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कृष्ण परग्रही थे या भगवान…. द्वारका पर आक्रमण दुसरे ग्रह के निवासियों ने किया था!

कृष्ण… द्वारकाधीश कृष्ण, बांके बिहारी,मुरलीधर ना जाने कितने नामों से हम जानते है.

हिन्दू धर्म के सबसे बहुमुखी किरदार माने जाते है.

अपनी बाल लीलाओं से लेकर कंस वध या फिर महाभारत में उनका योगदान सबकुछ अतुलनीय है.

कृष्ण भगवान है, लीलाधर विष्णु का रूप.

लेकिन अगर कोई ये कहे कि कृष्ण भगवान नहीं थे ना ही वो इंसान थे वो तो परग्रही थे,एलियन थे.

चौंक गए ना,

आइये आपको कुछ ऐसी बातें बताते है जिससे पता लगता है कि कृष्ण एक अतिशक्तिशाली परग्रही थे.

भारत में खम्बात की खाड़ी के नज़दीक कुछ पुरातन अवशेष मिले है. जब उन अवशेषों के आसपास के क्षेत्र की जांच की गयी तो हजारों साल पहले बनायीं गयी इमारतों के चिन्ह मिले. ये अवशेष खाड़ी में सैंकड़ों फीट की गहराई में कीचड़ और मिट्टी की परतों के नीचे दबें है और करीब 4.5 वर्गमील के क्षेत्रफल में फैले है. मना जाता है कि ये सब कृष्ण की नगरी के अवशेष है. उस काल में बिना परग्रही सहायता के ऐसा कुछ कर पाना असम्भव सा प्रतीत होता है.

खम्बात की खाड़ी के नज़दीक ही जब पुरातत्विदों और वैज्ञानिकों ने जांच की तो पाया समुद्र के अंदर एक और इमारतों का समूह है. अधिक जांच से पता चला कि ये अवशेष किसी पुरातन शहर के है. आज से 9000 साल पहले तक इस क्षेत्र में समुद्र नहीं था. इसका मतलब ये है कि ये समुद्र के अंदर मिला शहर 9000 से 32000 साल पहले के है. धर्म ग्रंथों के अनुसार भी महाभारत का काल आज से 5000 साल पहले का ही माना जाता है. ऐसे में ये इतने पुराने शहर किसी ऐसी सभ्यता द्वारा ही बनाये गए होंगे जिनका विज्ञान और स्थापत्य उन्नत था.

 कहा जाता है कि द्वारका कृष्ण द्वारा बसायी गयी अत्याधुनिक नगरी थी. जब शाल्व को पता चला तो शाल्व ने द्वारका पर आक्रमण कर दिया. मना जाता है कि शाल्व ने आसमान के रस्ते से आक्रमण किया था. ग्रंथों के अनुसार इस युद्ध में परग्रही जीवों ने भी भाग लिया था.

कृष्ण ने इस युद्ध में जिन अस्त्रों का इस्तेमाल किया था वो आज के विज्ञान के अनुसार परमाणु और अन्य उन्नत तकनीक के आयुध थे. वैसी अस्त्र शस्त्र तकनीक के निर्माण के बारे में कहीं कुछ नहीं मिलता.

द्वारका की खोज से पहले तक इन सब बातों को धार्मिक मिथक माना जाता था. लेकिन समुद्र के भीतर मिले इस शहर के बाद लगता है कि धर्म ग्रंथों में कहीं ना कहीं कोई सच्चाई है. कृष्ण का शाल्व के साथ युद्ध धरतीवासी और परग्रही जीवों के बीच लड़ा गया था. जब कृष्ण ने द्वारका को छोड़कर अपने ग्रह वापस जाने का फैसला किया तो द्वारका नगरी हमेशा के लिए जलमग्न हो गयी. इस अनोखे युद्ध के बारे में संगम साहित्य में भी लिखा मिलता है.

देखा आपने हडप्पा और मोहनजोदड़ों से भी हजारों साल पहले कि ये उन्नत तकनीक और अत्याधुनिक शहर बनाने में कहीं ना कहीं परग्रही जीवों का भी हाथ था. अब ये तो वैज्ञानिक या धर्म के जानकार ही जाने की कृष्ण धरती पर आये परग्रही थे या फिर ईश्वर. या फिर कहीं हम शक्तिशाली परग्रहियों को ही तो भगवान नहीं मानते ?

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Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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