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मुस्लिम बच्चे क्यों सबसे तेज़ी से छोड़ रहे हैं स्कूल जाना?

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मुस्लिम समुदाय अपनी कट्टरता के लिए विख्यात हैं, लेकिन इस समुदाय की एक मुख्य समस्या गरीबी हैं और इस समुदाय से जुड़े लोग हर रोज़ इससे रूबरू होते हैं. मुस्लिमो के पास नेता केवल वोट की उम्मीद से आते तो लेकिन कोई भी यह नहीं चाहता कि देश का यह समुदाय सचमुच विकास करे.

यह सारी बातें नकारात्मक हैं लेकिन बद्किस्माती से सच हैं.

इन सभी बातों को कहने की एक मुख्य वजह यह भी हैं कि अभी कुछ दिन पहले नैशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन ने बच्चों पर एक सर्वें किया और दक्षिण भारत के तेलंगाना राज्य के हिस्से वाले इलाकों के बारे में चौकाने वाला ख़ुलासे हुए कि पिछड़ी जाति और जनजाति से ज्यादा मुस्लिम बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं.

राज्य में 2013-14 में सेकेंडरी स्कूल छोड़ने का यह आकड़ा 17.43% दर्ज किया गया था लेकिन मुस्लिम समुदाय के बच्चों में स्कूल छोड़ने की दर इस आकड़े से दोगुनी रही थी. इस सर्वे के मुताबिक लगभग 31% मुस्लिम बच्चे इस तरह  से हर साल स्कूल छोड़ देते हैं.

सेकेंडरी क्लास के अलावा ऐसा ही कुछ हाल हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाले मुस्लिम बच्चों के साथ भी रहा हैं. सामान्य वर्ग में आने लोगो की दर 13% रही, वही एससी वर्ग से आने वाले बच्चों की दर 9% थी. एसटी से आने वाले बच्चों का आकड़ा 13% रहा और 10% ओबीसी वर्ग के लोगों रहा था, लेकिन इन सब वर्ग के अलावा स्कूल छोड़ने की बात में मुस्लिम बच्चों की दर 16% दर्ज की गयी.

वर्ग के आधार के बाद जब लैंगिक आधार पर यह सर्वे किया गया तो यहाँ भी आकड़ें ऐसी ही चौकाने वाले रहे. स्कूल छोड़ने की बात में मुस्लिम समुदाय के लड़के अन्य समुदाय के लड़कों से तो आगे रहे ही साथ ही मुस्लिम समुदाय की लड़कियों को भी इन्होने पीछे कर दिया हैं.

सर्वे में की गयी स्टडी के बारे में जब डॉ.ए सी मेहता से स्कूल छोड़ने की वजह के सिलसिले में पूछा गया तो, उन्होंने  कहा कि यह सर्वे इसकी वजह जानने के लिए नहीं किया गया था, लेकिन फिर भी आज के हालतों को देखा जाये तो यह बात स्पष्ट होती हैं कि मुस्लिम समुदाय में व्याप्त ग़रीबी के चलते मुस्लिम लड़के रोज़ी रोटी के लिए स्कूल छोड़ कर काम में लग जाते हैं या फिर उनके परिवार वाले ही स्कूल से निकाल कर उन्हें अपने साथ व्यवसाय में जोड़ लेते हैं और उन बच्चों की पढ़ाई अधूरी रह जाती हैं. उनकी ग़रीबी के कारण उनके लिए स्कूल फीस और पढ़ाई के लिए होने वाले ज़रूरी खर्चों का इंतज़ाम कर पाना मुश्किल होता हैं जिससे बच्चे पढ़ नहीं पाते हैं.

डॉ.मेहता द्वारा दी गयी यह वजह भले ही देश के बाकि मुद्दों की तरह सभी का ध्यान अपनी ओर न खीच पाएं लेकिन यह सच्चाई हैं कि बहुत सी समस्याओं की मुख्य वजह ग़रीबी हैं.