ENG | HINDI

आखिर क्यों पाक खिलाड़ी होते हैं सबसे ज़्यादा फिक्सिंग के शिकार !

पाकिस्तान खिलाडी फिक्सिंग के शिकार

क्रिकेट और फिक्सिंग का मामला चोली-दामन का हो गया है.

अब तो ऐसा हो गया है कि कितनी बार तो लगता है कि खिलाड़ी सच में पैसे लेकर मैच हार या जीत रहे हैं.

अब क्रिकेट जंटलमेन का गेम नहीं रह गया, बल्कि इसे कोई और खेल रहा है. मैदान पर भले ही खिलाड़ी गेंदबाज़ी करते और बल्लेबाज़ी करते हुए दिखते हैं, लेकिन असल में मैच कोई और ही खेल रहा होता है. खिलाड़ी तो खिलाड़ी होते हैं, लेकिन सवाल ये उठता है कि पाकिस्तान खिलाडी फिक्सिंग के शिकार क्यों होते है.

पाकिस्तान खिलाडी फिक्सिंग के शिकार –

इसके कई कारण हैं.

शायद उनमें से एक कारण है कि पाक एक ग़रीब देश है और वो दाऊद जैसे दूसरे अंडरवर्लड डॉन के हाथों में खेल रहा है. पाक जनता की ग़रीबी का फ़ायदा उठाकर ऐसे लोग उन्हें अपने हाथ का खिलौना बना लेते हैं. हाल ही में कई देशों के खिलाड़ियों ने अपने-अपने अनुभव शेयर किए, जिससे पता चला कि पाकिस्तान खिलाडी फिक्सिंग के शिकार ज़्यादातर होते हैं.

ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान एलन बॉर्डर ने पाक के उस समय के कप्तान मुश्ताक ने उन्हें मैच हारने के लिए 5 लाख पाउंड ऑफर किया था. ऐसे तमाम खिलाड़ी हैं, जो पाक खिलाड़ियों पर इस तरह का तोहमत लगा चुके हैं.

साल 2010 किसे भूलेगा. सलमान बट्ट, मोहम्मद आसिफ और मोहम्मद आमिर को फिक्सिंग में दोषी पाया गया था और 5 साल के लिए क्रिकेट से बैन लगा दिया गया.

सरफराज़ नवाज़ से लेकर क़ासिम उमर, राशिद लतीफ, अताउर्रहमान, शोएब अख्तर, बासित अली जैसे तमाम खिलाड़ी अपने साथियों पर फिक्सिंग के आरोप लगाते रहे हैं.

उसके बावजूद पाकिस्तान में फिक्सिंग का दौर नहीं थमा है.

अगर देखा जाए, तो समय-समय पर पाकिस्तान खिलाडी फिक्सिंग के शिकार ho चुके है और उन पर बैन और आरोप लगते रहे हैं. आख़िर ये इसीलिए होता है कि पाक खिलाड़ियों को बाकी क्रिकेटर्स के मुकाबले कम पैसा दिया जाता है. उनकी फीस कम होती है. भारतीय खिलाड़ियों की तरह वो ऐड से भी ज़्यादा नहीं कमा पाते. शायद ये भी एक कारण है कि वो सटोरियों के हाथ में खेलते हैं.

कम समय में ज़्यादा पॉप्युलर होने ते चक्कर में पाक खिलाड़ी फिक्सिंग का शिकार हो जाते हैं. इस बात को वो भूल जाते हैं कि क्रिकेट से बढ़कर कुछ नहीं होता. पैसे कमाने के चक्कर में गेम को बेचना नाइंसाफी है और इससे पाक किक्रेट बोर्ड पूरी दुनिया के सामने शर्मिंदा हो रहा है और उसकी इज़्ज़त कम होती चली जा रही है.