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कितना भी पानी डाल लो, नहीं भरता इस मंदिर का रहस्यमयी घड़ा

रहस्यमयी घड़ा

रहस्यमयी घड़ा – हमारे देश में धार्मिक स्थलों की कोई कमी नहीं है। हर दूसरी गली में कोई न कोई मंदिर देखने को मिल ही जाता है। हम तो घर में भी खुद का छोटा सा मंदिर बनाकर रखते हैं। मगर सबसे ज्यादा भीड़ तो उसी मंदिर में होती है जो हजारों साल पुराना हो या उससे कोई चमत्कारिक या रहस्यमयी कहानियां जुड़ी हुई हों।

उदाहरण के तौर पर, ऐसे तो हजारों शिवलिंग मौजूद हैं। मगर देशभर में मौजूद 12 ज्योतिर्लिंगों को ही अत्यधिक पवित्र माना गया है।

आज हम ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बात करेंगे, जो अपने रहस्यमयी घड़े के लिए जाना जाता है। अक्सर ही सुनने या देखने में आता है कि किसी मंदिर में भगवान दूध पी रहे थे या रोने लगे थे। लेकिन इस घड़े की कथा इन सबसे अलग है। इस घड़े में कोई चाहे लाखों लीटर पानी डाल ले, मगर यह भरता ही नहीं है। इससे जुड़ी एक कथा भी मशहूर है।

आइए जानते हैं इस मंदिर, रहस्यमयी घड़ा और इसके रहस्यमयी घड़े की कहानी।

शीतलामाता का मंदिर

रहस्यमयी घड़ा

हिंदू धर्म में शीतला देवी को प्राचीन समय से पूजनीय माना गया है। शीतला माता गर्दभ पर सवार होती हैं व उन्हें चेचक जैसी बीमारियों की देवी माना जाता है। कुछ बड़े पर्वों पर शीतलामाता की खास पूजा भी होती है।

देश में शीतला देवी के कई मशहूर मंदिर मौजूद हैं। जिनमें से एक राजस्थान में पाली जिले में बना मंदिर है, जहां एक चमत्कारिक घड़ा स्थापित किया हुआ है।

सैकड़ों साल पुराना

रहस्यमयी घड़ा

मंदिर में स्थापित यह घड़ा कई सौ सालों से यहां मौजूद है। यहां घड़े में पानी डालने की परंपरा 800 वर्षों से चली आ रही है। यह चमत्कारिक घड़ा महज आधा फीट चौड़ा व इतना ही गहरा है। बावजूद इसके इसमें लाखों लीटर पानी समा जाता है।

साल में दो बार ही दर्शन

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इस घड़े को दर्शन के लिए शीतला सप्तमी व ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा, इन दो अवसरों पर ही खोला जाता है। इस दौरान इस पर रखे पत्थर को हटाया जाता है। इसके बाद गांव की महिलाएं इसमें पानी उड़ेलती जाती हैं मगर यह भरता ही नहीं है। फिर जब पुजारी माता रानी के चरणों में दूध का प्रसाद चढ़ाते हैं, तब यह घड़ा भर जाता है और इसे बंद करके रख दिया जाता है।

कौन पीता है पानी?

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इस घड़े के न भर पाने का कारण यह है कि कोई इसका पानी पी जाता है। मान्यताओं के अनुसार एक राक्षस सारा पानी पी जाता है और इस घड़े को भरने ही नहीं देता। आश्चर्य की बात है कि वैज्ञानिक भी इस घड़े को लेकर शोध कर चुके हैं, मगर वो किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए।

कौन है यह राक्षस?

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यह मंदिर जिस गांव में स्थित है, उससे बाबरा नाम के एक राक्षस की कथा जुड़ी हुई है। बाबरा बेहद क्रूर राक्षस था। जब भी किसी ब्राह्मण के घर विवाह का आयोजन होता था, वो दूल्हे को मार देता था। गांव वाले बाबरा के आतंक से घबरा गए थे। उन्होंने शीतला माता को मनाने के लिए कठोर तप किया व माता से राक्षस को मार देने की गुहार लगाई।

ऐसे किया राक्षस का वध

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इस तपस्या से प्रसन्न होकर शीतला माता एक ब्राह्मण के सपने में आई और कहा कि वो शादी वाले दिन आकर राक्षस का वध कर देंगी। जब वो दिन आया तो शीतला माता एक बच्ची का भेष धारण करके आईं और उन्होंने घुटनों से दबोचकर राक्षस का वध किया।

राक्षस की आखिरी इच्छा

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मरते समय राक्षस ने माता से विनती की कि उसे बहुत ज्यादा प्यास लगती है इसलिए उसे साल में दो बार ढेर सारा पानी पिलाया जाए। शीतला माता ने राक्षस को यह वरदान दे दिया और बस तभी से यह परंपरा चली आ रही है।

ये है रहस्यमयी घड़ा – क्या आपको शीतला माता मंदिर के रहस्यमयी घड़े की कहानी मजेदार लगी? अगर हां तो आप भी यहां एक बार दर्शन करने जरूर जाइएगा।