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PM मोदी की यह कमज़ोरी उन्हें महान बनने से रोक रही हैं.

PM-Modi-narendra

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी कार्यक्षमता और अपनी गज़ब की वाकपटुता के लिए देश क्या पूरी दुनिया में सबसे प्रसिद्ध नेता कहे जाते हैं.

अगर नरेन्द्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर भारत के प्रधानमंत्री बनने तक के सफ़र देखे तो जो बात सामने आती हैं वह ये कि उन्होंने खुद को एक आक्रामक नेता के रूप में प्रोजेक्ट किया हैं और भारत की राजनीति में इंदिरा गाँधी के बाद शायद ही कोई नेता ऐसा हुआ हैं.

PM मोदी जी की तुलना ज़रूर कई कार्यों में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी से की जाती हैं, लेकिन अटल बिहारी वाजपई की नरमाई नरेन्द्र मोदी कम ही देखने को मिलती हैं. नरेन्द्र मोदी के भाषण की बात हो या उनके काम करने के तरीके की, वह हर जगह एक ऐसे व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत होते हैं, जिसे अपने द्वारा तय किये गए नियमों पर चलना ही पसंद हैं और साथ ही वह अपने सह-कर्मियों को भी इन नियमों पर चलने की परिस्थिति उत्पन्न कर देते हैं.

अगर उनकी उपलब्धि की बात करे तो मोदी सरकार अपने एक साल के कार्यकाल में कुछ ऐसा नहीं कर पायी जिसकी तस्वीर उन्होंने चुनाव के पूर्व अपने भाषणों में लोगों को दिखाई थी. ज़ाहिर हैं कि लोगों के दिल उनके प्रति अविश्वास बढ़ा ज़रूर हैं लेकिन नरेन्द्र मोदी के यदि पिछले दो भाषणों को देखे तो उन्होंने 15अगस्त को लाल किले से दिए अपने वक्तव्य में अपनी पिछली कुछ नीति और कई असफल योजनाओं के बारे में बात न कर के खुद को सुरक्षित रखा और अपनी आगे की योजनाओं के बारे में बात किया जिससे किसी का भी ध्यान स्वच्छ भारत, मेक इन इंडिया जैसे असफल  योजनओं पर नहीं गया.

वही दुबई में 50000 हिन्दुओं द्वारा दुबई के मुस्लिम शासक की जय-जयकार करा के PM मोदी ने  फिर से साबित कर दिया कि वह एक चतुर, वाकपटु नेता हैं, जिसे परिस्थितयों को अपने अनुकूल करना बखूबी आता हैं.

लेकिन इतनी सारी खूबियों के बाद भी PM मोदी में कुछ ऐसी कमियां ज़रूर हैं जिसके कारण वह लोगों के दिल उतने गहरे नहीं उतर पाए हैं और मोदी की ये सारी कमियां उन्हें कई अन्य सामान्य नेताओं के समकक्षक लाकर खड़ा कर देती हैं.

उनकी सरकार में साक्षी महाराज, गिरिराज सिंह जैसे नेता इतने खुले और बैखोफ़ होकर कुछ भी अनर्गल बक देते हैं पर मोदी जी की तरफ से चुप्पी सभी लोगों को खलती हैं. याकूब की फांसी के दौरान कुछ न्यूज़ चैनल को भेजे गए नोटिस भी उनकी तानाशाही नीति को उभारते हैं. फिल्म इंस्टिट्यूट जैसे मामले में गजेन्द्र चौहान जैसे कम योग्य व्यक्ति को चेयरमैन पद के लिए नियुक्त करने की बात में वह युवाओं की नज़र में हिट्लर नज़र आते हैं.

अपनी नीतियों, अपने विचारों को लेकर स्पष्टता अच्छी कही जा सकती हैं लेकिन PM मोदी जी की सोच में यदि कोई गलती हैं तो उसे बताने वाला भी उनके लिए बहुत ज़रूरी हैं, उनके गलत कदम पर उन्हें रोकने वाला व्यक्ति बहुत आवश्यक हैं.

तभी मोदी जी एक महान नेता की श्रेणी में आकर खड़े हो पाएंगे नहीं तो दुनिया में कई तानाशाह आये और चले गए और उन सारे तानाशाहों का हश्र पूरी दुनिया बखूबी जानती हैं और आज भी लोगों ने एक तानाशाह के रूप में ही याद रखे हैं नेता के रूप में नहीं.