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जानिए हिंदू धर्म में एक ही गोत्र में शादी करना क्यों वर्जित है !

एक ही गोत्र में शादी

हमारे हिंदू धर्म में शादी ब्याह से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं हैं. ये मान्यताएं सदियों से चली आ रही हैं जिसका पालन आज भी किया जाता है.

आपने अक्सर देखा होगा कि लड़की या लड़के की शादी के लिए दूर दराज से रिश्ते खोजे जाते हैं. लड़के और लड़कियों की शादियां अक्सर ऐसे परिवार में की जाती हैं जिनसे पहले से कोई पारिवारिक संबंध नहीं होता है.

ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि हिंदू धर्म में एक ही गोत्र का लड़का और लड़की आपस में शादी नहीं कर सकते हैं. आखिर इसके पीछे कौन सी मान्यता छुपी हुई है आइए जानते हैं.

इंसान को उसके मूल वंश से जोड़ता है गोत्र

शास्त्रों के मुताबिक ऋषि विश्वामित्र, जमदग्नि, भारद्वाज, गौतम, अत्रि, वशिष्ठ, कश्यप और अगस्त्य ऋषि इन आठ ऋषियों से गोत्र जुड़े हुए हैं.

उदाहरण के तौर पर अगर कोई इंसान कश्यप गोत्र का है तो इसका मतलब ये हुआ कि उसकी पुरानी पीढ़ी कश्यप ऋषि से शुरू हुई थी. इसलिए वो इस गोत्र के अंतर्गत आता है.

इसी तरह से अगर दो लोग एक ही गोत्र से संबंध रखते हैं तो इसका मतलब यही है कि उनके बीच एक पारिवारिक रिश्ता है. वो दोनों एक ही मूल और एक ही कुल वंश के हैं.

एक ही गोत्र का लड़का लड़की होते हैं भाई बहन

हमारे हिंदू धर्म में एक ही गोत्र में शादी करना वर्जित है क्योंकि सदियों से ये मान्यता चली आ रही हैं कि एक ही गोत्र का लड़का और लड़की एक-दूसरे के भाई-बहन होते हैं और भाई बहन में शादी करना तो दूर इस बारे में सोचना भी पाप माना जाता है.

हिंदू धर्म एक ही गोत्र में शादी करने की इजाजत नहीं देता है. ऐसा माना जाता है कि एक ही कुल या एक ही गोत्र में शादी करने से इंसान को शादी के बाद कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं इस तरह की शादी से होनेवाले बच्चे में कई अवगुण भी आ जाते हैं.

इसके पीछे छुपा है वैज्ञानिक कारण

सिर्फ शास्त्र ही नहीं बल्कि विज्ञान भी इस तरह की शादियों को अमान्य करार देता है. वैज्ञानिक नज़रिए से देखा जाए तो एक ही कुल या गोत्र में शादी करने से शादीशुदा दंपत्ति के बच्चों में जन्म से ही कोई न कोई अनुवांशिक दोष पैदा हो जाता है.

एक रिसर्च के मुताबिक जन्मजात अनुवांशिक दोष से बचने का सबसे बेहतरीन जरिया है सेपरेशन ऑफ जीन्स. ऐसा तभी हो सकता है जब आप नजदीकी संबंधियों के परिवार में शादी करने से बचें.

एक ही गोत्र में शादी करने से जीन्स से संबंधित बीमारियां जैसे कलर ब्लाइंडनेस हो सकती है. इसी को ध्यान में ऱखते हुए शास्त्रों में समान गोत्र में शादी न करने की सलाह दी गई है.

तीन गोत्र छोड़कर करनी चाहिए शादी

हिंदू धर्म के अनुसार इंसान को हमेशा तीन गोत्र को छोड़कर ही शादी करनी चाहिए. क्योंकि इंसान जिस गोत्र का होता है वो उसका पहला गोत्र होता है. दूसरा गोत्र उसकी मां का होता है और तीसरा गोत्र दादी का होता है इसलिए हमेशा तीन गोत्र को छोड़कर ही शादी करनी चाहिए.

वैसे गोत्र को लेकर हर धर्म का अपना एक अलग नजरिया है. इसलिए वो अपनी पुरानी मान्यताओं का सदियों से पालन करते आ रहे हैं.

गौरतलब है कि शास्त्रों के मुताबित एक गोत्र का लड़का और लड़की में पारिवारिक रिश्ता होता है और शास्त्र इस तरह की शादियों का स्वीकृति नहीं देता है. यही वजह है कि हिंदू धर्म के लोग अक्सर शादियां गोत्र और कुल वंश को ध्यान में रखकर करते हैं.