धर्म और भाग्य

नवरात्रे के चौथे दिन ऐसे कीजिये माँ कूष्माण्डा देवी की पूजा !

नवरात्रे के चौथे दिन माँ कूष्माण्डा देवी जी की आराधना भक्त को करनी होती है.

माता के नौ रूप भक्त को अलग-अलग शक्तियां देते हैं. यदि कोई व्यक्ति या कहें साधक अपने शरीर की 9 शक्तियों को जाग्रत कर लेता है तो वह काम, क्रोध, मोह और लोभ को आसानी से हरा सकता है. एक साधक का अंतिम उद्देश्य बस अपने मन और इच्छाओं को काबू करना होता है.

आज अगर हम परेशान हैं और चिंताओं में डूबे हुए हैं तो उसकी वजह हमारे बंद ज्ञान चक्षु ही हैं.

माता के नौ दिन यही चमत्कार करते हैं. तो आइये जानते हैं कि नवरात्रे के चौथे दिन कैसे माँ कूष्माण्डा देवी को प्रसन्न किया जा सकता है-

माँ कूष्माण्डा देवी पूजन की विधि –

सबसे पहले जान लें कि माँ कूष्माण्डा देवी को फूलों से की गयी पूजा काफी पसंद होती है. आप सुबह और शाम दोनों की समय माता की पूजा कीजिये. सबसे पहले नहा लीजिये और उसके बाद आसन पर बैठकर माता की तस्वीर को चौकी पर लगायें. माता की साज-सज्जा का विशेष ध्यान रखें. माता पर फूल अर्पित करें और उसके बाद माता टीका लगायें. माता के सामने ख़ास घी के 5 दीये जलायें. उसके बाद आप सभी प्रमुख देवताओं की आरती करें.

ऐसा बताया जाता है कि जब दुनिया का अस्तित्व नहीं था तो माँ कूष्माण्डा देवी ने ही ब्रह्माण्ड की रचना की थी. माता की पूजा करने से साधक का अदाहत चक्र खुलता है. खासकर जो भक्त अपने गुस्से से परेशान हैं तो माता की पूजा उनको शांत मन रखने में मदद करती है.

माँ कूष्माण्डा देवी का जाप मन्त्र –

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता|
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम||

अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और कूष्माण्डा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है. या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ. हे माँ, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें. साधक को इस मन्त्र का जाप मन ही मन में कम से कम 108 बार करना चाहिए. आप ध्यान से इस मन्त्र का जाप सुबह भी करें और शाम को भी करें.

कम से कम 5 बार पढ़ें ध्यान मन्त्र –

वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्
कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥
पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्
कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

इस प्रकार माता से चौथे दिन माँ कूष्माण्डा देवी की पूजा करके भक्त अपने पापों का अंत कर सकता है. माता की पूजा भक्तों के मन को शांत करने का काम करती है.

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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