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जरुर देखे कैसे नर्मदा नदी ख़ुद कर रही शिवलिंग का जलाभिषेक?

शिवलिंग का जलाभिषेक

शिवलिंग का जलाभिषेक – 28 जुलाई से सावन माह शुरू हो चुका है और इस सावन का पहला सोमवार 30 जुलाई को था।

धर्मशास्त्रों में सावन माह का अत्यधिक महत्व बताया गया है। इसमें भी सावन माह में पड़ने वाले सोमवार का सबसे अधिक श्रेष्ठ बताया है। भगवान महादेव को सावन का महीना बहुत ही प्रिय है। सावन में भगवान शंकर की पूजा करने पर विशेष फलों की प्राप्ति होती है।

पिछले कुछ दिनों से हुई बारिश से मां नर्मदा नदी का जल स्तर बढ़ गया हैं।

शिवलिंग का जलाभिषेक

इससे तटों पर बने कुछ छोटे मंदिर डूब गए हैं। लेकिन कुछ अभी भी दिखाई दे रहे हैं। इन्हीं में एक शिवलिंग है जो मां नर्मदा की लहरों के बीच अद्भुत दिखाई दे रही है। मंदिर में पूजा अर्चना करने वाले पंडित अक्सर बताते है कि भगवान शिव को बिल्वपत्र बहुत प्रिय होता है इससे सावन के महीने में शिवलिंग पर चढ़ाने पर हर तरह की मनोकामना पूरी होती है। इसके अलावा भगवान शिव को शमी के पत्ते पसंद होते हैं इसलिए सावन के हर दिन शिवलिंग पर शमी के पत्ते जरूर चढ़ाएं। इसी के साथ सावन के महीने में वैसे तो दूध चढ़ाने की परंपरा है। इसके अलावा शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाने से जीवन में सभी तरह की सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

भगवान शिव जी को बेलपत्र अत्यंत प्रिय है।

शिवलिंग का जलाभिषेक

सामान्य तीन पत्तियों वाली बेलपत्र मिलती है लेकिन 4,5,6 दल वाली पत्तियां को दुर्लभ और श्रेष्ठ बताया जाता है। आजाद वार्ड के बाबाघाट में लगे बेलपत्र में ऐसा ही 5 पत्तियों वाली बेलपत्र एक भक्त को मिला तो उसे देखने के लिए भक्तों का तांता लग गया। उसी क्षेत्र के आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां लगे बेल के पेड़ में 4, 5 और 6 पत्तों के बेलपत्र मिलते रहते हैं। पिछले दिनों बेलपत्र तोड़ते समय 5 पत्ती वाला बेलपत्र दिखा। माना जाता है कि 5 पत्तों के बेलपत्र का मतलब पांच प्रमुख देवताओं ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश और मां भगवती से होता है। 4 पत्तों से चार वेदों का होता है। ऐसा ही 9 पत्तों का महत्व नव दुर्गा से है।

शिवलिंग का जलाभिषेक

सावन के महीन में शिवलिंग का जलाभिषेक और पूजा से जल्दी और कई गुणा अधिक लाभ मिलता है। इसी कारण भक्तों में सावन के सोमवार को लेकर एक अलग उत्साह नजर आ रहा है। शिव के रूद्र रूप को उग्र माना जाता है लेकिन प्रसन्न् होने पर ये तीनों लोकों के सुखों को भक्तों के लिए सुलभ कर देते हैं। सावन के महीने में रूद्र ही सृष्टि के संचालन का कार्य देखते हैं।

सावन के इस पावन मास पर यदि आप भी भगवान शिव पर आस्था रखते है और उनकी उपासना करते है तो सपरिवार अवश्य ही नर्मदा नदी के इस घाट को देखने अवश्य जायें शिवलिंग का जलाभिषेक देखने| इस मनोरम नज़ारे को देखकर आपकी भगवान शिव के प्रति भक्ति और आस्था ज़रूर बढ़ जायेगी और मन में भक्तिमय उर्जा का संचार होगा |