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इस वर्ष राखी पर चंद्र ग्रहण है – ग्रहण में क्या करें क्या न करें

चंद्र ग्रहण
इस वर्ष राखी पर चंद्र ग्रहण हैॅ श्रावण शुक्ल पक्ष पूर्णीमा 7 अगस्त 2017 सोमवार श्रावणी उपाकर्म  राखी बंधन श्रवण पूजन कब करें
चंद्र ग्रहण समय रात में 10.29 से मध्य रात 12.22 तक ग्रहण का कुल समय 1 घंटा 53 मिनट है; सूतक काल प्रारंभ दोपहर 1.29 से प्रारंभ-
भद्रा रहेंगी दोपहर 11.04 मिनट तक इसलिए आपको श्रावणी उपाकर्म राखी बंधन श्रवण पूजन का मुहूर्त्त दोपहर के 11.05 से दोपहर 1.28 मिनट के बीच में करना है;
ग्रहण में क्या करें क्या न करें –
चंद्र ग्रहण ओर सूर्य ग्रहण में संयम रखकर जप ध्यान करने से कई गुना फल हेाता है।
श्रेष्ठ साधक उस समय उपवास पूर्वक ब्राहृमी घृत का स्पर्ष करके ओम नमो नारायाणाय मंत्र का जाप करने के पश्चात ग्रहण शुद्ध होने पर उस घृत को पीले ऐसा करने से वह धारण शक्ति, कवित्व  शक्ति एवं वाक शक्ति प्राप्त कर लेता है।
सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है। उतने वर्षो तक अरून्तुद नामक नरक में वास करता है।
सूर्य ग्रहण में ग्रहण चार  प्रहर 12 घंटे पूर्व ओर चंद्र ग्रहण में 3 प्रहर नौ घंटे पूर्व सूतक लग जाता है। इस काल में भेाजन नही करना चाहिए।
वृद्ध, बालक एवं रोगी। डेढ प्रहर साढे चार घंटे पूर्व तक खाना खा सकते है।
ग्रहण वेध के पूर्व जिन पदार्थ में कुुश या तुलसी की पत्तियां डाल दी जाती है। वे पदार्थ दुषीत नही होते। पके हुए। अन्न का त्याग करके उसे गाय कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए। ग्रहण वेध के प्रारंभ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग अत्य आवश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए। ओर ग्रहण शुरु होने से अंत तक जल या अन्न ग्रहण नही करना चाहिए।
ग्रहण के स्पर्श समय स्नान मध्य के समय के हो देव पूजन ओर श्राद्ध तथा अंत में सचेल स्नान करना चाहिए। स्त्रीयां सर धोए बगैर भी स्नान कर सकती है।
  • ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चंद्र जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिंब देखकर भोजन करना चाहिए।
  • ग्रहण काल में स्पर्श कीए हुए वस्त्रादि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्र सहित स्नान करना चाहिए।
  • ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नही बोलना चाहिए। ग्रहण के स्नान गर्म जल की अपेक्षा ठंडा जल। ठंडे जल में भी दूसरे के हाथ से  निकाले हुए जल की अपेक्षा अपने हाथ से निकाला हुआ जल उपयोग करना चाहिए।
  • स्नान के लिए जमीन भरा हुआ, भरे हुए की अपेक्षा बहता हुआ, बहते हुए की अपेक्षा सरोवर का सरोवर की अपेक्षा नदी का, अन्य नदी की अपेक्षा गंगा का, गंगा की अपेक्षा समुद्र का जल पवीत्र माना जाता है।
  • ग्रहण के समय गायों को घास पक्षियों को अन्न, जरूरतमंद को वस्त्रदान से अनेक गुणा पुण्य प्राप्त होता है।
  • ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके , लकडी ओर फूल नही तोडने चाहिए, बाल तथा वस्त्र नही निचोडने चाहिए।
  • ग्रहण के समय ताला खोलना , सोना, मलमूत्र त्याग करना, मैथुन एवं भोजन यह सब कार्य वर्जीत है।
  • ग्रहण के समय कोई भी नया कार्य नही करना चाहिए। ग्रहण के समय सोने से रोगी, लघुशंका, करने से दरिद्र मल त्यागने से किडा, स्त्री प्रसंग करने से सुअर ओर उपटन लगाने से व्यक्ति कोडी होता हैं।
  • गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विेषेष सावधान रहना चाहिए।