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छाया सोमेश्वर – भगवान शिव पर पड़ती है किसकी छाया- आज खुलेगा 1000 साल पुराने मंदिर का रहस्य!

Chaya Someshwar Temple

हमने बहुत से अनोखे और चमत्कारिक मंदिरों के बारे में पढ़ा है.

बहुत से चमत्कारिक मंदिरों में हम दर्शन के लिए भी जाते है. क्या आप जानते है कि हमारे पूर्वज ना केवल धर्म के मामले में अपितु विज्ञानं और स्थापत्य के मामले में भी हमसे आगे थे.

इसका सबसे बड़ा प्रमाण दक्षिण भारत में मिलने वाले अद्भुत स्थापत्य और वास्तुकला वाले मंदिर है.

हैदराबाद से करीब 100 किलोमीटर दूर नालगोंडा में भी एक इसी प्रकार का विलक्षण शिव मंदिर है. कहा जाता है कि ये मंदिर करीब 1000 साल पुराना है. कला की दृष्टि से ये मंदिर अपने आप में अनोखा है.

chaya-someshwar

इस शिव मंदिर का नाम छाया सोमेश्वर मंदिर है .

कुछ समय पहले तक इस मंदिर से एक रहस्य जुड़ा था.

इस मंदिर में हर समय भगवान शिव की मूर्ति के पीछे एक खम्बे की छाया पड़ती थी.

इस मंदिर में बहुत से खम्बे है जो मंदिर को सहारा देते है लेकिन रहस्य की बात ये थी कि यदि आप सभी खम्बों के सामने भी खड़े हो जाएँ तो भी शिव के पीछे खम्बे की छाया दिखाई देगी.

शिव के पीछे दिखने वाली इस छाया का रहस्य बहुत समय तक रहस्य ही बना हुआ था. बहुत से लोग इसे चमत्कार मानते थे.

कुछ समय पहले वैज्ञानिकों ने शिव के पीछे पड़ने वाली खम्बे की छाया का रहस्य सुलझ लिया है.

वैज्ञानिकों के अनुसार ये छाया किसी चमत्कार का परिणाम नहीं, ये विज्ञान के एक सिद्धांत आधारित है.

Diffraction of Light या प्रकाश का विवर्तन सिद्धांत कहता है कि यदि प्रकाश के मार्ग में कोई अवरोध आ जाये तो प्रकश की किरने उस अवरोध से टकराकर रास्ता बदल देती है, इसके परिणामस्वरूप उस अवरोध की छाया दिखाई देती है.

Differaction of Light

छाया सोमेश्वर मंदिर में पड़ने वाली छाया का रहस्य तो वैज्ञानिकों ने खोज निकाला लेकिन उससे भी बड़ा रहस्य ये है कि प्रकाश के विवर्तन सिद्धांत की खोज 17वीं सदी में हुई थी. मतलब छाया सोमेश्वर मंदिर के निर्माण के करीब 700 वर्ष बाद.

इसका अर्थ ये है कि जो भी इस मंदिर का निर्माता और वास्तुकार रहा होगा उसे Diffraction of Light के बारे में पता था.

Chaya-Someswara-Nalgonda

समय समय पर ऐसी बातें सुनने को और पढने को मिलती रहती है कि भारतीय विज्ञान प्राचीन काल में भी बहुत उन्नत था.

कुछ लोग इस बात का मजाक भी उड़ाते है. छाया सोमेश्वर मंदिर में उपयोग किया गया भौतिकी का प्रकाश  विवर्तन सिद्धांत इस बात का साक्ष्य है कि प्राचीन भारतीय विज्ञान अपने समय में पश्चिमी देशों के विज्ञानं से कहीं आगे था.