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शहीद जवान का 6 साल का बेटा रोज़ कहता है – मैं लूँगा पाकिस्तान से पापा की मौत का बदला

एक 6 साल का बच्चा भी अपने पिता को खोकर समझ गया है कि पाकिस्तान हमारा दुश्मन है.

पाकिस्तान ने उसके पिता को मारा है. आतंकवादियों ने उसके पिता को उससे छीन लिया है. जो बचपन पिता की गोद में बढ़ना चाहिए, आज वह बचपन इस उम्मीद में बढ़ रहा है कि जल्दी बड़े होकर मुझको आतंकवादियों से पिता की मौत का बदला लेना है.

आपको बता दें कि राजस्थान के मूंदीताल गांव में रहने वाले सैनिक शहीद लांस नायक ईश्वरसिंह पिछले दिनों आतंकवादियों की गोली का निशाना बने थे. 12 नवंबर को जब सारा देश नोट की लड़ाई लड़ रहा था तब सीमा पर भारतीय सैनिक भारत माता के लिए लड़ रहे थे. उस दिन जम्मू कश्मीर के गुरेज सेक्टर में तैनात ईश्वर सिंह काफी खुश थे लेकिन कोई नहीं जानता था कि आज ईश्वरसिंह शहीद हो जायेंगे.

जो भी छोटे बेटे से मिला वह रो दिया –

शहीद लांस नायक ईश्वरसिंह के छोटे बेटे का नाम अमन है. अमन अभी बस 6 साल का ही है. पिता का शव जब अंतिम समय दर्शनों के लिए रखा गया था तभी से 6 साल का बेटा अमन यही जिद लगाये हुए है कि उसको भी जल्दी सेना में शामिल होना है. वह अपने पिता की मौत का बदला पाकिस्तान से लेना चाहता है. मासूम बच्चे से जो भी व्यक्ति यह सुनता है तो उसकी आँखें नम हो जाती है. शहीद के बेटे का ऐसा जज्बा देखकर सेना के अफसर भी हैरान हैं. लेकिन यही तो भारत के सैनिकों का जज्बा है कि उनको पता है सेना में शामिल होकर कोई बड़ा पद नहीं मिलने वाला है लेकिन भारत माता के लिए लड़ना ही इनके लिए सब कुछ होता है. यही बातें सैनिक अपने बच्चों को सिखाते हैं.

शायद शहीद लांस नायक ईश्वरसिंह कुछ ऐसी बातें अपने बच्चों से किया करते थे. आज अमन जानता है कि उसने अपने पिता को हमेशा के लिए खो दिया है लेकिन बच्चा जानता है कि उसके पिता का सपना था कि अमन सेना में शामिल हो. बच्चा कुछ 4 दिनों से बस यही बोल रहा है कि वह फ़ौज में शामिल होगा और आतंकवादियों से अपने पिता की मौत का बदला लेगा.

परिवार में सबकी हालत खराब –

बेटे शहीद लांस नायक ईश्वरसिंह की शहादत के बाद से परिवार में सभी की हालत खराब है. जैसा कि बताया जा रहा है कि गाँव के कुछ 100 घरों में अकेला वही सेना में था. ईश्वर सिंह पर पहले से ही गाँव वालों को काफी गर्व था.

लेकिन आज पिता और माँ के साथ-साथ पत्नी की स्थिति भी खराब बनी हुई है. जवान बेटे को खोने का दुःख अगर आप समझ सकते हैं तो निश्चित रूप से आप ईश्वर सिंह के माता-पिता का भी दर्द समझ पाओगे. पत्नी के पास अब दो छोटे-छोटे बच्चे हैं जिनका पालन-पोषण अब कैसे होगा कोई नहीं जानता है.

वैसे पाकिस्तान जिस तरह से बार-बार फायरिंग कर रहा है उसके अंदर लगातार भारतीय सैनिक शहीद हो रहे हैं किन्तु इस दर्द को देश नहीं समझ रहा है. सभी को इस समय में बस अपने नोटों की पड़ी है किन्तु सरहद पर खड़े सैनिकों की सोचने वाला अभी कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति शायद खाली नहीं है जो पाक की फायरिंग का हल खोज सके.

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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