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एक ऐसी मीनार जहाँ खून के रिश्तेवाले एक साथ नहीं जा सकते

लंका मीनार

लंका मीनार – अक्सर लोग परिवार के साथ कहीं घूमने जाते हैं.

गर्मी की छुट्टी शुरू हो गई है. ऐसे में आप भी अपने नज़दीक की जगहों पर जाने की सोच रहे होंगे. हर जगह परिवार के साथ जाने में ख़ुशी डबल हो जाती है, लेकिन उत्तर प्रदेश में एक ऐसी जगह है जहाँ पर खून के रिश्ते को एक साथ नहीं जाने देते.

आखिर ऐसा क्या है इस मीनार के अंदर की पूरा परिवार एक साथ यहाँ नहीं जा सकता?

इसके पीछे की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है. जब आप इसे पढेंगे तब आपको लगेगा कि सच में ये लाज़मी ही है. असल में मीनार में जब नीचे से ऊपर की ओर जाते हैं तभी परिवार के दो लोग नहीं जा सकते.

इस मीनार के अंदर अलग अलग लोग ही जा सकते हैं.

सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात तो ये है कि इसके भीतर खून के रिश्ते के दो लोग नहीं जा सकते.

यूपी के जालौन में 210 फीट ऊंची लंका मीनार है. इसके अंदर रावण के पूरे परिवार का चित्रण किया गया है. इस लंका मीनार का निर्माण मथुरा प्रसाद ने कराया था जो की रामलीला में रावण के किरदार को दशकों तक निभाते रहे. रावण का पात्र उनके मन में इस कदर बस गया कि उन्होंने रावण की याद में लंका का निर्माण करा डाला.

लंका मीनार को देखने दूर दूर से लोग आते हैं, लेकिन वो तब निराश हो जाते हैं जब उन्हें एक साथ अंदर नहीं जाने दिया जाता.

यह लंका मीनार सुंदर है.

1875 में मथुरा प्रसाद निगम ने रावण की स्मृति में यहां 210 फीट ऊंची मीनार का निर्माण कराया था, जिसे उन्होंने लंका का नाम दिया. सीप, उड़द की दाल, शंख और कौड़ियों से बनी इस मीनार को बनाने में करीब 20 साल लगे. उस वक्त इसकी निर्माण लागत 1 लाख 75 हजार रुपए आंकी गई थी.

स्वर्गीय मथुरा प्रसाद न केवल रामलीला का आयोजन कराते थे, बल्कि इसमें रावण का किरदार भी वो स्वंय निभाते थे. मंदोदरी की भूमिका घसीटीबाई नामक एक मुस्लिम महिला निभाती थी.

इसमें सौ फीट के कुंभकर्ण और 65 फीट ऊंचे मेघनाथ की प्रतिमाएं लगी हैं। वहीं मीनार के सामने भगवान चित्रगुप्त और भगवान शंकर की मूर्ति है.

इस मीनार में परिवार के जो दो लोग एक साथ नहीं जा सकते, वो हैं भाई बहन.

जी हाँ, इस मीनार की एक ऐसी भी मान्यता है जिसके अंतर्गत यहां भाई-बहन एक साथ नहीं जा सकते. इसका कारण ये है कि लंका मीनार की नीचे से ऊपर तक की चढ़ाई में सात परिक्रमाएं करनी होती हैं, जो भाई-बहन नहीं कर सकते. ये फेरे केवल पति-पत्नी द्वारा मान्य माने गए हैं.

तो अब आपको बात समझ में आ गई होगी कि आखिर परिवार के दो बच्चों को यानी की बहन और भाई को एक साथ इस मीनार के अंदर जाने की अनुमति क्यों नहीं है.

तो अब से जब भी आप परिवार के साथ घूमने जाएं, तो एक-एक करके ही मीनार के अंदर जाएं. कोशिश करें कि भाई बहन एक साथ बिलकुल न जाएं. शायद ये पहली जगह होगी जहाँ परिवार के सभी सदस्य एक साथ अंदर नहीं जा सकते. ये काफी रोचक है.