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अब क़ानून आपको ज्यादा शराब पिलाकर टल्ली बनाने पर उतारू है! गिलास रेडी करो!

Alcohol

क्यों दोस्तों, गिलास के साथ-साथ सोडा और बर्फ़ भी तैयार कर ली?

बड़े फ़ास्ट हो यार आप लोग!

पहले जान तो लो कि मामला क्या है!

वैसे एक बात तो है, शराब पीने का बहाना चाहिए और बहाना न मिले तो वो भी एक बहाना है कि यार आज शराब पीने का कोई बहाना ही नहीं है, चलो पीते हैं और कोई बहाना सोचते हैं!

लेकिन शराबियों के अब सब दुःख महाराष्ट्र सरकार ने दूर करने की ठान ली है! महाराष्ट्र निषेद अधिनियम के अंतर्गत आने वाले मुंबई विदेशी शराब नियमों में संशोधन कर दिया गया है जिस से कि मुंबई में हर कोई अपने घर में शराब की एक लीटर की 12 बोतलें रख सकता है, वो भी क़ानूनी तौर पर!

लगे ना पावँ थिरकने?

जी हाँ, पहले के क़ानून के मुताबिक, सिर्फ़ दो बोतलें रखने की अनुमति थी आपको और वो भी सिर्फ़ 750 मिलीलीटर की, अब सीधा 6 गुना बढ़ा दिया गया है इसे| सरकार का कहना है कि अवैध रूप से लोग 2 से कहीं ज़्यादा बोतलें अपने घर में रखते थे, इसीलिए क़ानून को बदलना पड़ा!

कोई यह तो पूछे कि जब क़ानून 12 की अनुमति देगा, तो अवैध रूप से अब कितनी रखी जाएँगी?

देखो यार, साफ़ सी बात है, जिसने पीनी है, उसने पीनी है! और जिसने बेचनी है, वो बेचेगा भी! हमारे देश में क़ानून बनते बड़ी आसानी से हैं लेकिन उनका पालन कम ही जगह हो पाता है! हाँ इस तरह 12 बोतलों की क़ानूनन आज्ञा देकर सरकार करों के ज़रिये अपनी कमाई ज़रूर बढ़ा लेगी!

क्या इसका कुछ असर समाज पर पड़ेगा?

ज़ाहिर है कि पड़ेगा तो ज़रूर! सबसे पहले तो सारे शराबी सबकी नज़र में आ जाएँगे! कम से कम टल्लियों की गिनती तो साफ़ होगी! उसके बाद यह जो चोरी-छुपे शराब का व्यापार चलता था, उस में शुरुआती दिनों में थोड़ी कमी आएगी जब तक इन शराबियों की पीने की क्षमता 12 से बढ़कर 24 और 36 नहीं हो जाती! साफ़ सी बात है, तब शायद सरकार अपनी कमाई बढ़ाने के लिए यह लिमिट 24 बोतलों तक ले जाए!

लेकिन कोई यह भी पूछे सरकार से कि शराब की हानियों के बारे में कौन बताएगा?

कौन समाज में ये जागरूकता लाएगा कि शराब सेहत के लिए ठीक नहीं है और इसका सेवन हद में रहकर करना चाहिए?

जिस तरह शराब पीकर लोग गाड़ी चलाते हैं, घर में दंगा-फ़साद करते हैं, बाहर लड़ाईयाँ करते हैं, सरकार को तो चाहिए कि शराब के बुरे असर के बारे में लोगों को बताये और कोशिश करे कि इसका सेवन कम से कम हो!

ख़ैर कोई नहीं, सरकार वैसे भी कहाँ सबकी सुनती है और जब पैसा बोलता है तो यूँही सब बहरे हो जाते हैं!

अभी आप भी तो सोच रहे हैं कि ख़त्म करूँ मैं अपनी बात ताकि आप अपना पेग बना सकें!

चलिए, मज़े लीजिये और सरकारी आशीर्वाद का आनंद उठाईये! लेकिन हाँ, ज़रा लिमिट में! किसी को नुक्सान मत पहुँचाना यार!

चियर्स!!