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ये हैं वो करणी माता जिनके नाम पर करणी सेना गुंडई करती है

करणी माता

आपने भले ही करणी माता का नाम ना सुना हो लेकिन पिछले कुछ समय से पद्मावत विवाद के चलते आपने करणी सेना का नाम तो ज़रूर सुन लिया होगा।

हां, ये और बात है कि आजकल ये करणी सेना जिस वजह से चर्चा में आ रही है वो कुछ खास अच्छी नहीं है लेकिन जिन करणी माता का नाम लेकर ये करणी सेना अजीबोगरीब काम कर रही है उनकी कहानी बहुत ही अधिक रोचक और विश्वसनीय है।

चलिए आपको बताते हैं इसके बारे में, ये कहानी शुरू होती है सन् 1387 से, जब मारवाड़ के सुवाप गांव में मेहाजी चारण के घर छठी बेटी का जन्म हुआ, ये बात और है कि उन्हें बेटे की चाह थी लेकिन फिर भी उन्होंने खुले दिल से अपनी नन्ही परी का स्वागत किया। अपनी बेटी का नाम उन्होंने रिद्धा बाई रखा। रिद्धा बाई बचपन से ही बाकी सभी बच्चों से अलग थी। एक किवदन्ती के अनुसार उन्होंने अपनी किशोरावस्था में अपनी बुआ की टेढ़ी अंगुली को एक स्पर्श से ठीक कर दिया था। इसके बाद उनकी बुआ ने उन्हें करणी नाम दिया।

आपको बता दें कि करणी का शाब्दिक अर्थ चमत्कारी होता है।

धीरे-धीरे करणी ने युवावस्था की ओर कदम रखा और शादी की उम्र होने पर उनके पिता ने उनकी शादी साठिका गांव के दीपोजी चारण से कर दी लेकिन करणी का लक्ष्य गृहस्थ जीवन में बंधना नहीं था और ना ही उन्हें गृहस्थ जीवन में कोई रूचि थी इसलिए उन्होंने अपनी छोटी बहन गुलाब की शादी दीपोजी से करवा दी और खुद को गृहस्थ जीवन से अलग कर लिया।

उसके बाद हालात कुछ यूं हुए कि मारवाड़ में अकाल की भयावह स्थिति आ गई और दीपोजी ने अपने परिवार और मवेशियों के साथ दूसरी जगह जाने की योजना बनाई और जांगलू के एक गांव में अपना बसेरा डाल दिया।

यहां कानजी नामक एक दुराचारी शख्स के कुछ सैनिकों ने करणी और उनके लोगों को पानी पीने से मना कर दिया लेकिन करणी सच्चाई के फेवर में सबके खिलाफ जाने को तैयार हो गईं और उनकी बात सुनकर कानजी खीझ गया। इसके बाद उसने मौके पर आकर करणी को आदेश दिया कि वो उसका राज्य छोड़कर चली जाए लेकिन करणी ऐसा करने को तैयार नहीं हुई और कहा कि अगर वो उनकी पूजा की पेटी बैलगाड़ी पर रख देता है तो वो उसका राज्य छोड़कर चली जाएंगी लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी राव कानजी ऐसा करने को तैयार नहीं हुआ।

राव कानजी इस बात से बहुत चिढ़ गया और कहा कि अगर वो भविष्य के बारे में इतना ही जानती है तो ये भी बता दे कि वो कब मरने वाला है। इसके बाद करणी ने उसे चेताया कि उसकी जिंदगी महज़ 1 साल और बची है और सच में ऐसा ही हुआ।  अपनी बात को साबित करने के लिए करणी ने जमीन पर एक लकीर खिंची और कानजी को कहा कि यह लकीर ही उसकी जीवन रेखा है। कानजी ने अपने अहंकार में इस रेखा को पार किया और उसकी मृत्यु हो गई।

इसके बाद सभी करणी को करणी माता के रूप में पूजने लगे और उसकी शक्तियों पर विश्वास करने लगे।