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ऐ नर्गिस ए मस्ताना – मदर इंडिया से हटकर नर्गिस जी की 10 बेहतरीन फ़िल्में

ऐ नर्गिस ए मस्ताना …….

अल्हड मासूमियत और सादगी से भरी नजाकत ….क्या कहेंगे एक शब्द में इन सब खूबियों को ?

नर्गिस .. जी हाँ हिंदी सिनेमा की सबसे खूबसूरत और बेहतरीन अदाकारों में से एक नर्गिस .

उनका बचपन का नाम फातिमा था पर फिल्मों में उन्हें नर्गिस नाम दिया .. और जिसने भी उन्हें नर्गिस नाम दिया वो एक सच्चा जौहरी होगा तभी तो नाम दिया नर्गिस. नर्गिस जिसका अर्थ होता है खुशबूदार फूल. सच में ही वो एक खुशबूदार फूल ही थी जिनकी खुशबू  उनके जाने के इतने सालों बाद भी सिनेमा के बाग़ में फैली हुयी है .

यूँ तो नर्गिस जी की सबसे मशहूर फिल्म ऑस्कर नॉमिनेटेड मदर इंडिया को माना जाता है पर उसके अलावा भी नर्गिस जी ने  बहुत सी फिल्मों में कमाल का अभिनय किया था , खासकर राजकपूर के साथ .

राजकपूर के साथ उनकी जोड़ी ऐसी थी की न वैसा जादू कोई जोड़ी चला पाई न कोई जोड़ी चला पायेगी .

महबूब खान ने भी जब अपनी खुद की 1940 की फिल्म  औरत का रीमेक बनाने  का सोचा होगा तब भी उन्हें ये अंदाज़ा नहीं होगा की नर्गिस के अभिनय से ये फिल्म हिंदी सिनेमा के इतिहास का एक मील का पत्थर बन जाएगी

आज उनके 86 वें  जन्मदिन पर बात करते है मदर इंडिया के इतर  नर्गिस जी के यादगार अभिनय से सजी उनकी 10 बेहतरीन  फिल्मों की

आवारा (1951)

राज कपूर , पृथ्वी राज कपूर , के, एन . सिंह जैसे दिग्गजों के बीच नर्गिस ने अपने अभिनय की छाप छोड़ी . इस फिल्म का केन्द्रीय किरदार राज कपूर थे पर नर्गिस के बिना राजू का किरदार कुछ अधुरा ही रहता . एक ऐसी दुनिया जहाँ हर कोई राजू के खिलाफ है वहां सिर्फ रीता ही उसे समझती है . पूरे विश्व खासकर सोवियत रूस में हलचल मचने वाली आवारा प्रतिष्ठित कांस फिल्म उत्सव में भी सर्वोच्च पुरूस्कार के लिए नामांकित हुयी थी

श्री 420 (1955) –

राजू कपूर और नर्गिस फिर एक बार साथ में … क्या जादू से कम की उम्मीद भी कर सकते है हम , एक अद्भुत फिल्म . नए नए आज़ाद हुए भारत की कहानी . राजू और विद्या की प्रेम कहानी और बैक ड्राप  में नए आजाद भारत की हर एक समस्या पर कटाक्ष . क्वाजा अब्बास अहमद की लिखी ये फिल्म ना सिर्फ यादगार अभिनय और कहानी के लिए अमर हुयी बल्कि शंकर जयकिशन के संगीत का भी इसे अमर बनाने में बहुत बड़ा योगदान था .

बरसात (1949) –

बरसात के नाम से याद आता है एक छतरी के नीचे आधे भीगते राज और नर्गिस और प्यार हुआ इकरार हुआ है प्यार से फिर क्यों डरता है दिल की स्वर लहरी . 1949 में बनी इस फिल्म से ही लिया गया है आर के फिल्म्स का मशहूर लोगो . बरसात कई मायनों में क्लासिक थी , राज कपूर द्वारा निर्देशित ये पहली सफल फिल्म थी , अदाकारा निम्मी की भी ये बतौर अभिनेत्री पहली फिल्म थी . इस फिल्म ने ना सिर्फ राज कपूर को आर के स्टूडियो खरीदने में मदद की बल्कि इस फिल्म ने हिंदी सिनेमा को संगीत के क्षेत्र में लता मंगेशकर और शंकर जय किशन की पहचान और पुख्ता की .

चोरी चोरी (1956) –

साल 1956 रिश्तों के टूटने की आहट आने लगी थी राज और नर्गिस की रील और रियल जोड़ी दोनों का ठहराव था . बरसात इस जोड़ी की आखिरी फिल्म थी . और ऐसी प्रेम कहानी जो जोड़ी के टूटने के बाद आज भी जिन्दा है . राज कपूर ने सागर / सुल्ताना डाकू का किरदार निभाया था तो नर्गिस ने कम्मो नाम की बिगड़ी रईस लड़की का . कैसे एक डाकू दो अजनबी मिलते है और हमेशा हमेशा के लिए एक दुसरे की जिंदगी बदल देते है .

संगीत भी ऐसा की कहीं न कहीं ‘मन्ना डे और लता  की आवाज़ में आजा सनम मधुर चांदनी में हम ’ सुनाई पड़ ही जाता है .

रात और दिन (1967 ) –

1967 में बनी ये फिल्म कई मायनों में अपने वक्त से बहुत आगे की फिल्म थी . वरुणा के किरदार में नर्गिस ने मल्टिपल पर्सनालिटी डिसऑर्डर से ग्रसित गृहणी का ऐसा जीवंत अभिनय किया था कि जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरूस्कार से सम्मानित किया गया था . रिलीज़ के वक्त रात और दिन को वो रेस्पोंसे नहीं मिला जिसकी वो हकदार थी पर जैसे जैसे समय गुजरा इस फिल्म को नर्गिस अभिनीत सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक माना गया

आह (1953) –

रात और दिन की तरह ही आह को भी वो सफलता और सम्मान नहीं मिला जिसकी ये फिल्म उस समय हकदार थी . एक अनूठी प्रेम कहानी जिसको बाद में थोडा बहुत हेर फेर करके मुझसे दोस्ती करोगे के नाम से कुनाल कोहली ने यश राज फिल्म्स के लिए बनाया . दो लड़कियों और एक लड़के का प्रेम त्रिकोण और जानलेवा बीमारी से ग्रसित हीरो . जो अपनी बीमारी के कारण अपने प्यार से झूठ बोलता है . उस समय भले ही ये फिल्म सफल नहीं हुयी हो पर इस फिल्म का संगीत तब भी पोपुलर था और आज भी . राजा की आएगी बारात गाना आज भी हर शादी में सुनाई पड़ ही जाता है

आग (1948) –  

राजकपूर और नर्गिस की एक और प्रेम कहानी . आग आर के बैनर के तले बनने वाली पहली फिल्म थी जिसके निर्माता निर्देशक राज कपूर ही थे . एक धनाड्य लड़के के अपने पिता से विद्रोह की कहानी जो अपनी नाटक कंपनी और बचपन के प्यार की खातिर सब कुछ छोड़ देता है और अपनी कहानी और नाटक के जरिये अपने प्यार को जीता है.

नर्गिस ने इस फिल्म में भारत पाकिस्तान बंटवारे से पीड़ित लड़की की भूमिका निभाई थी जो नाटक में राज कपूर की प्रेम कहानी की नायिका बनती है . एक एक दृश्य में दोनों का प्रेम सजीव हो उठा था

अंदाज़ (1949) –

महबूब खान  द्वारा निर्देशित अंदाज़ हर मायने में एक बड़ी फिल्म थी . आने समय की ड्रीम स्टार कास्ट राज कपूर नर्गिस और दिलीप कुमार और मजरूह के गीतों और नौशाद के संगीत से सजी थी ये फिल्म. राज और दिलीप की ये एकमात्र फिल्म है जिसमे दोनों ने एक साथ काम किया था . प्रेम त्रिकोण की शुरुआत फिल्मों में इसी फिल्म से हुयी थी . राज कपूर और दिलीप कुमार जैसे दिग्गजों के होते हुए भी इस फिल्म में नर्गिस सबसे अलग और सबसे बेहतरीन नज़र आई . अंदाज़ की सबसे बेहतरीन बात ये थी की दो महँ कलाकारों की उपस्थिति में भी महबूब खान ने नर्गिस के किरदार को संवारा और नर्गिस ने भी उम्दा अभिनय से अपनी प्रतिष्ठा में चार चाँद लगा दिए .

यादें (1964)  –

इस फिल्म के निर्माता निर्देशक और फिल्म के एक मात्र कलाकार सुन्नेल दत्त साब थे . ये अपने तरह की इकलौती फिल्म थी . इस फिल्म में नर्गिस केवल आखिरी दृश्य में नज़र आती है वो भी एक परछाई के रूप में . पर ऐसी साहसी फिल्म बनाने का साहस और अपने पति पर विश्वास कर नर्गिस जी हर राह पर साथ कड़ी हुई दिखती है . जैसा की अपने समय से आआगे की हर फिल्म के साथ होता है वैसा ही यादें के साथ भी हुआ. बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह असफल पर यादें बनाने के लिए हिंदी फिल्म इंडस्ट्री सुनील दत्त और नर्गिस का हमेशा ऋणी रहेगा .

दीदार (1951) –

दीदार अपने समय की सबसे सफल फिल्मों में से एक थी . दिलीप कुमार और नर्गिस . दुखद प्रेम कहानियों में सबसे बेहतरीन . बचपन के प्यार को खोने का दर्द. यही वो फिल्म थी जिसके बाद दिलीप कुमार को ट्रेजिडी किंग का ख़िताब मिला था.

ये थी नर्गिस की मदर इंडिया को छोड़ कर कुछ बेहतरीन फिल्मे …

आज नर्गिस के 86वें जन्मदिन पर श्रद्धांजलि .

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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Yogesh Pareek

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