जब महाभारत के युद्ध के समय अर्जुन असमंजस में आ गए थे और अपने परिवार वालों पर हथियार उठाने में खुद को असक्षम पा रहे थे. उस समय श्री कृष्ण ने अर्जुन को भगवद् गीता का सन्देश देते हुए राह दिखाई.
कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया ये सन्देश भगवद् गीता के नाम से जाना जाता है.भगवद् गीता में लगभग मनुष्य के हर भ्रम और मुश्किल स्थिति को हल करने के तरीके मिल जाते है. शायद इसीलिए भगवद् गीता पूरे विश्व में सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली पुस्तकों में से एक है.
आज हम आपको बताते है गीता के उन श्लोकों के बारे में जिनके अंदर मैनेजमेंट के सुपरहिट फंडे छुपे है.
इस श्लोक में कृष्ण अर्जुन से कहते है “विवेकहीन मनुष्य के पास निश्चय करने की बुद्धि नहीं होती, बुद्धि बिना कुछ करने की भावना नहीं होती. जिसमे भावना नहीं होती उसे शांति नहीं मिलती और शांति बिना सुख कैसे मिलेगा.”
मैनेजमेंट सूत्र– हर मनुष्य सुख चाहता है, लेकिन उस सुख को प्राप्त करने के लिए हर कोई समुचित निर्णय नहीं ले पाता. स्व्बुद्धि और स्वविवेक से किये गए निर्णय ही सफल होते है. अगर हमारा मन लक्ष्य को छोड़ कर अन्य कार्यों में लिप्त है तो हमें कभी सफलता नहीं मिल सकती और सफलता बिना सुख कहाँ से मिलेगा.
इस श्लोक में कृष्ण अर्जुन से कहते है ” कर्म और योग का समन्वय करके यश-अपयश सबके बारे में सोचते हुए कर्म नहीं करना चाहिए. कर्म करते समय समबुद्धि रखनी चाहिए.
मैनेजमेंट सूत्र : कर्म का धर्म ये होता है कि समभाव से कर्म किये जाए. मान अपमान,यश अपयश,लाभ हानि सबके बारे में समभाव रखा जाए. अगर बहुत ज्यादा किसी एक चीज़ के बारे में सोचते हुए कर्म करेंगे तो कर्म का फल उतना नहीं मिलता जितना मिलना चाहिए. इसलिए अपनी बुद्धि और क्षमता को सिर्फ कर्म पर ही केन्द्रित रखना चाहिए.
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