर राधा ने उनसे कहा कि वो आखिरी बर उन्हें बांसुरी बजाते देखना चाहती हैं. फिर कृष्ण ने बांसुरी ली और बेहद सुरीली धुन में बजाने लगे.

बांसुरी की धुन सुनते सुनते ही राधा ने प्राण त्याग दिए, कृष्ण राधा की मौत को बर्दाशत नहीं कर पाएं और दुखी होकर प्रेम के प्रतीक बांसुरी को तोड़कर झाड़ी में फेंक दी. उसके बाद श्री कृष्ण ने जीवन भर बांसुरी नहीं बजाई.

बांसुरी और राधा दोनों ही कृष्ण को बेहद प्रिय था और दोनों एक-दूसरे से जुड़े हुए थे, इसलिए राधा के जाने के बाद कृष्ण ने बांसुरी भी फेंक दी. एक बिना दूसरे का कोई मूल्य नहीं है.