धर्म और भाग्य

शेर की खाल क्‍यों पहनते हैं भगवान शिव

बाघ की खाल – पूरे संसार में भगवान शिव से ज्‍यादा शक्‍तिशाली और कोई भी नहीं है।

उन्‍हें विनाशक की उपाधि भी दी गई है और कहते हैं कि मृत्‍यु के बाद आत्‍मा शिव में ही विलीन हो जाती है। शिव का स्‍वरूप भी अद्भुत है। वे अन्‍य देवताओं की तरह सुंदर और आकर्षण वस्‍त्र नहीं पहनते लेकिन फिर भी भक्‍तों को बहुत सुंदर और करुणामयी लगते हैं।

शिव का स्‍वरूप

भगवान शिव के एक हाथ में डमरू, एक में त्रिशूल, गले में सांप और जटाओं में गंगा की धारा समाहित है।

शिव अपने शरीर पर भस्‍म लगाए रहते हैं और वस्‍त्र के नाम पर बस बाघ की खाल लपेटी है। बस इतना सा ही है भोलेनाथ का स्‍वरूप। बाकी देवी-देवताओं के मुकाबले शिव का स्‍वरूप बहुत साधारण और सरल है और शायद इसी वजह से वो इस ब्रह्मांड में सबसे अलग और सर्वश्रेष्‍ठ माने जाते हैं।

क्‍या आपने कभी सोचा है कि भगवान शिव बाघ की खाल क्‍यों पहनते हैं ? उनकी चाहे कितनी भी तस्‍वीरें देख लो, हर तस्‍वीर में शिवजी बाघ की खाल में ही नज़र आते हैं। लेकिन बाघ की खाल शिव को इतनी प्रिय क्‍यों है ?

शिव के बाघ की खाल धारण करने की वजह शिवपुराण की एक कथा में मिलती है। आइए जानते हैं इसका कारण।

क्‍यों पहनते हैं बाघ की खाल

पौराणिक मान्‍यता के अनुसार एक बार भगवान शिव ब्रह्मांड का चक्‍कर काट रहे थे और इस दौरान एक वन में पहुंचे। यहां पर कई ऋषि-मुनि अपने परिवार के साथ वास करते थे। इस वन से भगवान शिव निर्वस्‍त्र गुज़र रहे थे, वहां मौजूद ऋषियों की पत्नियां भगवान शिव का सुडौल और सुंदर शरीर देखकर आकर्षित हो गईं।

अपने सब कार्यों को छोड़कर उनका सारा ध्‍यान शिवजी पर रहता। जब ऋषियों को इस बात का ज्ञान हुआ तो वो बहुत क्रोधित हुए। तब सभी ऋषियों ने शिवजी को सबक सिखाने के लिए एक योजना बनाई और उनके मार्ग में गड्ढा खोद दिया। मार्ग से गुज़रते हुए शिवजी उसमें गिर गए।

जैसे ही भगवान शिव उस गड्ढे में गिरे ऋषियों ने उसमें एक बाघ को भी गिरा दिया जिससे बाघ शिवजी को मार दे। वे सब ऋषि-मुनि भगवान शिव की शक्‍तियों से अनजान थे। शिवजी ने उस बाघ का संहार कर दिया और उसकी खाल पहनकर गड्ढे से बाहर आ गए। तब वहां उपस्थित सभी ऋषियों को इस बात का आभास हुआ कि शिवजी कोई साधारण मनुष्‍य नहीं हैं। सभी भगवान शिव की शरण में आ गए और उनसे क्षमायाचना करने लगे।

इस पौराणिक कथा के आधार पर ही माना जाता है कि शिवजी बाघ की खाल पहनते हैं और उस पर विराजमान रहते हैं।

भगवान शिव बहुत सरल और साधारण जीवन जीते हैं। कहते हैं कि भोलेनाथ बहुत भोले हैं और सच्‍चे मन से की गई प्रार्थना से भी अपने भक्‍तों के सब दुख दूर कर देते हैं। अगर आप भी शिव को प्रसन्‍न करना चाहते हैं तो ये बात समझ लें कि भोले भंडारी को किसी कीमती वस्‍तु या धन आदि का मोह नहीं है। वो बस सच्‍ची भक्‍ति से भी प्रसन्‍न हो जाते हैं। शिव की लीला अपरम्‍पार है।

Parul Rohtagi

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Parul Rohtagi

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