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अद्भुत, अविस्मरणीय और रोमांचकारी! यहाँ भगवान शिव स्वयं भक्तों के साथ होली खेलने आते है!

Lord Shiva Comes At Kashi Smashan Ghat To Play Holi

आपने होली तो बहुत खेली होगी और सुनी भी बहुत होगी लेकिन आज जो हम आपको होली दिखाने वाले हैं वो होली आपने नहीं खेली होगी.

जिन्दगी में अगर कभी मौका मिले तो काशी के महा श्मशान घाट पर होली से कुछ दिन पहले जरूर जाएँ.

यहाँ पर आपको एक अद्भुत, अविस्मरणीय और रोमांचकारी दृश्य देखने को मिलेगा कि यहाँ लोग मुर्दों की राख से होली खेल रहे हैं. यह होली जलती हुई लाशों के के बीच ही खेली जा रही होती है.

लेकिन आप इस होली को मजाक में बिलकुल मत लीजिये, क्योकि इस होली के पीछे आस्था है कि यहाँ पर भगवान शिव खुद अपने भक्तों के साथ होली खेलने आते हैं.

इस होली से जुड़ी हुई मान्यता

डमरु और घण्टे की आवाज पर बाबा महाश्मशान की पूजा करने के बाद मणिकर्णिका घाट पर भोले के भक्त इस त्योहार को मनाते हैं.

मान्यता है कि रंगभरी एकादशी पर बाबा विश्वनाथ माता पार्वती की विदाई कराकर पुत्र गणेश के साथ काशी पधारते हैं. जो लोग नहीं आ पाते हैं वह महादेव के सबसे प्रिय भूत-पिशाच, दृश्य-अदृश्य आत्माएं होती हैं.

पंडित जी बताते हैं कि इस दिन जो भी मृत आत्मा यहाँ आती हैं उनको निश्चित रूप से मुक्ति प्राप्त हो जाती है. वह जीव आत्मा पहले तो बाबा जी के साथ होली खेलती है और बाद में बाबा जी उसे अपने साथ आवागमन से मुक्त करते हुए, हमेशा के लिए इस संसार से दूर ले जाते हैं.

क्या कहते हैं शास्त्र

इस होली के बारें में शास्त्र बताते हैं कि काशी दुनिया की एक मात्र ऐसी नगरी है जहां मनुष्य की मृत्यु को भी मंगल माना जाता है. मृत्यु को लोग उत्सव की तरह मनाते है. रंगभरी एकादशी एकादशी के दिन माता पार्वती का गौना कराने बाद देवगण एवं भक्तों के साथ बाबा होली खेलते हैं.

इस दिन सभी लोग जमकर यहाँ पर राख से होली खेलते हैं और भगवान शिव को याद करते हैं. होली खेलने के बाद गंगा स्नान कर सभी लोग पुण्य की प्राप्ति करते हैं.

तो अब बताये कि क्या आपने कभी इस तरह की होली खेली है?

क्योकि इस होली को खेलने के लिए भी दूर-दूर से लोग आते हैं और वह लोग भाग्यों वाले होते हैं जिन्हें यहाँ शिव का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है.