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इन तस्वीरों के जरिए समझिए कैसे काम करता है अमेरिका का ये मास्टर बम

मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स

मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स – अमरीकी सेना ने अफगानिस्तान के पूर्वी प्रांत नांगरहार में दुनिया के जिस सबसे बड़े बम को गिराया है उसका नाम जीबीयू-43-बी है. यह एक नॉन न्यूक्लियर बम है. लेकिन बहुत ही खतरनाक होता है.

अमरीकी सेना की भाषा में इसे मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स कहा जा रहा है. आइए देखते हैं कि ये बम काम कैसे करता है.

मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स –

1   करीब 30 फुट और 9 हजार 800 किलोग्राम भार वाला यह बम जीपीएस से संचालित होता है. इसे एक ट्रांसपोर्ट प्लेन के कार्गो डोर से फेंका जाता है.

2   जिस वक्त इस बम को कार्गो प्लेन से जमीन पर फेंका जाता है उससे पहले तो उससे पूर्व उपग्रह आदि के जरिए उस स्थान का पूरा डाटा जमा कर लिया जाता है. ताकि बम सटीक निशाने पर जा कर गिरे.

मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स

3   बम को एयरक्राफ्ट के एक पैलेट जरिए काफी उंचाई से गिराया जाता है. जिस वक्त बम को गिराया जाता है उस समय उसमें एक पैराशूट बंधा होता है, जो एयरक्राफ्ट का गेट खुलने पर तेजी से बाहर की ओर जाता है.

मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स

4   कुछ देर पैराशूट से लटकने के बाद जीबीयू-43/बी बम आटोमैटिक ही लेजर बीम के जरिए अपने टारगेट को खोजता हुआ आगे की ओर बढ़ने लगता है.

मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स

5   जिस वक्त जीबीयू-43/बी बम जमीन के समंपर्क में आता है तो जोरदार धमाका करता है. धमका इतनी तेज होता है कि आस पास जमा लोग इसके आवाज से ही मर जाए.

मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स

6   जमीन से टकराने के बाद ये बम पहले बंकर की दीवार को तोड़ता है उसके बाद इसके दूसरेे चरण में बंकर में छेद के सहारे अंदर प्रवेश करता है और तीसरे चरण में वह फट जाता है.

मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स

7   जिस समय जीबीयू-43/बी बम फटता है उस समय वहां सबकुछ तबाह कर देता है. बम गिरने के स्थान पर दूर दूर तक एक बड़े आकार का गढा बन जाता है.

मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स

ये है अमेरिका का मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स – आपको बता दें कि ये बम सुरंगों में छिपे दुश्मनों को मारने या उनके नेटवर्क को तबाह करने के काम आता है. जीबीयू-43/बी एक गैर-परमाणु हथियार है जिस कारण इसके इस्तेमाल के लिए सेना को अमरीकी राष्ट्रपति से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं पड़ती है.