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मुस्लिमों को डर है कहीं मोदी जी नई कुरान न लिख दें !

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तीन तलाक के मुद्दे को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बहुत घबराया हुआ है.

यही कारण है कि उसने इस मुद्दे पर मुस्लिमों की भावनाओं को भड़काने का काम भी शुरू कर दिया है. अब वह तीन तलाक के मुद्दे को कुरान से जोड़कर इसको सांप्रदायिक रंग देने की जुगत भिड़ा रहा है.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि अगर केंद्र की मोदी सरकार मुस्लिम महिलाओं को समानता के नाम पर तीन तलाक पर कोई कानून बनाती है तो वह मुस्लिम पर्सनल लॉ हस्तक्षेप होगा.

इतना ही नहीं, बोर्ड का कहना है कि तीन तलाक को न मानना कुरान को दोबारा लिखने और मुस्लिमों से जबरदस्ती पाप कराने के लिए मजबूर करने जैसा होगा.

यही नहीं फिर वह अल्लाह का कानून नहीं बल्कि मोदी का कानून होगा. ऐसा करके मोदी न केवल मुस्लिमों के पर्सनल लॉ से छेड़छाड़ कर रहे हैं बल्कि इसके बाद एक नई कुरान लिखने की कोशिश कर रहे हैं.

मुसलमान केवल अल्लाह की कुरान को मानेगा न कि मोदी की कुरान को.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक के खिलाफ सभी याचिकाओं को खारिज करने की मांग की है. मुस्लिम बोर्ड ने दावा है कि उनके खिलाफ तीन तलाक के मुद्दे पर दाखिल की गई याचिका आधारहीन है.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि अगर तीन तलाक को अमान्य करार दिया जाता है तो यह अल्लाह के निर्देशों का उल्लंघन होगा.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मुताबिक, इस तरह अगर सुप्रीम कोर्ट यह तय करता है तीन तलाक वैध नहीं है तो यह पवित्र कुरान को दोबारा लिखे जाने जैसा होगा.

कुरान की आयतें कुछ और नहीं बल्कि अल्लाह के शब्द हैं और यही इस्लाम का आधार हैं. कुरान के किसी भी हिस्से से छेड़छाड़ इस्लाम के मूलभूत तत्वों से छेड़छाड़ करने जैसा होगा.

बोर्ड ने साफ कर दिया कि तीन तलाक, हलाला और बहुविवाह इस्लाम धर्म का अभिन्न हिस्सा है. इसमें बदलाव संभव नहीं हैं.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि मुस्लिमों की धार्मिक रिवायतों पर दायर याचिकाएं निजी पक्ष के खिलाफ मूलभूत अधिकारों को लागू करवाने की कोशिश है. बोर्ड ने कहा कि उसके प्रावधान संविधान की धारा 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) के तहत वैध हैं.

बोर्ड ने कहा, अगर पवित्र कुरान की इसी तरह बुराई की जाती रही तो जल्दी ही इस्लाम खात्मे की कगार पर आ जाएगा. हालांकि तीन तलाक तलाक देने का बिल्कुल अलग तरीका है लेकिन कुरान की पवित्र आयतों और पैगंबर के आदेश के मद्देनजर इसे अवैध करार नहीं दिया जा सकता.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि सभी मुस्लिम कुरान और पैगम्बर के निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य हैं. पर्सनल लॉ बोर्ड के मुताबिक अगर कोई मुस्लिम कुरान में मना किए गए कामों को अंजाम देता है तो वह गुनाह करता है.

यानी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तीन तलाक को लेकर जिस प्रकार की बातें कर रहा है उससे साफ है कि वह किसी भी हद तक जाने की तैयारी कर रहा है. उसके लिए इस मामले में अदालत आदि का जैसे कोई महत्व ही नहीं है.