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भगवान शिव के 2 नहीं 6 पुत्र थे.

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हम सभी भगवान् शिव और पार्वती के दो पुत्र कार्तिक और गणेश की ही कथा सुनते आये हैं.

लेकिन शिव और पार्वती के विवाह और उनसे होने वाले पुत्र के पीछे भी रोचक कहानी हैं.

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भगवान्  विष्णु का विवाह ब्रह्म देव के पुत्र भृगु की पुत्री लक्ष्मी से हुआ था. वहीँ ब्रह्मा के दुसरे पुत्र दक्ष की पुत्री सती का विवाह भगवान् शिव से हुआ था. लेकिन सती ने आग में कूद कर स्वयं को भस्म कर लिया था.

तो सवाल ये है कि शिव के पुत्र कैसे हुए?

सती की मृत्यु के बाद सती ने अपना दूसरा जन्म पर्वतराज हिमालय के यहाँ उमा के रूप में लिया था, जिससे भगवान शिव का विवाह हुआ और हिमालय की पुत्री उमा ही ‘पार्वती’ के नाम से जानी गयी. शिव पार्वती के विवाह के बाद उनका गृहस्थ जीवन शुरू हुआ और उन्हें पुत्र प्राप्त हुए.

1.  गणेश-

भगवान् गणेश के जन्म के पीछे की एक कहानी तो हम सब ने सुनी हैं कि माता पार्वती ने अपने उपटन और चन्दन के मिश्रण से गणेश की उत्पत्ति की और उसके बाद स्नान करने गयी थी. माता पार्वती ने गणेश को यह आदेश दिया था, कि स्नान करते तक वह किसी को घर में प्रवेश न करने दे. कुछ देर में भगवान् शिव आये जिन्हें गणेश ने घर के भीतर जाने से रोक दिया. इस बात से क्रोधित भगवान शिव ने गणेश का सर धढ़ से अलग कर दिया. अपने पुत्र की मृत्य से पार्वती बहुत नाराज़ हुई. माता पार्वती के गुस्से को शांत करने के लिए भगवान् शिव ने कटे सर की जगह हाथी के बच्चे का सर लगा कर गणेश को पुनःजीवित किया.

2.  कार्तिक-

स्कन्द पुराण की रचना कार्तिक के चरित्र पर किया गयी थी. कहते हैं कि सती की मृत्यु के बाद भगवान् शिव दुखी हो कर लम्बी तपस्या में बैठ गए थे, जिससे विश्व में दैत्यों का आतंक पूरी दुनिया में बढ़ गया था. सभी देवता इससे परेशान हो कर भगवान् ब्रह्मा के पास उपाय मांगने गए उसी वक़्त ब्रह्म देव ने कहा था कि शिव और पार्वती से जन्मा पुत्र इस समस्या का समाधान करेगा और शिव पार्वती के विवाह के बाद कार्तिक का जन्म हुआ था.

3.  सुकेश-

यह शिव पार्वती का तीसरा पुत्र था. लेकिन असल में सुकेश शिव पार्वती का नहीं विदुय्त्केश और सालकंठकटा का पुत्र था जिसे दोनों ने लावारिश छोड़ दिया था. हेती-प्रहेति नाम के दो राक्षस राज हुए थे, उसमे से हेती का पुत्र विदुय्तकेश था. भगवान् शिव और पार्वती जब इस बालक को ऐसे असुरक्षित पाया तो अपने साथ ले आये और उस बालक का पालन पोषण किया था.

4.  जलंधर-

जलंधर भगवान् शिव से निकला चौथा पुत्र था. कहते हैं कि भगवान शिव ने अपना तेज़ समुद्र में फेक दिया था जिससे जलंधर का जन्म हुआ था. उसमे भगवान शिव के समान ही शक्ति थी और अपनी पत्नी वृंदा के पतिव्रता धर्म के कारण वह इतना शक्तिशाली हो गया था कि उसने इंद्र को भी हरा कर तीनों लोकों में अपना कब्ज़ा जमा लिया था. तीन लोक के बाद उसने विष्णु को हरा कर बैकुंठ धाम पर भी अपना अधिकार चाहता था पर लक्ष्मी जी को अपनी बहन स्वीकारने के बाद वह बैकुंठ धाम से कैलाश को जीतने चला गया था. भगवान् शिव और जलंधर के बीच हुए युद्ध में जब उस पर किसी तरह के वार का असर नहीं हो रहा था तब भगवान विष्णु ने जलंधर की पत्नी वृंदा का पतिव्रत धर्म तोड़ कर उसकी मृत्यु सुनिश्चित की थी.

5.  अयप्पा-

अयप्पा भगवान् शिव और मोहिनी का रूप धारण किये भगवान विष्णु का पुत्र था. कहते हैं कि जब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया था तो उनकी मादकता से भगवान शिव का वीर्यपात हो गया था और उस वीर्य से इस बालक का जन्म हुआ. दक्षिण भारत में अयप्पा देव की पूजा अधिक की जाती हैं. अयप्पा देव को ‘हरीहर पुत्र’ के नाम से भी जाना जाता हैं.

6.  भूमा-

कहते हैं कि भगवान् एक बार जब तपस्या कर रहे थे तब उनके शरीर से पसीने की बुँदे धरती पर गिरी थी. इन बूदों से पृथ्वी ने एक चार भुजाओं वाले बालक को जन्म दिया था. जो भूमा के नाम से जाना गया. बाद में यही भूमा मंगल लोक के देवता के नाम सी भी जाना गया.

भगवान् शिव के इन 6 पुत्रों के अलावा कई पुत्र हुए, पर सबसे अधिक कथाएँ इन्ही पुत्रों को लेकर बनी और प्रचलित हुई.