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जेल जाने का डर था इसलिए केजरीवाल ने सदन में छिपकर किया मोदी पर हमला

सदन में छिपकर

पहले आरोप लगाना और फिर चुपके से जाकर उस शख्स से माफी मांग लेना ये अरविंद केजरीवाल की राजनीति का हिस्सा बन चुका है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लंबे से समय से ये राजनीति करते आ रहे हैं. लेकिन आरोपों पर बार बार माफी मांगने से अब उनकी फजीहत होने लगी थी.

इससे बचने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अब एक सुरक्षित ठिकाना खोज लिया है. जहां उन्हें कोई आरोप लगाकर मांफी मांगने की जरूरत नहीं है.

वह स्थान है विधान सभा.

क्योंकि विधानसभा की कार्यवाही के दौरान सदन में छिपकर किसी पर भी आरोप लगाने पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती.

सदन में छिपकर आरोप लगाने का कानूनी कवच को आधार बनाकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर रिश्वतखोरी का आरोप लगाते हुए कह दिया कि जो खुद भ्रष्ट है वह भ्रष्टाचार मिटाने की बात कर देश की जनता को गुमराह कर रहा है.

केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने एक कंपनी से 12 करोड़ रुपये रिश्वत के रूप में लिए थे. लेकिन केजरीवाल ने इसके लिए न तो कोई सबूत पेश किए और न ही सदन के बाहर निकल कर इन आरोपों पर मीडिया से कोई बात ही की.

दरअसल, केजरीवाल जानते थे कि अगर उन्होंने सदन के बाहर मीडिया के सामने इन आरोपों को दोहरा दिया तो वे कानून के शिंकजे में फंस जाएंगे. क्योंकि नरेंद्र मोदी के अलावा उन पर औद्योगिक बिड़ला घराने से भी कानूनी नोटिस मिलेगा. केजरीवाल जानते हैं कि वे अपने आरोपों को कभी साबित नहीं कर पाएंगे और उनको जेल भी जाना पड़ सकता है.

इसी डर से केजरीवाल ने यह आरोप लगाने के लिए दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया.

वहां एक प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाया कि धन्ना सेठों का कालाधन ठिकाने लगवाने के बाद दिखावे के लिए नोटबंदी कर देश के लोगों को परेशान कर रहे है.

लेकिन विधानसभा के बाहर उन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ आरोपों को एक बार भी मीडिया के सामने नहीं दोहराया.

दरअसल, वह जानते हैं कि विधानसभा की कार्यवाही के दौरान सदन में छिपकर किसी भी आरोप को लगाने पर बाहर उन पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती.

भाजपा ने केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा, उनको एक कायर मुख्यमंत्री के रूप में जाना जाएगा. उन्होंने झूठ बोलने के लिए सदन के विशेषाधिकार का इस्तेरमाल किया. मुख्यमंत्री तीन दिन से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं. यदि वह चाहते तो अपने आरोप प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी लगा सकते थे, लेकिन यदि वह ऐसा करते तो कानून के दायरे में आ जाते.