विदेश

परवेज मुशर्रफ के नक्शेकदम पर चल रहे हैं इमरान खान, ये रहा सबूत

वज़ीरे आज़म इमरान खान – इमरान खान तमाम मुश्किलों के बावजूद पाकिस्तान के नए वज़ीरे आज़म बन चुके हैं और जैसा की पहले से ही आशंका जताई जा रही थी कि इमरान खान सेना के बताए नक्शेकदम पर चलेंगे अब इस बात के सबूत भी मिल चुके हैं.

इमरान के शपथ लेने के साथ ही उनकी कैबिनेट में जिन लोगों को शामिल किया गया है, उन्हें देखते हुए तो यही लग रहा है कि इमरान परवेज़ मुशर्रफ के नक्शेकदम पर चलने की तैयारी में है.

तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के मुखिया और वज़ीरे आज़म इमरान खान की कैबिनेट में 21 सदस्य शामिल हैं और 12 ऐसे लोग भी शामिल हैं जो पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के समय में अहम जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं. जिन 21 लोगों के नामों की घोषणा हुई है. उनमें 16 मंत्री होंगे जबकि 5 खान के सलाहकार होंगे. पीटीआई के प्रवक्ता फवाद चौधरी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक सूची जारी की जिसके अनुसार वरिष्ठ राजनेता शाह महमूद कुरैशी विदेश मंत्री होंगे. कुरैशी पार्टी के उपाध्यक्ष भी हैं.

वह साल 2008-2011 के बीच पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सरकार में विदेश मंत्री रह चुके हैं. 2008 में ही मुंबई पर आतंकी हमला हुआ था. वह उस समय नई दिल्ली में थे जब लश्कर-ए-तैयबा के 10 पाकिस्तानी आतंकियों ने भारत की आर्थिक राजधानी पर हमला किया था.

परवेज खट्टक को रक्षा मंत्री, वहीं असद उमेर को वित्त मंत्री बनाया गया है. खट्टक 2013-18 के दौरान खैबर-पख्तूख्वां के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उसद उमेर पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद उमेर के बेटे हैं जो 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शामिल हुए थे. खान की कैबिनेट के 12 सदस्य जनरल मुशर्रफ के शासन में काम कर चुके हैं. नई कैबिनेट में मुशर्रफ के प्रवक्ता, अटॉर्नी और कोर टीम के सदस्य शामिल हैं

खट्टक और कुरैशी सहित पांच कैबिनेट मंत्री पूर्व में पाकिस्तान पीपुलिस पार्टी में भी मंत्री पद संभाल चुके हैं. रावसपिंडी के शेख राशिद को रेल मंत्री बनाया गया है. वह मुशर्रफ के शासनकाल में भी रेलमंत्री ही थे. तीन महिलाएं भी खान की कैबिनेट शामिल हैं, शीरीन मजारी, जुबैदा जलाल और फहमिदा म्रिजा.

जिस तरह से वज़ीरे आज़म इमरान खान ने तानाशाह परवेज़ मुशर्रफ के करीबी माने जाने वाले 12 लोगों को कैबिनेट में जगह दी है उससे दो यही लग रहा है कि भले ही पाकिस्तान में कहने को लोकतंत्र होगा, मगर वहां असली शासन सेना का ही चलने वाला है और वज़ीरे आज़म इमरान खान तो बस सेना की कठपुलती भर हैं. ऐसे में भारत को अब पड़ोसी देश से ज़्यादा सतर्क करने की ज़रूरत है.

Kanchan Singh

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