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सिर्फ 80 रूपये उधार लेकर शुरू किया हुआ कारोबार आज 300 करोड़ के टर्नओवर तक पहुंचा है !

लिज्जत पापड़

ये बात आज से 58 साल पहले की है.

जब सात महिलाओं ने 80 रूपये उधार लेकर अपना कारोबार शुरू किया था। तब कोई नहीं जानता था कि ये छोटी सी शुरुआत एक दिन बेमिशाल साबित होगी।

ये कहानी जसवंती बेन और उनकी छः महिला साथियों की है जिन्होंने लिज्जत पापड़ जैसे ब्रांड की शुरूआत की थी। ये बात 15 मार्च 1959 की है जब दक्षिण मुंबई के एक इलाके गिरगोम के एक पुराने घर की छत पर इन्होने अपना कारोबार शुरू किया था और पहले दिन सिर्फ चार पैकेट पापड़ बनाई थी। आज ये कारोबार छः महिलाओं से 43 हजार महिलाओं तक पहुँच गया है और उधार के 80 रूपये से शुरू किये इस कारोबार का टर्नओवर अब 301 करोड़ रूपये सालाना हो गया है।

जसवंती बेन ने अपने इस उद्योग का नाम श्री महिला गृह उद्योग रखा है।

इस संस्थान के सफर और सफलता की बात करें तो इसका पहला महत्वपूर्ण पड़ाव 1966 में तब आया जब संस्था को बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट एक्ट 1950 के तहत सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1960 के तहत पंजीकरण प्राप्त हुआ और खादी और ग्राम आयोग ने कुटीर उद्योग के तौर पर संस्थान को मान्यता दी। इतना ही नहीं इस संगठन की कार्यशैली और उनके उत्पाद की गुणवत्ता को खादी एवं कुटीर उद्योग आयोग ने साल 1998 और साल 2000 में सर्वोत्तम कुटीर उद्योग के अवार्ड से सम्मानित किया है।

इसके अलावा कॉर्पोरेट एक्सीलेंस के लिए साल 2002 का इकनोमिक टाइम्स का बिजनेस वुमन ऑफ़ द इयर अवार्ड भी मिला। यहीं नही लिज्जत पापड़ को तत्कालिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी और राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भी सम्मानित कर चुके है।

आज लिज्जत पापड़ सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी फेमस है।

आज इसकी पूरे भारत में 81 शाखाएं है। इसमें काम करने वाली अधिकतर महिलाएं गरीब और अशिक्षित है। पापड़ के अलावा इस उद्योग के अंतर्गत अप्पालम, मसाला, गेहूँ आटा, चपाती, कपड़ा धोने का पावडर और साबुन, लिक्विड डिटर्जेंट आदि उत्पाद तैयार करते है।

इस संस्थान का मकसद महिलाओं को रोजगार देना और अच्छी आय के जरिये सम्मानित आजीविका उपलब्ध कराना है।

यहाँ पर काम करने के लिए कोई भी महिला किसी भी जाति, धर्म और रंग की हो जो संस्थान के मूल्यों और मक़सद के साथ खुद को खरा पाती हो उस दिन से ही इस संस्थान की सदस्य हो जाती है जिस दिन वो यहाँ पर काम की शुरुआत करती है। यहाँ पर सुबह साढ़े चार बजे से ही पापड़ उत्पादन का काम शुरू हो जाता है।

आज लिज्जत पापड़ की सफलता की कहानी उन हजारों महिलाओं की सफलता की कहानी बन गई है जो इससे जुड़ीं है।

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