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पुरुष भी होते है महिलाओं के हाथों शिकार, इन्हें बचाने में कानून भी लाचार

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जहां महिलाओं का जन्म होता है तब से उनकी सुरक्षा के लिए कानून बनना शुरु हो जाते है जैसे भ्रूण हत्या रोकने के लिए कानून, दहेज विरोधी कानून, कार्यस्थल पर प्रताड़ना रोकने हेतू कानून और घेरलू हिंसा से बचाव के लिए कई कानून बनाए गए है.

लेकिन पुरुष अपना दुखड़ा किसके सामने रोए  ये उनकी समझ से परे है.

उनका कहना है कि महिलाओं के लिए जहां ढेरो कानून है तो वहीं पुरुषों के हक के लिए एक भी कानून खास तौर पर हीं बना जो कि उन्हें अपनी पत्नी के हाथों प्रताड़ित होने से बचा सकें. महिलाओं के हित के लिए जहां ढेरो एनजीओं काम कर रहे है तो वहीं पुरुषों के लिए ऐसा कोई भी संस्थान नहीं है.

यहां तक कि महिलाओं के लिए जहां ढेरो हेल्पलाईन जैसी सुविधा फ़ोन पर उपलब्ध कराई गई है तो वहीं ऐसी जगह पर कॉल करने पर ये सुविधा सिर्फ महिलाओं के लिए है कहकर फोन काट दिए जाते है.

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