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नवाज शरीफ को 5 दिन की मोहलत – जवाब नहीं मिला तो सेना उठाएगी ये कदम

नवाज शरीफ को 5 दिन की मोहलत

लगता है पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है.

पाकिस्तानी सेना ने नवाज शरीफ को 5 दिन की मोहलत दी है. अगर तय समय के अंदर जवाब नहीं आया तो फिर पाकिस्तान सरकार नहीं सेना तय करेगी कि कौन व्यक्ति दोषी है और उसके साथ क्या किया जाना है.

दरअसल, उरी हमले के बाद भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा के पार जाकर आतंकियों के अड्डों को तबाह किया है उसके बाद से ही पाकिस्तान के दोनों शरीफों में तनातनी चल रही है. प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना प्रमुख राहिल शरीफ अपनी इस नाकामी का ठिकरा एक दूसरे के सर फोड़ रहे हैं. इसी को लेकर 14 अक्टूबर को पाकिस्तान में सेना और सरकार के बीच एक बैठक हुई थी. उसमें सेना के कॉर्प्स कमांडर और सरकार के बीच भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर मतभेद हो गए थे. इस खबर को पाकिस्तान के प्रमुख अखबार द डाॅन ने प्रकाकिशत कर दिया.

नवाज शरीफ को 5 दिन की मोहलत की खबर मीडिया में आने के बाद पाकिस्तान में हलचल मच गई.

शुरू में इस खबर को आधारहीन बताकर अखबर को ही कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की गई और पाक पीएमओ की ओर से पत्रकार अलमीडा पर देश से बाहर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया.लेकिन जब अखबार अपनी खबर और रिपोर्टर के साथ खड़ा नजर आया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी लोगों ने प्रेस की आजादी का समर्थन किया और दुनिया में पाकिस्तान के इस कदम की निंदा हुई तो सरकार को अपने कदम वापस लने पड़े.

इसी बीच सरकार ने दावा कर कि यह खबर उनकी तरफ से लीक नहीं हुई है, उगली सेना की ओर उठा दी.तो वहीं सेना ने द डॉन अखबार को लीक हुई जानकारी के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को जिम्मेदार ठहरा दिया.

सेना ने कहा कि द डॉन में छपी खबर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है. साथ ही उन्होंने पत्रकार सिरिल अलमीडा की इस खबर को झूठा और मनगढ़ंत भी बताया.

जबकि सेना और नागरिक नेतृत्व के बीच टकराव की खबर पर पाकिस्तानी पत्रकार सिरिल अलमीडा का कहना है कि उन्होंने तथ्यों की कई मर्तबा जांच की. उसके बाद ही अखबार ने अपने स्तंभ ‘ए वीक टू रिमेंम्बर’ में छापा.रिपोर्टर ने मीटिंग की खबर छापने से पहले इसे तीन बार क्रॉस चेक किया था।

लेकिन पाकिस्तानी सेना को खबर के सही और गलत से मतलब नहीं हैं. उसको तो उस आदमी की तलाश है जिसने खबर मीडिया को दी.इसके लिए सेना ने शरीफ सरकार को ये पता लगाने के लिए पांच दिनों का वक्त दिया है.

सरकार पता लगाकर बताए कि 3 अक्टूबर को हुई अहम बैठक से जुड़ी जानकारी पत्रकार तक कैसे पहुंची.

गौरतलब है कि सेना द्वारा नवाज शरीफ को 5 दिन की मोहलत दिए जाने के पीछे सेना का प्रमुख का इरादा नवाज शरीफ को निशाना बनाने का है, जो न केवल उनके सेवा विस्तार में बाधा खड़ी कर रहे हैं बल्कि पाकिस्तान में आतंकवाद को पनाह देने के लिए सेना को जिम्मेंदार ठहरा रहे हैं.

वजह कुछ भी हो लेकिन इतन साफ है कि सेना प्रमुख ने अल्टीमेटम देकर प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के लिए खतरे की घंटी बजा दी है.