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6 ऐसी जोड़ियां, जिन्होंने खड़ा कर दिया अरबों का एम्पायर

अरबों का एम्पायर

अरबों का एम्पायर – जब भी दोस्ती की बात आते हैं तो लोग अक्सर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं.

साथ जीने-मरने की कसमें खाते हैं कभी एक-दूसरे का साथ न छोड़ने के वादे भी करते हैं. लेकिन जैसे ही कॉलेज या स्कूल टाइम खत्म होता है सबकी राहें जुदा हो जाती हैं. फिर कभी वापस मिलने की केवल एक आस ही रह जाती है. कई बार दोस्त मिलकर कहीं घूमने का मन बनाते हैं तो ऑफिस से एक-साथ छुट्टी नहीं मिलती तो कभी जॉब करते करते जब ऊब जाते हैं तो खुदका स्टार्टअप खोलने की बातें करते हैं लेकिन वह सिर्फ ख्याली पुलाव ही होता है. क्योंकि सबसे रिस्क लेने की क्षमता नहीं होती है.

मगर आज हम आपको कुछ ऐसे दोस्ती के बारे में बताएंगे जिन्होंने मिलकर एक कंपनी खोली सारे उतार-चढाव देखें लेकिन मनोबल कम नहीं होने दिया और लगातार मिलकर प्रयास करते रहे. आज उन्होंने दोस्तों संग बनाई गई कंपनी को अरबों का एम्पायर बना दिया है.

तो चलिए मिलाते हैं कुछ ऐसे ही दोस्तों से जिन्हों ने अरबों का एम्पायर खड़ा किया –

अरबों का एम्पायर खड़ा करनेवाली जोड़ियाँ

1.  माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर

सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर को बनाने का श्रेय 4 दोस्तों को जाता है. साल 2006 में जैक डॉर्सी, नोआ ग्लास, बिज़ स्टोन और इवान विलियम्स  मिलकर एक वेबसाइट बनाई थी. साल 2012 तक इस बेबसाइट में 100 मिलियन से ज्यादा यूजर्स हो गए थे इसमें 340 मिलियन लोग ट्वीट भी रोजाना करने लगे थे.

दोस्तों ने चिड़ियों की चहचआहट को ध्यान में रखते हुए इस वेबसाइट का नाम ट्विटर रखा था. क्योंकि उनकी वेबसाइट कम शब्दों में पूरी बात बता दिया करती थी. शुरुआत में वेबसाइट पर कई परेशानियां भी आईं चारों को नहीं पता था कि यह वेबसाइट करेगी क्या. दोस्तों ने सोचा कि इस माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट को लोग किस नाम से जानेंगे.

ट्विटर फाउंडर्स बताते हैं कि वेबसाइट जिस काम के लिये बनाई गई थी. अब वह काफी बदल चुकी है.शुरुआत में केवल वेबसाइट पर आप स्टेटस अपडेट और सोशल यूटिलिटी साइट के तौर पर इसे बनाया गया था. बाद में यह एक सोशल प्लेटफॉर्म हो गई, जहां लोग अपने मन की बातें लिखने लगे. लोग उनकी बातों पर री-ट्वीट करने लगे. आज असल में यह वेबसाइट सोशल मीडिया नेटवर्क से कुछ ज्यादा बन गई.

अरबों का एम्पायर

2.  ऑनलाइन कंपनी फ्लिपकार्ट

भारत की पहली ऑनलाइन कंपनी फ्लिपकार्ट के फाउंडर्स सचिन बंसल और बिन्नी बंसल हैं. आपको भी ऐसा लगता होगा कि यह दोनों भाई-भाई हैं लेकिन यह केवल दोस्त हैं.

दोनों में चंड़ीगढ़ के रहने वाले हैं और सेंट ऐनी कॉन्वेंट स्कूल, चंडीगढ़ से दोनों ने स्कूल शिक्षा ली है. दोनों दोस्तों ने IIT दिल्ली से इंजीनियरिंग की पढाई की हुई है. साल 2005 में सचिन ने टेकस्पने नाम की कंपनी में जॉब करनी शुरु कर दी. इसके बाद वह अमेजन में सीनियर सॉफ्टवेयर इंजिनियर के रूप में काम किया. अमेजन में उनकी मुलाकात बिन्नी से हुई. फिर दोनों ने साल 2007 में सिर्फ 10 हजार रुपये से बैंगलोर में एक 2 BHK का रूम लेकर उसमें 2-3 कंप्यूटर रखकर फ्लिपकार्ट कंपनी की शुरुआत की थी. सबसे पहले यह ऑनलाइन कंपनी केवल ऑनलाइन बुक प्रोवाइड करवाती थी. आज 1 बिलियन डॉलर यानी 6100 करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है.

3.  ऑनलाइन मीट कंपनी लिशस

भारत में नॉनवेज खाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. ऐसे में बैंगलुरु के दो दोस्त अभय हंजूरा और विवेक गुप्ना ने मिलकर एक ऑनलाइन चिकन कंपनी खोली. जिसने दो साल में 15 करोड़ का बिजनेस किया. 31 साल के अभय हंजूरा जम्मू से हैं और वह 2004 में बायोटेक्नोलोजी करने के लिये जम्मू से बैंगलुरु चले आए. ग्रेजुएशन करने के बाद बिजनेस मैनेजमेंट और रिस्क मैनेजमेंट में पोस्टग्रेजुएट किया. वहीं उनके दोस्त औऱ बिजनेस पार्टनर विवेक गुप्ता चंडीगढ़ से हैं. उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंट का कोर्स किया है. साल 2004 में नौकरी की तलाश में बैंगलुरु चले आए. अभय को चिकन बहुत पसंद है इसलिये वह हमेशा से चिकेन का बिजनेस करनी की सोचते थे. साल 2010 में कंपनी के काम के सिलसिले में वह विवेक से मिले और वहीं उनकी दोस्ती हो गई.

साल 2015 में दोनों दोस्तों ने लगन और मेहनत के बल पर लिशस ब्रांड से अपनी कंपनी की शुरुआत की. लिशस कंपनी तरह-तरह के मीट और मांसाहारी प्रोडक्ट्स बनाती है जिसमें मछली, सी फूड और चिकन पर आधारित कई उत्पादों वाली मांस की बहुत-सी कैटगरीज़ उपलब्ध हैं. आप मीट या चिकन को ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं. जहां रॉ और मैरिनेड दोनों तरह की नॉनवेज प्रोडक्ट्स मिलते हैं. मीट की क्वालिटी काफी अच्छी और फ्रेश होती है. लिशस कंपनी ने पहली साल 3 करोड़ के आस-पास का बिजनेस किया था, जो कि आज 2.5 करोड़ हर महीने पहुंच चुका है. 2016-17 में कंपनी का कुल टर्नओवर 15 करोड़ था, अरबों का एम्पायर खड़ा हो रहा है.

अरबों का एम्पायर

4.  महिंद्रा एंड महिंद्रा

आज भारत और पाक में आपस में ठनी जरूर रहती हैं लेकिन कभी विभाजन से पहले यही भारत और पाक की दोस्ती एक मिसाल हुआ करती थी. इसकी जीती जागती मिसाल है महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी. जिसकी नींव दो हिंदू और मुस्लिम दोस्तों ने रखी थी, साल 1945 में.

साल 1945 में अविभाजन से पहले भारत के लुधियाना में दो भाइयों केसी महिंद्रा, जेसी महिंद्रा और मलिक गुलाम मोहम्मद ने महिंद्रा एंड मोहम्मद के रूप में कंपनी की नीव रखी थी. भारत की आजादी और पाकिस्तान बनने के बाद गुलाम मोहम्मद पाकिस्तान चले गए और वहां के पहले वित्त मंत्री बन गए. इसके बाद गुलाम मोहम्मद वापस कभी भारत अपनी कंपनी को देखने आए ही नहीं. साल 1948 में कंपनी का नाम बदलकर महिंद्रा एंड महिंद्रा रख दिया गया. साल 1991 में आनंद महिंद्रा को मंहिद्रा ग्रुप के डिप्टी डायरेक्टर के रूप में चुना गया. तब से लेकर आज तक महिंद्रा ग्रुप लगातार सफलता की सीढ़िया चढ़ रहा है.

महिंद्रा ग्रुप देश के सबसे तेजी से बढ़ने वाले ग्रुपों में एक है. दुनिया के 80 से ज्यादा देशों में मंहिद्रा ग्रुप के कारोबार हैं. महिंद्र ग्रुप का सालाना टर्नओवर 93,896 करोड़ रुपए यानी 14 अरब डॉलर तक पहुंच गया है.

अरबों का एम्पायर

5.  वीडियो शेयरिंग वेबसाइट यूट्यूब

सोशल नेटवर्किंग कम वीडियो शेयरिंग वेबसाइट यूट्यूब को आज दुनिया में सबसे ज्यादा लोग देखते हैं. इस कंपनी को तीन दोस्तों ने मिलकर बनाया था, जो पहले paypal में काम किया करते थे. यूट्यूब बनने की कहानी कुछ ऐसी है कि एक बार पार्टी में दौरान यूट्यूब फाउंडर्स दोस्तों को वीडियो शेयर करने में दिक्कत होने लगी. इसके बाद उन्होंने एक ऐसी वेबसाइट बनाने का सोचा जिस पर आसानी स वीडियो शेयर किया जा  सकें.

“YouTube.com” डोमेन नेम 14 फरवरी 2005 को एक्टिवेट कर दिया गया. यूट्यूब में वीडियो अपलोड करने का ऑप्शन 23 अप्रैल 2005 को शूरु किया गया. इस वेबसाइट में जो पहला वीडियो शेयर किया गया था वो था Me at the zoo. इस वीडियो में को फाउंडर जावेद करीम सैन डिएगो जू में गए थे. साल 2006 में गूगल ने कंपनी को खरीद लिया जिसने अरबों का एम्पायर खड़ा कर दिया.

अरबों का एम्पायर

6.  मैसेजिंग एप वॉट्सएप

दुनिया का सबसे पॉपुलर मैसेजिंग एप व्हाट्सएप की स्थापना दो दोस्तों ने की थी. कुओम एक कंपनी में सिक्योरिटी टेस्टर हुआ करते थे तब उनकी मुलाकात एक्टन से हुई. उन दोनों को Yahoo के एडवर्टाइजिंग सिस्टम को देखने का काम दिया गया था. वहां पर कुओम और एक्टन दोनों की मुलाकात हुआ करती थी. साल 2007 तक दोनों की दोस्ती बहुत गहरी हो गई और दोनों ने नौकरी छोड़ दी.

साल 2009 की एक रात कुओम दोस्तों संग मूवी देख रहे थे तब ही उन्हें आइडिया आया कि दोस्तों को नोटिफिकेशन भेजने वाला एक एप बनाया जाए. कुऔम ने कुछ ही देर में एक इंस्टेंट मैसेजिंग एप बना डाला. पहले एक्टन को यह बिल्कुल पसंद नहीं था लेकिन फिर वह इस एप पर काम करने लगे. कुछ महीनों में कुओम को लगा कि ये एप सही से काम नहीं कर रहा है और इसे बंद कर देना चाहिए लेकिन एक्टन ने सलाह दी कि इसको और कुछ वक्त देना चाहिए.

साल 2009 तक दोनों दोस्तों के पास कोई नौकरी नहीं थी. वॉट्सएप की पहली बड़ी फंडिंग अक्टूबर 2009 में एक्टन ने याहू के कई पुराने दोस्तों को 2.5 लाख डॉलर इकट्ठा करके की थी. साल 2009 से 2015 के बीच इस एप में काफी बदलाव किया गया और इस एप को लोग पसंद करने लगे. कई जगह से निवेश मिलने लगा. साथ ही व्हाट्सएप को फेसबुक ने खरीद भी लिया. आज 800 मिलियन एक्टिव यूजर्स के साथ वॉट्सएप मैसेजिंग एप पर सबसे बड़ी कंपनी है. अरबों का एम्पायर खड़ा करनेवाले आज जैक कॉम 6.8 बिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ दुनिया भर के सबसे अमीरलोगों की लिस्ट में 202 वीं रैंक पर हैं. वहीं ब्रायन ऐक्टन 3 बिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ 551 वीं रैंक पर हैं.

अरबों का एम्पायर

अरबों का एम्पायर – तो दोस्तों आपने देखा कि दोस्ती में कितना ताकत होती है, बस काम के प्रति लगत और मेहनत के दम पर आज इन दोस्तों ने दुनियाभर में अरबों के एम्पायर खड़े कर दिए हैं. हम उनकी ऐसी दोस्ती को सलाम करते हैं!