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पुतिन ने दिखाई पावर, ट्रंप को करवाया एक घंटे इंतज़ार

लेटलतिफी

पुतिन की लेटलतिफी – अमेरिकी राष्ट्रपति दुनिया के सबसे ताकतवर नेताओं में शुमार होते हैं, जहां जाते हैं लोग उनसे मिलने कि लिए बेताब रहते हैं.

दुनिया के सबसे ताकतवर और अमीर देश के राष्ट्रपति का रुतबा ही अलग है, लेकिन ट्रंप से भी ताकतवर एक नेता है जिससे मिलने के लिए उन्हें एक घंटे इंतज़ार करना पड़ा और ये शख्स है रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन.

फिनलैंड की खूबसूरत राजधानी हेलसिंकी में पिछले दिनों अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप और रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन की मुलाकात हुई.

इस मुलाकात पर दुनिया भर की नज़रें टिकी रही. यह मुलाकात इसलिए भी अहम थी, क्‍योंकि रूस पर यह आरोप लगा है कि उसने 2016 के अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनावों में डोनाल्‍ड ट्रंप के पक्ष में हस्‍तक्षेप किया था. अमेरिका में इस मामले की जांच हो रही है. इन सबके बावजूद डोनाल्‍ड ट्रंप रूस के कद्दावर नेता से मिलने गए. सिर्फ इतना ही नहीं इस जांच के लिए उन्‍होंने अपनी ही खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को आड़े हाथों लिया. हालांकि इसके लिए अपने ही देश में ट्रंप की आलोचना भी हो रही है.

खैर इन सबके बीच खास बात ये है कि शिखर वार्ता में ट्रंप को पुतिन से मिलने के लिए एक घंटे इंतज़ार करना पड़ा.

दरअसल, इसकी वजह ये है कि पुतिन शिखर वार्ता के लिए नियत समय से महज 10 मिनट पहले ही हेलसिंकी पहुंचे और इसी वजह से मीटिंग का शेड्यूल आगे खिसकाया बढ़ाया गया और अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप को अपने गेस्‍ट हाउस में एक घंटे का इंतजार करना पड़ा. मीडिया का ध्यान इसलिए इस मुद्दे पर ज्यादा गया क्योंकि ट्रंप अक्सर दुनिया के बड़े नेताओं से मुलाकात के दौरान लेट आते हैं. ऐस में ट्रेंप को खुशकिस्मत माना जा रहा है कि उन्हें ज़्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसी तरह एक बार जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल को पुतिन से मिलने के लिए करीब सवा चार घंटे का इंतजार करना पड़ा. कहा जाता है कि सबसे ज्‍यादा जर्मन नेता को ही इंतजार करना पड़ा. इसके बाद दूसरे स्‍थान पर यूक्रेन के नेता विक्‍टर यानुकोविच है. उनको 2012 में पुतिन से मिलने के लिए चार घंटे इंतजार करना पड़ा था. इसी तरह जब वेटिकन सिटी में 2015 में पोप फ्रांसिस की व्‍लादिमीर पुतिन से मुलाकात हुई, उसके पहले पोप को करीब एक घंटे का इंतजार करना पड़ा था.

कहा जाता है कि सबसे पहले 2003 में पुतिन की इस लेटलतिफी की ओर दुनिया का ध्‍यान गया

ऐसे में ये सवाल उठना लाज़मी है कि पुतिन हमेशा लेट क्यों पहुंचते हैं.

पुतिन की तरह ही दुनिया भर के नेता बहुत व्‍यस्‍त रहते हैं लेकिन कोई भी इस तरह की मीटिंग में लेट नहीं होता. दूसरी बात यह कि पुतिन अखबार-टीवी को इंटरव्‍यू देने के लिए समय पर उपलब्‍ध होते हैं तो फिर ऐसे मौकों पर वह क्‍यों लेट हो जाते हैं? ऐसे में कई जानकरों का मानना है कि वो पावर प्‍ले के लिए पुतिन ऐसा करते हैं. यानी दुनिया के मंच पर वह इसके जरिये रूस और अपनी अहमियत दिखाने की कोशिश करते हैं.

वहीं कुछ लोगों को कहना है कि वह किसी भी उच्‍च स्‍तर की मीटिंग से पहले सभी तथ्‍यों की बारीक जानकारी लेकर खुद को उसके लिए तैयार करते हैं, इसलिए बहुधा लेट हो जाते हैं. अब सच्चाई क्या है ये तो पुतिन ही जाने, मगर इस तरह की लेटलतिफी की आदत से उनकी इमेज निश्चय की खराब हुई है.