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दिल्ली शहर के बारे में महाभारत में कही गई है ऐसी बातें

महाभारत में दिल्‍ली

महाभारत में दिल्‍ली – महाभारत का महत्‍व हिंदू ग्रंथों में बहुत अधिक है।

महाभारत में कई योद्धाओं और शूरवीरों का उल्‍लेख किया गया है जिन्‍होंने भारत की भूमि अपने शौर्य का प्रमाण दिया है। महाभारत का महायुद्ध समाप्‍त होने के बाद देश में शांति और सद्भाव का साम्राज्‍य स्‍थापित करने के लिए भगवान श्रीकृष्‍ण की आज्ञा से धर्मराज युधिष्ठिर ने अश्‍वमेघ यज्ञ का आयोजन किया था।

महाभारत के युद्ध के बाद गद्दी पर पांडु के ज्‍येष्‍ठ पुत्र युधिष्ठिर बैठे थे और वह हस्तिनापुर से साम्राज्‍य का संचालन किया करते थे। वर्तमान समय में हस्तिनापुर मेरठ में है लेकिन यज्ञ के पुरोहित महर्षि वेदव्‍यास जी ने यज्ञ का आयोजन इंद्रप्रस्‍थ में करने का आदेश दिया।

महर्षि के आदेश को सुनकर पांचों पांडव हैरान रह गए और महर्षि से इसका कारण पूछने लगे। जब महर्षि ने जो बताया उसे जानकर पांडव तो खुश हुए ही लेकिन उसे जानकर दिल्‍ली में रहने वाले लोगों को भी खुशी होगी। उन दिनों में वर्तमान का दिल्‍ली शहर ही इंद्रप्रस्‍थ कहलाता था यानि की आज जो भारत देश की राजधानी है वो कई सालों पहले पांडवों की राजधानी हुआ करती थी।

महाभारत में दिल्‍ली पांडवों की राजधानी थी.

पांडवों को म‍हर्षि ने बताया कि आदिशक्‍ति ने जब संसार की रचना की तब सागर से सबसे पहले इंद्रप्रस्‍थ की भूमि निकलकर आहर आई थी इसलिए यह पराशक्‍ति के मंदिर के समान भूमि है। इस भूमि है। इस भूमि पर जो भी यज्ञ किए जाते हैं उसकी सफलता निश्‍चित मानी जाती है।

महर्षि वेदव्‍यास ने यज्ञ की सफलता के उद्देश्‍य से ही अश्‍वमेघ यज्ञ को हस्तिनापुर की बजाय इंद्रप्रस्‍थ में करने का आदेश दिया था। इसका शुभ फल पांडवों को भी मिला और उनका यज्ञ सफल हुआ।

तो कुछ इस तरह दिल्‍ली शहर का जिक्र महाभारत जैसे महान ग्रंथ में किया गया है। इस बात से पता चलता है कि ना केवल आज के समय में बल्कि हज़ारों वर्ष पूर्व भी दिल्‍ली शहर बहुत महत्‍व रखता है और इसकी जमीं बेहद पवित्र मानी जाती है।

महाभारत के अलावा इतिहास के कई राजाओं और बादशाहों ने दिल्‍ली की सल्‍तनत पर राज किया है और उन्‍हीं की वजह से आज दिल्‍ली शहर इतना ज्‍यादा समृद्ध और लोकप्रिय बन पाया है।

महाभारत ग्रंथ की बात करें तो उसमें दिल्‍ली शहर के अलावा हिंदुस्‍तान के कई शहरों का भी उल्‍लेख मिलता है और इसमें सबसे अधिक महत्‍वपूर्ण कुरूक्षेत्र है। बताया जाता है कि कुरूक्षेत्र की धरती पर ही महाभारत का महासंग्राम हुआ था और इस युद्ध में हज़ारों सैनिक और योद्धा मारे गए थे।

कुरूक्षेत्र की धरती पर हज़ारों लोगों का खून बहाया गया था और इसी वजह से आज भी कुरूक्षेत्र में मिट्टी का रंग लाल पाया जाता है। इस तरह महाभारत ग्रंथ में कुरूक्षेत्र भी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। आज भी लोग कुरूक्षेत्र देखने जाते हैं और इसकी धरती पर महाभारत के योद्धाओं के त्‍याग को महसूस करते हैं।

महाभारत में दिल्‍ली – सभी जानते हैं कि महाभारत जैसे पौराणिक ग्रंथ में पांडवों और कौरवों के बीच भीषण युद्ध हुआ था जिसमें भगवान विष्‍णु के अवतार श्रीकृष्‍ण जी ने पांडवों का साथ दिया था। श्रीकृष्‍ण के छल और बुद्धि और पांडवों के साहस और कौशल के कारण रणभूमि में पांडवों को जीत हासिल हुई थी।