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पाकिस्तान की सेवा करो – गांधीजी के मुंह से ये सुनकर टूट गया था ये मुस्ल्मि नेता !

खान अब्दुल गफ्फार खान

जब भारत का विभाजन हो रहा था उस समय एक मुस्लिम नेता ऐसा भी था जो इस बंटवारे का खुलकर विरोध कर रहा था.

वह शख्स कोई और नहीं बल्कि फ्रंटियर गांधी या सीमांत गांधी के नाम से विख्यात पख्तून नेता खान अब्दुल गफ्फार खान थे.

आपको बता दें कि इस महान नेता ने सदैव जिन्ना और मुस्लिम लीग द्वारा देश के विभाजन के मांग का विरोध किया और जब अंततः कांग्रेस ने विभाजन को स्वीकार कर लिया तब वो बहुत निराश हो गए.

लेकिन तब पर भी उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी. वे चाहते थे कि विभाजन के बाद वे पाकिस्तान के साथ न रहकर भारत के साथ रहेगें.

वे भारत के साथ रहना चाहते थे, लेकिन भूगोल ने ही नहीं बल्कि भारत के नेताओं ने भी उनके साथ न्याय नहीं किया. भारत के साथ रहने की पठानों की इच्छा के साथ खान अब्दुल खफ्फार खान अंतिम उम्मीद लेकर उन्हीं गांधी के पास आए जिनको आदर्श मानकर वे आजादी की लड़ाई में कूदे थे.

लेकिन बापू का यह सच्चा अनुयायी सीमान्त गांधी जब आखिरी बार उनसे मिले तो गांधी जी के शब्द सुनकर टूट गए. और बंटवारे के साथ पाकिस्तान में रहने को उन्होंने अपनी नियति मान लिया.

गांधी जी ने खान अब्दुल गफ्फार खान से कहा था कि अब भारत का मोह त्याग दो और अपने देश पाकिस्तान की सेवा करो.

खान अब्दुल गफ्फार खान भारत के विभाजन से कितने व्यथित थे और पाकिस्तान को किस अपने लिए किस रूप में देखते थे इस बात का अंदाजा उनके इन शब्दों से लगाया जा सकता है कि उन्होंने पाकिस्तान से मिलने पर कहा था कि आप लोगों ने हमें भेड़ियों के सामने फेंक दिया.

हालांकि बाद में मजबूरी में विभाजन के बाद उन्होंने पाकिस्तान के साथ रहने का निर्णय स्वीकार कर लिया लेकिन पाकिस्तान सरकार ने उन पर हमेशा ही शक किया जिसके कारण पाकिस्तान में उनका जीवन अक्सर जेल में ही गुजरा. खान अब्दुल गफ्फार खान पाकिस्तान में ता उम्र कैद रहे. फरवरी 1970 में भारत की प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरागांधी के विशेष आग्रह पर इलाज के लिए भारत आये थे.

हवाई अड्डे पर उन्हें लेने के लिए श्रीमती गांधी और जय प्रकाश नारायण पहुंचे थे. खान अब्दुल गफ्फार खान जब हवाई जहाज से बाहर आये तो उनके हाथ में एक गठरी थी जिसमे उनका कुर्ता पजामा था .

मिलते ही श्रीमती गांधी ने हाथ बढ़ाया उनकी गठरी की तरफ -इसे हमे दीजिये, हम ले चलते हैं. खान साहब ठहरे, बड़े ठंढे मन से बोले -यही तो बचा है, इसे भी ले लोगी ?

बटवारे का पूरा दर्द खान साब की इस बात से बाहर आ गया. जे पी और श्रीमती गांधी दोनों ने सिर झुका लिया .

जे पी अपने को संभाल नहीं पाये, उनकी आँख से आंसू गिर रहे थे.

गांधी जी तरह अहिंसा के सिद्धांतों में अपना विश्वास रखने खान अब्दुल गफ्फार खान को उनके इन सिद्धांतों के कारण भारत में उन्हें फ्रंटियर गाँधी या सीमांत गांधी के नाम से पुकारा जाता है.

कई सालों तक कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य रहे लेकिन जब उनसे कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के निवेदन किया गया तो उन्होंने अध्यक्ष बनने से इनकार कर दिया.