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इस मंदिर में साक्षात शिव करते हैं निवास और भक्तों को होते है इसके दर्शन!

पौडिवाल शिव मंदिर

शिव एक मात्रा ऐसी शक्ति है, जिसकी महिमा हर जगह देखी जाती है.

भगवान शिव एक मात्र ऐसे भगवान है, जिसकी पूजा ऋषि, राक्षस, दानव, देव, जीवजन्तु, और धरती का हर एक प्राणी और जीव करता है.

मोक्ष, युद्धविजय, वर प्राप्ति, अमरता का वरदान, कार्य सिद्धि और जीवन के सुखों के लिए भगवान शिव की पूजा सबसे उत्तम मानी जाती है. इसलिए रावण से भगवान राम और ऋषि से राक्षस, हर कोई भगवान शिव की पूजा करते है और अपनी इच्छानुसार वर मांगते और प्राप्त करते थे.

भगवान शिव  के अनेक भक्तों में एक सबसे बड़ा भक्त रावण भी था. इसलिए राक्षस कुल का होकर भी सबसे बड़ा शिव भक्त और ज्ञानी कहलाता था.

रावण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए अपने सर काटकर चढ़ाया और भगवान शिव को धरती पर उतारा.

इसलिए एक मंदिर है, जहाँ भगवान शिव साक्षात निवास करते थे. वहां से स्वर्ग जाने का रास्ता भी था और स्वर्ग जाने के लिए सीढियां बनाई.

paudi wala shivling

आइये जानते है कहाँ है वह जगह और रावण को कैसे पता चला इस रस्ते का.

  • भारत की एक जगह हिमांचल प्रदेश की देवभूमि पवित्र स्थान के नाम से जानी जाती है, जहाँ अनेक देवी देवता और शक्तिपीठ बनी हुई है वही  हिमांचल से लगभग  70 किलोमीटर की दुरीसिरमौर नाम का जिले है.
  • सिरमौर का  मुख्यालय पोडिवाल  है, जो नाहन से लगभग 6 किलोमीटर दूर स्थित है. इस जगह पर भगवान शिव का एक विचित्र चमत्कारिक मंदिर है, जिसे पौडिवाल शिव मंदिर कहते है.
  • इस पौडिवाल शिव मंदिर की खासियत यह कि एक ऐसे ही मंदिर का वर्णन रामायण काल के  एक मंदिर से किया गया.  इसलिए इस मंदिर को रावण के उसी स्वर्ग सीढियों वाले मंदिर से तुलना की जाती है.
  • रावण ने कठोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्ना किया और बदले में भगवान शिव ने रावण को वर दिया कि यदि रावण एक दिन के भीतर पांच पौड़ियों यानि 5 सीढियों का निर्माण कर देता है तो उसको अमरता मिल जाएगी.
  • लेकिन यह सीढ़ियाँ बनाते बनाते रावण की आँख लग गई. जिसके कारण रावण का स्वर्ग जाने का सपना पूरा नहीं हुआ और शरीर में अमृत रखे हुए भी देह त्यागना पड़ा.
  • मान्यता के अनुसार रावण ने स्वर्ग के लिए प्रथम पौड़ी हरिद्वार में बनाई इसलिए इसे हर की पौड़ी कहा जाता हैं. दूसरी पौड़ी वाला में, तीसरी पौड़ी चुडेश्वर महादेव और चौथी पौड़ी किन्नर कैलाश में बनाई. फिर रावण की आँख लग गई और जब आँख खुली तो रावण ने देखा सुबह हो चुकी थी.
  • पौड़ी वाला अर्थात् दूसरी पौड़ी में स्थापित शिवलिंग के लिए कहा जाता है कि इस शिवलिंग में भगवान शिव आज भी साक्षात्  विद्यामान हैं और शिव के सच्चे भक्तो को दिखाई देते है.

इस पौडिवाल शिव मंदिर के लिए कहा जाता है कि इस शिवलिंग कि जो भी दर्शन करता है उसकी हर एक मनोकामना पूर्ण होती है.

अगर आपको भी भगवान शिव के साक्षात दर्शन करना है तो एकबार यहाँ पौडिवाल शिव मंदिर जरुर जाइए.